Letter to the Romans

Letter to the Romans

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अध्याय 1

1 मैं पौलुस हूँ और मैं यीशु मसीह का गुलाम बन गया। परमेश्वर ने मुझे बुलाहट दी और मुझे प्रेरित बनाया। उसने मुझे परमेश्वर के बारे में अच्छी खबर का प्रचार करने के लिए चुन लिया।
2 बहुत समय पहले परमेश्वर ने अपने भविष्यवक्ताओं के द्वारा जो प्रकट किया था उसे पूरा करने का वादा किया। परमेश्वर ने उनसे अच्छी खबर के बारे में बात की और भविष्यवक्ताओं ने उसे पवित्र शास्त्र में लिखा।
3 और अच्छी खबर इसी के बारे में है। परमेश्वर का बेटा मनुष्य के शरीर में पैदा हुआ और राजा दाऊद की सन्तान बना।
4 और जब मसीह मरा तब परमेश्वर ने उसे पवित्र आत्मा की शक्ति से जीवित कर दिया। इसलिए हम जानते हैं कि हमारा प्रभु यीशु मसीह परमेश्वर का बेटा है।
5 मसीह के द्वारा हमें अनुग्रह और प्रेरिताई मिली। यीशु के नाम से हम सभी राष्ट्रों में विश्वास ले जाते हैं और वे परमेश्वर की आज्ञा मानते हैं।
6 यीशु मसीह ने आपको इन राष्ट्रों से अपने पास बुलाया।
7 मैं इस पत्र को हर एक को लिखता हूँ जो रोम में रहता है। परमेश्वर ने आप को अपना प्यार दिखाया। उसने आपको अपने पास बुलाया और आपको पवित्र बनाया। हमारे परमेश्वर पिता और प्रभु यीशु मसीह से अनुग्रह और शान्ति आपको मिले।
8 आप यीशु पर विश्वास करते हैं और पूरी दुनियाँ के द्वारा अपना विश्वास फैलाते हैं। इसलिए सबसे पहले, मैं यीशु मसीह के नाम में आप सभी के लिए अपने परमेश्वर का धन्यवाद करना चाहता हूँ।
9 जब मैं परमेश्वर के बेटे के बारे में अच्छी खबर का प्रचार करता हूँ तब मैं अपनी आत्मा से परमेश्वर की सेवा करता हूँ। और परमेश्वर जानता है कि मैं आपको याद करता हूँ और लगातार आप के लिए प्रार्थना करता हूँ।
10 मैं आपसे मिलना चाहता हूँ लेकिन मैं हमेशा परमेश्वर से उसकी योजनाओं के बारे में पूछता हूँ।
11 मुझे आपके साथ एक आत्मिक उपहार बाँटने की इच्छा है जो आपको मज़बूत बनाएगा। इसलिए मुझे आपसे मिलने की बड़ी इच्छा है।
12 तब मेरा विश्वास आपको मज़बूत बनाएगा और आपका विश्वास मुझे मज़बूत बनाएगा।
13 हे भाइयों, आपको पता होना चाहिए कि मैंने कई बार आपसे मिलने की योजनाएँ बनाईं। लेकिन अब तक मुझे कुछ स्र्कावटों का सामना करना पड़ रहा है। मैंने दूसरे राष्ट्रों में अपने काम का परिणाम देखा है। और मैं आप के बीच में भी काम करना चाहूँगा।
14 मुझे सभ्य अन्यजाति लोगों, जंगली जनजातियों, पढ़े लिखे और अनपढ़ लोगों को प्रचार करना है।
15 इसलिए मेरी बड़ी इच्छा है कि मैं मसीह की अच्छी खबर को आप के पास भी लाऊँ जो रोम में रहते हैं।
16 मैं मसीह के बारे में अच्छी खबर को फैलाने से नहीं डरता। जब मैं इस खबर का प्रचार करता हूँ तब परमेश्वर अपनी शक्ति से काम करता है। और परमेश्वर की शक्ति हर एक को बचाती है जो यीशु पर विश्वास करता है। सबसे पहले, यह यहूदी लोगों के बारे में कहता है लेकिन यह अन्यजाति लोगों के बारे में भी कहता है।
17 जो मसीह के बारे में अच्छी खबर पर विश्वास करेगा वह परमेश्वर की धार्मिकता को पाएगा। और व्यक्ति तब तक धर्मी बना रहेगा जब तक वह विश्वास करता रहेगा। शास्त्र कहते हैं, “धर्मी व्यक्ति परमेश्वर पर विश्वास करता है। धर्मी व्यक्ति अपना जीवन परमेश्वर के लिए जीता है।”
18 लेकिन नास्तिक लोग बुराई करते हैं। वे अपने बुरे कामों से सच्चाई की आवाज़ को दबा देते हैं। इसलिए परमेश्वर स्वर्ग से लोगों के अविश्वास और उनके सभी नीच कामों से गुस्सा हो रहा है।
19 लोग समझ सकते हैं कि परमेश्वर कौन है क्योंकि परमेश्वर ने लोगों को साफ़ रूप से दिखाया है कि वे उसके बारे में कैसे सीख सकते हैं।
20 परमेश्वर ने इस दुनियाँ को बनाया। और जब लोग परमेश्वर की रचना को देखते हैं तब सारी रचना साफ़ रूप से अनदेखे परमेश्वर, उसकी अनन्त शक्ति और उनके चरित्र के बारे में बताती हैं। इसलिए कोई भी नहीं कह सकता कि वह परमेश्वर की मौजूदगी के बारे में नहीं जानता था।
21 लोगों की समझ में आया कि परमेश्वर है और वह महिमा के योग्य है। लेकिन उन्होंने परमेश्वर की महिमा नहीं की और उसे धन्यवाद नहीं दिया। लोगों ने फालतू चीज़ों के बारे में सोचा और उनके बेवकूफ दिल अन्धकार से भर गये।
22 लोगों ने कहा कि वे बुद्धिमान हो गए लेकिन सच में वे पागल हो गए।
23 लोगों के अंदर अमर परमेश्वर की महिमा करने की कोई इच्छा नहीं थी इसलिए उन्होंने नाशवान आदमी के रूप में परमेश्वर की मूर्ति बनाई। उन्होंने पक्षियों, जानवरों और सांपों के रूप में भी मूर्तियाँ बनाईं।
24 इसलिए परमेश्वर लोगों से दूर हो गया। और लोगों ने वासना भरी इच्छाओं से अपने दिलों को भर लिया। लोगों ने भ्रष्ट जीवन जीना और अपने शरीर के साथ शर्मनाक काम करना शुरू कर दिया।
25 परमेश्वर ने इस दुनियाँ को बनाया इसलिए वह अनन्त महिमा के योग्य है। आमीन। लेकिन लोगों ने परमेश्वर की सच्चाई को झूठ से बदल दिया। वे सृष्टिकर्ता की बजाय सृष्टि की पूजा और सेवा करने लगे।
26 इसलिए परमेश्वर लोगों से दूर हो गया और उन्होंने खुद को शर्मनाक इच्छाओं से भर लिया। महिलाओं ने आदमियों के साथ प्राकृतिक रिश्तों को अप्राकृतिक रिश्तों के लिए बदल दिया।
27 आदमियों ने भी ऐसा ही किया। उन्होंने महिलाओं के साथ प्राकृतिक संबंध बनाने से इनकार किया। आदमी एक दूसरे के लिए वासना भरी इच्छाओं से जलने लगे और उन्होंने गलत यौन संबंध बनाये। वे भटक गये और अपने अंदर उन्हें वह सजा मिलनी चाहिए जिसके वे लायक हैं।
28 लोग परमेश्वर को जानना नहीं चाहते थे इसलिए परमेश्वर उन से दूर हो गया। लोग यौन अशुद्धता के बारे में सोचने लगे और जो करने से मना किया गया था वही करने लगे।
29 लोग खुद को अलग-अलग तरह के पापों से भर लेते हैं। वे गलत यौन संबंधों में भाग लेते हैं। वे दुष्ट और लालची हैं। वे दूसरे लोगों से नफ़रत करते हैं और एक दूसरे से ईर्ष्या करते हैं। वे एक दूसरे से झगड़ा करते हैं, धोखा देते हैं और एक दूसरे की हत्या करते हैं। और जब कोई दूसरा व्यक्ति मुसीबत में पड़ता है तब वे खुशी मनाते हैं।
30 लोग चुगली करते और झूठे आरोप फैलाते हैं। वे परमेश्वर से नफ़रत करते हैं और वे दूसरों के साथ बेरहम हैं। वे घमंड करते हैं और खुद को एक दूसरे से ऊपर रखते हैं। वे बुरी योजनाएँ बनाते हैं और अपने माता-पिता का विरोध करते हैं।
31 लोग बेवकूफी भरे काम करते हैं और अपने वादे तोड़ देते हैं। वे किसी से भी प्यार नहीं करते, वे दुश्मनी से भरे हुए हैं और किसी पर दया नहीं करते।
32 ऐसे लोग जानते हैं कि परमेश्वर हर व्यक्ति का ईमानदारी से न्याय करता है। वे जानते हैं कि जो व्यक्ति ऐसे काम करता है वह मौत का हकदार है। लेकिन वे फिर भी इन कामों को करते हैं। और वे उन को ठीक समझते हैं जो उनकी तरह व्यवहार करते हैं।

अध्याय 2

1 आपके पास दूसरे व्यक्ति पर दोष लगाने का कोई बहाना नहीं होगा क्योंकि जैसे वह पाप करता है वैसे ही आप भी पाप करते हैं। इसलिए जब आप दूसरे लोगों पर दोष लगाते हैं तब आप खुद पर भी दोष लगाते हैं।
2 हम जानते हैं कि परमेश्वर उन सभी का ईमानदारी से न्याय करेगा जो बुरे काम करते हैं।
3 आप दूसरे लोगों का न्याय करते हैं लेकिन आप भी वैसे ही पाप करते हैं जैसे वे करते हैं। क्या आप सोचते हैं कि आप परमेश्वर के न्याय से बच जाएंगे?
4 परमेश्वर की महान दया को तुच्छ न समझें। जब वह आपको माफ़ करता है और आपको अपना महान धीरज दिखाता है तब उसे तुच्छ न समझें। क्या आप नहीं समझते कि परमेश्वर की दया आपको मन फिराव की ओर ले जाती है?
5 लेकिन आप ज़िद्दी बन जाते हैं और आप अपने दिल में अपने पाप से मन नहीं फिराते। आप अपने खिलाफ़ परमेश्वर के क्रोध को इकट्ठा करते हैं। और जब परमेश्वर ईमानदारी से आपका न्याय करेगा उस दिन वह आपको अपना क्रोध दिखाएगा।
6 न्याय के दिन हर व्यक्ति परमेश्वर से वह पाएगा जिसके वह लायक है।
7 परमेश्वर उस व्यक्ति को अनन्त जीवन देगा जो धीरज से अच्छा काम करता है और परमेश्वर की महिमा करता है। ऐसा व्यक्ति परमेश्वर का आदर करता है और अनंत जीवन में प्रवेश करने का हर संभव प्रयास करता है।
8 लेकिन अगर कोई व्यक्ति मतलबी रूप से व्यवहार करता है, सच्चाई का पालन नहीं करता और बुरे काम करता है तो परमेश्वर अपने क्रोध और गुस्से को ऐसे व्यक्ति पर निकालेगा।
9 अगर कोई व्यक्ति बुराई करता है तो उसका प्राण दु:ख उठाएगा और वह कठिन परिस्थितियों में जीवन जिएगा। सबसे पहले, यह यहूदी लोगों के बारे में कहता है लेकिन यह अन्यजाति लोगों के बारे में भी कहता है।
10 लेकिन जो व्यक्ति अच्छा काम करता है वह परमेश्वर की महिमा को देखेगा। लोग उसका आदर करेंगे और वह शान्ति से अपना जीवन जिएगा। सबसे पहले, यह यहूदी लोगों के बारे में कहता है लेकिन यह अन्यजाति लोगों के बारे में भी कहता है।
11 परमेश्वर सभी लोगों के साथ न्याय से व्यवहार करता है।
12 अन्यजाति लोगों के पास मूसा का कानून नहीं था। इसलिए परमेश्वर उनका न्याय कानून के अनुसार नहीं करेगा। लेकिन अन्यजाति लोगों ने पाप किया, इसलिए वे नाश होंगे। यहूदी लोगों के पास मूसा का कानून था। लेकिन उन्होंने भी पाप किया और कानून को तोड़ा। इसलिए परमेश्वर कानून के अनुसार यहूदी लोगों का न्याय करेगा।
13 अगर कोई व्यक्ति कानून को सुनता है और पाप में जीता है तो परमेश्वर ऐसे व्यक्ति का न्याय करेगा। परमेश्वर सिर्फ़ उसी को धर्मी बनाएगा जो मूसा के कानून को मानता है।
14 यीशु पर विश्वास करने वाले अन्यजाति लोगों के पास मूसा का कानून नहीं था। लेकिन वे अपने स्वभाव से वही करते हैं जो कानून कहता है। वे अपने दिल के अन्दर कानून को जानते हैं।
15 परमेश्वर ने मसीह पर विश्वास करने वाले अन्यजाति लोगों के दिलों में अपना कानून लिखा। इसलिए उनकी अंतरात्मा उन्हें बताती है कि वे सही काम करते हैं या गलत काम करते हैं। एक परिस्थिति में, उनके विचार उन पर आरोप लगाते हैं और दूसरी परिस्थिति में, उनके विचार बताते हैं कि वे सही कर रहे हैं। इस तरह से अन्यजाति लोग दिखाते हैं कि वह कानून उनके दिलों में काम करता है।
16 मैं मसीह के बारे में अच्छी खबर का प्रचार करता हूँ। और मैं कहता हूँ कि वह दिन आएगा जब परमेश्वर यीशु मसीह के द्वारा लोगों के गुप्त कामों का न्याय करेगा।
17 आप खुद को यहूदी कहते हैं और आप खुद को तसल्ली देते हैं कि आप मूसा के कानून को जानते हैं। आप परमेश्वर पर अपने विश्वास के बारे में घमंड करते हैं।
18 आप जानते हैं कि परमेश्वर क्या करना चाहता है। आप समझ गए कि कानून क्या सिखाता है और आप जानते हैं कि सही काम कैसे करने हैं।
19 आपको यकीन है कि आप अन्धों की अगुवाई कर सकते हैं। आपको पक्का विश्वास है कि जो लोग अन्धेरे में रहते हैं आप उन के लिए रोशनी बने गये।
20 आप सोचते हैं कि आप मूर्खों को ठीक कर सकते हैं। आपको यकीन है कि आप अपरिपक्व लोगों को सिखा सकते हैं। और आप कहते हैं कि कानून में अपने आप में ज्ञान और सच्चाई है।
21 लेकिन देखिए आप क्या करते हैं! आप दूसरे लोगों को सिखाते हैं लेकिन आप खुद को नहीं सिखाते।
22 आप प्रचार करते हैं, “चोरी न करें।” लेकिन आप चोरी करते हैं। आप कहते हैं, “अपने जीवनसाथी को धोखा न दें।” लेकिन आप दूसरों के साथ सोते हैं। आप मूर्तियों से नफ़रत करते हैं लेकिन आप अन्यजातियों के मन्दिरों को लूटते हैं।
23 आपको घमण्ड है कि आप मूसा के कानून को जानते हैं। लेकिन आप कानून को तोड़ते हैं और परमेश्वर को शर्मिंदा करते हैं।
24 शास्त्र ऐसे लोगों से कहते हैं, “अन्यजाति लोग आप के कारण परमेश्वर के नाम को श्राप देते हैं।”
25 अगर आप मूसा के कानून को मानते हैं तो खतने का मतलब है। लेकिन अगर आप इस कानून को तोड़ते हैं तो खतने का कोई मतलब नहीं। और आप खतनारहित व्यक्ति के जैसे हो जाते हैं।
26 मान लीजिए कि कोई खतनारहित व्यक्ति कानून को पूरा करता है। ऐसे मामले में, परमेश्वर उसके साथ खतना किए हुए व्यक्ति के रूप में व्यवहार करेगा।
27 आप खतना किए हुए यहूदी व्यक्ति हैं। आप शास्त्रों को जानते हैं लेकिन आप मूसा के कानून को तोड़ते हैं। अन्यजाति लोग खतना नहीं करते। लेकिन अगर कोई खतनारहित अन्यजाति व्यक्ति कानून को मानता है तो वह आपको दोषी ठहराएगा जो खतना किया हुआ यहूदी व्यक्ति है।
28 यहूदी परिवार में पैदा होने से आप यहूदी व्यक्ति नहीं बनेंगे। अगर आप अपने शरीर को बाहर से काटते है तो आपका खतना सच्चा नहीं।
29 अगर कोई व्यक्ति कानून में लिखी हुई हर एक बात को मानता है तो भी वह अपने दिल को बदल नहीं पाएगा। कोई व्यक्ति यहूदी तब बनता है जब वह अन्दर से बदलता है। पवित्र आत्मा सच्चा खतना करती है और यह दिल में होता है। परमेश्वर ऐसे व्यक्ति की प्रशंसा करेगा लेकिन लोग ऐसे व्यक्ति की प्रशंसा नहीं करेंगे।

अध्याय 3

1 यहूदी राष्ट्र के बारे में क्या खास बात है? और खतने का मतलब क्या है?
2 यहूदी लोग हर तरह से दूसरे राष्ट्रों से बहुत अलग हैं। लेकिन सबसे बड़ा अन्तर यह है कि परमेश्वर ने अपना वचन उन्हें सौंपा।
3 हाँ, कुछ यहूदी लोगों ने परमेश्वर पर विश्वास करना छोड़ दिया। लेकिन क्या उनका अविश्वास परमेश्वर की वफ़ादारी को खत्म कर सकता है?
4 बिल्कुल नहीं। हर इन्सान झूठ बोलता है लेकिन परमेश्वर सच कहता है। शास्त्र परमेश्वर के बारे में कहते हैं, “आपके सभी शब्द सच्चे हैं। और जब आप लोगों का न्याय करेंगे तब आप अदालत में जीतेंगे।”
5 लेकिन कुछ लोग कहते हैं, “अगर परमेश्वर हमारे पापों के कारण हमसे गुस्सा होता है तब यह उचित नहीं। जितना ज़्यादा हम पाप करते हैं उतना ही ज़्यादा परमेश्वर धर्मी दिखाई देता है।” जवाब में क्या कहें?
6 परमेश्वर दुनियाँ का न्याय करेगा। और बिल्कुल, परमेश्वर के पास पूरा अधिकार है कि वह लोगों के पापों के कारण उन पर गुस्सा हो।
7 लेकिन कोई बहस कर सकता है, “जब मैं बेईमानी से व्यवहार करता हूँ तब यह परमेश्वर की सच्चाई को और अधिक प्रकट करती है। मैं पाप करता हूँ लेकिन इससे परमेश्वर की महिमा होती है। इसलिए परमेश्वर को मेरे पापों के लिए मेरा न्याय नहीं करना चाहिए।”
8 ऐसे लोग कहते हैं, “हम बुराई करेंगे क्योंकि बुराई अच्छाई में बदल जाती है।” वे हमारे खिलाफ़ झूठे आरोप लगाते हैं और कहते हैं कि हम दूसरे लोगों को इस तरह से जीवन जीना सिखाते हैं। परमेश्वर ईमानदारी से ऐसे लोगों का न्याय करेगा।
9 हम यहूदी लोग हैं। लेकिन क्या हम अन्यजाति लोगों से बेहतर हैं? बिल्कुल नहीं। हमने पहले ही साबित कर दिया कि सब यहूदी लोग और सब अन्यजाति लोग पाप की शक्ति के अधीन हैं।
10 शास्त्र कहते हैं, “कोई भी धर्मी नहीं। एक भी नहीं।
11 कोई समझदार नहीं। कोई परमेश्वर को नहीं ढूँढता।
12 सब लोग परमेश्वर से दूर हो गए। और कोई भी नहीं जो उसकी माँगों को पूरा करता। कोई भी भलाई नहीं करता। एक भी नहीं।
13 उनका मुँह कब्र की तरह खुला है। वे झूठ बोलते हैं। उनके शब्द सांप के ज़हर की तरह खतरनाक हैं।
14 वे श्राप बोलते हैं और कड़वे शब्दों से एक दूसरे को ठेस पहुँचाते हैं।
15 वे एक दूसरे को मारने के लिए तैयार हैं।
16 वे अपने रास्ते में सब कुछ बर्बाद कर देते हैं और दु:ख लाते हैं।
17 वे नहीं जानते कि दूसरे लोगों के साथ शान्ति से कैसे रहें।
18 और वे परमेश्वर से बिलकुल नहीं डरते।”
19 परमेश्वर ने यहूदी लोगों को अपना कानून दिया। और हम जानते हैं कि यहूदी लोग मूसा के कानून की शक्ति के अधीन रहते हैं। जब कानून बोलता है तब हर व्यक्ति चुप हो जाता है। वह खुद को सही ठहराने के लिए कुछ नहीं कह सकता। पूरी दुनियाँ परमेश्वर के सामने दोषी हो जाती है।
20 जो व्यक्ति मूसा के कानून को मानता है परमेश्वर उसको अपनी धार्मिकता नहीं देता। सभी लोग उस कानून को तोड़ते हैं और इसलिए वे समझते हैं कि पाप क्या है।
21 लेकिन अब परमेश्वर हमें मूसा के कानून को मानने से आज़ाद करता है। परमेश्वर हमें अपनी धार्मिकता देता है और कानून और भविष्यद्वक्ताओं ने उस धार्मिकता के बारे में बताया था।
22 परमेश्वर की धार्मिकता उन सभी के लिए है जो यीशु मसीह पर विश्वास करते हैं। यहूदी लोगों और अन्यजाति लोगों में कोई अन्तर नहीं।
23 हर व्यक्ति ने पाप किया और कोई भी परमेश्वर की महिमा के नज़दीक नहीं आ सकता।
24 लेकिन परमेश्वर ने अपने अनुग्रह से हमें अपनी धार्मिकता दी। अपने खून से मसीह ने हमारे पाप से आज़ादी के लिए मूल्य चुकाया।
25 परमेश्वर ने पहले ही फ़ैसला किया था कि यीशु पाप के लिए बलिदान होगा ताकि अपने खून से वह हमारे पापों का मूल्य चुकाए। जो व्यक्ति यीशु पर विश्वास करता है यीशु का खून उसे पाप से साफ़ करता है। मसीह के बलिदान के द्वारा परमेश्वर ने अपनी धार्मिकता को प्रकट किया। परमेश्वर ने उन पापों को माफ़ कर दिया जो लोगों ने पहले किए थे।
26 उस समय परमेश्वर ने बहुत धीरज दिखाया। और इस समय वह मसीह के द्वारा अपनी धार्मिकता दिखाता है। परमेश्वर धर्मी है। और वह यीशु पर विश्वास करने वाले को अपनी धार्मिकता देता है।
27 क्या हम अपनी बड़ाई कर सकते हैं कि हमने मूसा के कानून को माना और इसलिए परमेश्वर ने हमें अपनी धार्मिकता दी? नहीं, यह नामुमकिन है। अब हम आनंद के साथ कहते हैं कि हम विश्वास के कानून से जीते हैं।
28 हम परिणाम निकालते हैं कि परमेश्वर किसी व्यक्ति को अपनी धार्मिकता देता है क्योंकि वह यीशु पर विश्वास करता है और इसलिए नहीं कि वह व्यक्ति मूसा के कानून को मानता है।
29 क्या परमेश्वर ने सिर्फ़ यहूदी राष्ट्र को बनाया? नहीं, परमेश्वर ने सभी राष्ट्रों को बनाया।
30 अगर खतना किया हुआ यहूदी व्यक्ति यीशु पर विश्वास करेगा तो परमेश्वर उसे अपनी धार्मिकता देगा। और वही परमेश्वर अपनी धार्मिकता खतनारहित अन्यजाति व्यक्ति को भी देगा अगर वह यीशु पर विश्वास करेगा।
31 क्या इसका मतलब यह है कि जब हम मसीह पर विश्वास करते हैं तब हम मूसा के कानून को खत्म कर देते हैं? बिल्कुल नहीं। व्यक्ति विश्वास से परमेश्वर की धार्मिकता प्राप्त करता है और कानून ने उसी धार्मिकता के बारे में बताया था।

अध्याय 4

1 हमें अपने पिता अब्राहम के बारे में क्या कहना चाहिए? मान लीजिए कि अब्राहम ने अपने कामों से अपनी धार्मिकता कमाई।
2 इस मामले में, अब्राहम अपने कामों के बारे में अपनी बड़ाई कर सकता था। आखिरकार, उसने खुद अपनी धार्मिकता कमाई इसलिए उसे परमेश्वर की धार्मिकता की ज़रूरत नहीं।
3 लेकिन शास्त्र क्या कहते हैं? अब्राहम ने परमेश्वर पर विश्वास किया। परमेश्वर ने उसके विश्वास को देखा और अब्राहम को उपहार के रूप में अपनी धार्मिकता दी।
4 जब कोई व्यक्ति काम करता है तब उसे उसके काम की तनख्वाह मिलती है। वह अपने इनाम का हकदार है और वह इसे उपहार के रूप में नहीं पाता।
5 पापी व्यक्ति धार्मिकता कमाने के अच्छा व्यवहार नहीं कर सकता। लेकिन अगर वह परमेश्वर पर विश्वास करेगा तो परमेश्वर उसे उसके पाप से आज़ाद कर देगा। परमेश्वर पापी के विश्वास को देखेगा और उसे उपहार के रूप में अपनी धार्मिकता देगा।
6 राजा दाऊद भी कहता है कि वह व्यक्ति कितना आशीषित है जिसे परमेश्वर अपनी धार्मिकता देता है जबकि वह व्यक्ति अपने कामों से इसका हकदार नहीं था।
7 “वह व्यक्ति आशीषित है जिसके नीच कामों को परमेश्वर माफ़ करता है और उसके पापों को दूर कर देता है।
8 वह व्यक्ति आशीषित है जब परमेश्वर उससे पाप का दोष दूर कर देता है।”
9 परमेश्वर किसे यह आशीष देता है? खतना किए हुए यहूदी व्यक्ति को या खतनारहित अन्यजाति व्यक्ति को? हम कहते हैं कि अब्राहम ने परमेश्वर पर विश्वास किया। परमेश्वर ने उसका विश्वास देखा और अब्राहम को अपनी धार्मिकता दी।
10 क्या परमेश्वर ने उसे अपनी धार्मिकता उसके खतना करने से पहले दी या उसके खतना करने के बाद दी? परमेश्वर ने अब्राहम क खतना करने से पहले उसे अपनी धार्मिकता दी।
11 और खतने के द्वारा परमेश्वर ने पक्का किया कि उसने अब्राहम को अपनी धार्मिकता पहले से ही दे दी। खतना उस धार्मिकता की मुहर बना जिसे परमेश्वर ने उसके शरीर पर लगाया। लेकिन अब्राहम ने अपना खतना करने से पहले परमेश्वर पर विश्वास किया था। इसलिए अब्राहम सब विश्वासियों के पिता बने जिन्होंने खतना नहीं कराया। परमेश्वर उनके विश्वास को देखता है और वह उन्हें अपनी धार्मिकता देता है।
12 अब्राहम उन सभी के भी पिता बनें जिन्होंने खतना कराया। लेकिन खतना किए हुए यहूदी लोगों को अब्राहम के नक्शे कदम पर चलना चाहिए। उन्हें उसी तरह से विश्वास करना चाहिए जैसे अब्राहम ने खतने से पहले विश्वास किया था।
13 परमेश्वर ने अब्राहम को विश्वास के द्वारा अपनी धार्मिकता दी। परमेश्वर ने अब्राहम और उसके वंश से वादा किया कि वह उन्हें पूरी दुनियाँ विरासत के रूप में दे देगा। अब्राहम को विश्वास के द्वारा यह वादा मिला, न कि मूसा के कानून के आधार पर।
14 मान लीजिए कि परमेश्वर मूसा का कानून मानने वालों को अपनी विरासत देगा। इस मामले में, विश्वास की ज़रूरत नहीं। और परमेश्वर को उस वादे को वापस लेना पड़ेगा जो अब्राहम ने विश्वास के द्वारा प्राप्त किया था।
15 परमेश्वर लोगों पर गुस्सा हो रहा है क्योंकि वे कानून को तोड़ते हैं। लेकिन अगर कोई कानून नहीं तो पाप के लिए कोई दोष भी नहीं।
16 हम विश्वास के द्वारा परमेश्वर का वादा प्राप्त करते हैं। परमेश्वर अपने अनुग्रह से यह करता है। यह वादा अब्राहम के सब वंशजों को मिलता है जो अब्राहम की तरह ही विश्वास करते हैं। और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई व्यक्ति मूसा के कानून के अनुसार जीवन जीता है या नहीं। अब्राहम हम सभी का पिता बन गया जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं।
17 शास्त्र अब्राहम के बारे में कहते हैं, “मैंने आपको कई राष्ट्रों का पिता बनाया।” अब्राहम परमेश्वर की उपस्थिति में खड़ा हुआ और विश्वास किया कि परमेश्वर मरे हुओं को फिर से जिलाने के योग्य है। अब्राहम ने विश्वास किया कि जो चीजें अभी तक मौजूद नहीं परमेश्वर उन चीजों के बारे में ऐसे बोलते हैं जैसे कि वे पहले से मौजूद हैं।
18 परमेश्वर ने कहा, “हे अब्राहम, तुम्हारे बहुत से वंशज होंगे।” और जब कोई उम्मीद नहीं बची थी तब भी अब्राहम ने आशा और विश्वास करना जारी रखा। इसलिए वह कई राष्ट्रों के पिता बने।
19 अब्राहम का विश्वास कमज़ोर नहीं हुआ। उसने नहीं सोचा कि वह लगभग 100 साल का है और उसका शरीर बूढ़ा हो गया है। अब्राहम ने भी नहीं सोचा कि सारा बूढ़ी हो गई है और वह अब गर्भवती नहीं हो सकती।
20 अब्राहम को कोई शक नहीं था कि परमेश्वर अपना वादा पूरा करेगा इसलिए अब्राहम ने अविश्वास को मौका नहीं दिया। इससे उल्टा, उसने परमेश्वर की महिमा की और अपने विश्वास को और मज़बूत बनाया।
21 अब्राहम को पूरी तरह से यकीन था कि परमेश्वर वह करने में सक्षम है जो उसने वादा किया था।
22 इसलिए परमेश्वर ने अब्राहम को अपनी धार्मिकता दी।
23 शास्त्र कहते हैं, “परमेश्वर ने अब्राहम के विश्वास को देखा और उसे अपनी धार्मिकता दी।” लेकिन यह सिर्फ़ अब्राहम के बारे में नहीं लिखा गया था।
24 शास्त्र भी सभी विश्वासियों के बारे में बात करते हैं। हम परमेश्वर पर विश्वास करते हैं जिसने हमारे प्रभु यीशु मसीह को मरे हुओं में से जिलाया। परमेश्वर हमारे विश्वास को देखता है और वह हमें अपनी धार्मिकता देता है।
25 यीशु हमारे पापों के लिए बलिदान बन गया। लेकिन परमेश्वर ने मसीह को फिर से जीवित किया ताकि हम परमेश्वर की धार्मिकता प्राप्त कर सकें।

अध्याय 5

1 हमने विश्वास के द्वारा परमेश्वर की धार्मिकता पाई और परमेश्वर से मेल-मिलाप कर लिया। जो हमारे प्रभु यीशु मसीह ने किया उसके कारण यह हुआ।
2 हम उस अनुग्रह में जीवन जीते हैं, जो हमने यीशु पर विश्वास करने के द्वारा पाया। अनुग्रह हमें आनन्द देता है और हमें भरोसा देता है कि हम परमेश्वर की महिमा में प्रवेश करेंगे।
3 जब हम कष्टों से गुज़रते हैं तब भी हम आनन्द मनाते हैं। हम जानते हैं कि परीक्षाएँ हमें धीरजवंत बनाती हैं।
4 और धीरज मज़बूत चरित्र का विकास करता है। मज़बूत चरित्र वाला व्यक्ति पूरी तरह से परमेश्वर पर भरोसा रखेगा।
5 और जो परमेश्वर पर भरोसा रखता है वह कभी निराश नहीं होगा। याद रखें कि परमेश्वर ने हमें अपना प्यार दिखाया। उसने हमें पवित्र आत्मा दी और परमेश्वर के प्रेम ने हमारे दिल को भर दिया।
6 पिछले समय में हमने पाप किया और हम निराश थे। लेकिन परमेश्वर ने ठीक समय ठहराया जब मसीह को हमारे लिए मरना पड़ा।
7 इसकी संभावना नहीं कि कोई व्यक्ति अपना जीवन किसी दूसरे व्यक्ति के लिए देना चाहे, चाहे वह अच्छा व्यक्ति ही क्यों न हो। फिर भी हो सकता है कि कोई ऐसे व्यक्ति के लिए मरने की हिम्मत करे जिसने उसके साथ बहुत सारे अच्छे काम किये हों।
8 लेकिन मसीह उस समय हमारे लिए मरा जब हम पाप में जीवन जीते थे। और इस तरह से परमेश्वर ने साबित किया कि वह हमसे कितना प्यार करता है।
9 मसीह के खून ने हमें पाप से साफ़ किया और परमेश्वर ने हमें अपनी धार्मिकता दी। इसलिए अब हमें पूरा भरोसा है कि मसीह हमें परमेश्वर के क्रोध से बचाएगा।
10 परमेश्वर का बेटा मरा और उसकी मौत ने परमेश्वर से हमारा मेल-मिलाप करा दिया, हालांकि उस समय हम परमेश्वर के दुश्मन थे। लेकिन अब हमने खुद का परमेश्वर से मेल-मिलाप कर लिया। और हमें पूरा भरोसा हैं कि मसीह ने हमें जीवन दिया और वह हमें मौत से बचाएगा।
11 अब भी हम परमेश्वर में आनन्द मना रहे हैं क्योंकि हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें परमेश्वर के साथ शान्ति मिली है।
12 जब आदम ने पाप किया तब एक व्यक्ति के द्वारा पाप इस दुनियाँ में आया। इसलिए आदम के कारण सभी लोग पाप करने लगे। और एक व्यक्ति के पाप के द्वारा मौत इस दुनियाँ में आई। इसलिए आदम के कारण सभी लोग मरने लगे।
13 इससे पहले कि परमेश्वर ने मूसा के द्वारा कानून दिया, लोगों ने पाप किया। लेकिन पाप के लिए कोई दोष नहीं था क्योंकि उस समय परमेश्वर का कोई कानून नहीं था।
14 इसलिए लोग परमेश्वर की आज्ञा को नहीं तोड़ सकते थे जैसा कि आदम ने किया था। लेकिन आदम के समय से मूसा के समय तक लोग मर रहे थे। और मौत ने दुनियाँ पर राज किया। और जैसे आदम सभी लोगों के लिए मौत लाया वैसे ही मसीह सभी लोगों के लिए जीवन को लाया।
15 परमेश्वर ने हमें अपना अनुग्रह दिया। परमेश्वर का अनुग्रह और आदम का पाप उल्टा परिणाम लाए। जब आदम ने पाप किया तब एक व्यक्ति के कारण बहुत से लोग मर गए। लेकिन परमेश्वर ने अपना अनुग्रह उपहार के रूप में यीशु मसीह को दिया। और एक व्यक्ति के द्वारा बहुत से लोगों ने परमेश्वर का अनुग्रह और धार्मिकता बहुतायत में पाई। अनुग्रह और धार्मिकता पाप से बहुत अधिक शक्तिशाली हैं।
16 मसीह के द्वारा धार्मिकता का उपहार और आदम का पाप अलग-अलग परिणाम लाए। परमेश्वर ने आदम को एक पाप के लिए दोषी ठहराया और एक व्यक्ति ने सारी मानव जाति को दोषी बनाया। लेकिन मसीह के द्वारा परमेश्वर ने उपहार के रूप में अपना अनुग्रह दिया। उसने सारी मानव जाति को बहुत से पापों से छुटकारा दिया और अनुग्रह से परमेश्वर ने लोगों को अपनी धार्मिकता दी।
17 आदम ने पाप किया इसलिए एक व्यक्ति के कारण मौत ने इस दुनियाँ पर राज किया। लेकिन यीशु मसीह के द्वारा हमें बहुतायत में अनुग्रह और धार्मिकता का उपहार मिला। और एक व्यक्ति के द्वारा हम जीवन में राज करेंगे। मसीह ने हमें जीवन दिया और इस के पास मौत से बहुत अधिक शक्ति है।
18 जब आदम ने पाप किया तब एक व्यक्ति ने सभी लोगों को पाप का दोषी बनाया। लेकिन मसीह ने धार्मिकता से काम किया। और एक व्यक्ति ने सभी लोगों को पाप से आज़ाद कर दिया। उसने सभी लोगों को धार्मिकता और जीवन दिया।
19 आदम ने परमेश्वर की आज्ञा का पालन नहीं किया और एक व्यक्ति के कारण बहुत से लोग पापी बन गए। लेकिन मसीह ने परमेश्वर की आज्ञा का पालन किया। और एक व्यक्ति के द्वारा बहुत से लोग धर्मी बन जाएंगे।
20 आदम ने पाप किया और बाद में परमेश्वर ने मूसा के द्वारा अपना कानून दिया। जब लोगों ने कानून तोड़ा तब वे समझ पाए कि वे कितने पाप करते थे। लोगों ने अधिक से अधिक पाप किया और तब परमेश्वर ने अपना अनुग्रह बहुतायत में दिया।
21 पाप ने सभी लोगों पर राज किया और उन्हें मार डाला। लेकिन अब अनुग्रह परमेश्वर की धार्मिकता के द्वारा राज करता है। और अनुग्रह ने हमें हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा अनन्त जीवन दिया।

अध्याय 6

1 लेकिन कुछ लोग कहते हैं, “अगर हम पाप करते रहें तो परमेश्वर हमें ज़्यादा से ज़्यादा अपना अनुग्रह देगा।” लेकिन निश्चित रूप से, यह सच नहीं।
2 हमारा पापी स्वभाव मर गया। हम पाप में अपना जीवन जीना कैसे जारी रख सकते हैं?
3 हम सभी ने बपतिस्मा लिया। और आप जानते हैं कि बपतिस्मा ने हमें यीशु मसीह और उसकी मौत के साथ एकजुट कर दिया।
4 बपतिस्मा के दौरान हम पानी के नीचे गए। इसका मतलब है कि हमने खुद को मसीह के साथ दफन कर लिया। बपतिस्मा ने हमें मसीह की मौत के साथ एकजुट किया। लेकिन पिता परमेश्वर ने अपनी महिमा दिखाई और मसीह को मरे हुओं में से जिलाया। बपतिस्मा के दौरान हम भी पानी से ऊपर आए। इसका मतलब है कि हम मसीह के साथ फिर से जीवित हो गए और अब हम नया जीवन जीते हैं।
5 बपतिस्मा ने हमें मसीह की मौत के साथ एकजुट किया। और सच में, बपतिस्मा ने हमें मसीह के जिलाए जाने के साथ भी एकजुट किया।
6 हमें पाप से आज़ादी मिली जो हमारे शरीर में रहता था। अब हम गुलामों की तरह पाप के अधीन नहीं। हम जानते हैं कि हमने मसीह के साथ मिलकर अपने अन्दर के इंसान के पुराने पापी स्वभाव को क्रूस पर चढ़ा दिया।
7 मरा हुआ व्यक्ति पाप नहीं कर सकता क्योंकि उसे पाप से आज़ादी मिल गई है।
8 हम मसीह के साथ मर गए। और हम विश्वास करते हैं कि हम भी मसीह के साथ जियेंगे।
9 हम जानते हैं कि मसीह मरे हुओं में से जी उठा और वह कभी नहीं मरेगा। मौत ने उसके ऊपर से अपनी शक्ति खो दी।
10 मसीह एक बार मरा और हमें पाप से आज़ादी दी। अब मसीह जीवित है और उसका जीवन परमेश्वर का है।
11 इसलिए अपने आप के बारे में आज़ाद व्यक्ति की तरह सोचें जो पाप के लिए मर चुका है। यह भी सोचें कि अब आप परमेश्वर के लिए जीते हैं और आपका जीवन हमारे प्रभु यीशु मसीह का है।
12 पाप आपके नाशवान शरीर में राज न करने पाए। जब पाप वासना भरी इच्छाओं को आपके पास लाता है तब अपने आप को पाप के अधीन न करें।
13 अपने शरीर को पाप के अधिकार में न सौंपें। अगर आप पाप करते हैं तो आपका शरीर ऐसा हथियार बन जाता है जो बुराई की सेवा करता है। पिछले समय में आपके पापों ने आपको मार दिया था लेकिन अब आप मरे हुओं में से वापस आ गए। इसलिए अपना जीवन परमेश्वर को दें और अपने शरीर को ऐसा हथियार बनाएं जो धार्मिकता की सेवा करता है।
14 परमेश्वर ने आपको मूसा के कानून को मानने से आज़ाद किया और उसने आपको अनुग्रह दिया। इसलिए पाप आपके ऊपर राज नहीं करना चाहिए।
15 हम मूसा के कानून के अनुसार अपना जीवन नहीं जीते, हम अनुग्रह से जीते हैं। लेकिन अनुग्रह में जीने का मतलब यह नहीं कि हम पाप में जी सकते हैं।
16 क्या आप नहीं समझते? आप उन चीजों के गुलाम बन जाते हैं जिनको आप मानते हैं। अगर आप पाप के अधीन होते हैं तो आप पाप के गुलाम बन जाते हैं। और पाप आपको मार डालेगा। और अगर आप परमेश्वर की आज्ञा मानते हैं तो आप धार्मिकता के गुलाम बन जाते हैं। और धार्मिकता आपको जीवन देगी।
17 आप पाप की गुलामी में जीते थे। लेकिन अब आप हमारे उदाहरण का पालन करते हैं और आप ने पूरे दिल से मसीह की शिक्षाओं को माना। इसलिए हम आपके लिए परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं।
18 अब आप पाप की गुलामी से आज़ाद हैं और धार्मिकता के गुलाम बन गए हैं।
19 मैं आपके जीवन से एक उदाहरण दूँगा जिस समय आप पाप में जीते थे। उस समय आपने बुरे काम करने के लिए अपने शरीर को गलत यौन संबंधों और बुराई की गुलामी में सौंप दिया था। उसी तरह से अब आपको पवित्र काम करने के लिए अपने शरीर को धार्मिकता की गुलामी में दे देना है।
20 जब आप पाप के गुलाम थे तब आप धार्मिकता से आज़ाद थे।
21 आपके बुरे कामों ने बुरे फल पैदा किए। आपने ऐसे काम किए जिससे अब आपको शर्म महसूस होती है। आपके बुरे काम आपको मौत की ओर ले गए।
22 लेकिन अब आप परमेश्वर के गुलाम बन गए और पाप से आज़ाद हो गए। आप अच्छे काम करते हैं और पवित्रता का फल पैदा करते हैं। और पवित्रता आपको अनन्त जीवन की ओर ले जाती है।
23 मौत पाप की सजा है। लेकिन अनन्त जीवन परमेश्वर का उपहार है। और यह अनन्त जीवन हमारे प्रभु यीशु मसीह में है।

अध्याय 7

1 हे भाइयों, मैं उन लोगों से कहता हूँ जो मूसा के कानून को जानते हैं। किसी व्यक्ति पर कानून का अधिकार तब तक होता है जब तक वह व्यक्ति जीवित है।
2 जब किसी औरत की शादी होती है तब मूसा का कानून उसे उसके पति के साथ बान्ध देता है। लेकिन अगर उसका पति मर जाता है तो कानून के अनुसार वह शादी से आज़ाद हो जाती है।
3 अगर वह अपने पति के जीवित रहते हुए किसी दूसरे आदमी से शादी करेगी तो वह विश्वासघाती हो जाएगी और वह व्यभिचार में दोषी होगी। लेकिन अगर उसका पति मर जाता है तो कानून के अनुसार वह शादी से आज़ाद हो जाती है। और अगर वह दूसरी बार शादी करेगी तो वह विश्वासघाती नहीं होगी।
4 हे भाइयों, मेरा मतलब यही है। जब मसीह क्रूस पर मरा तब आप भी उसके साथ मर गये। और मरे हुए व्यक्ति पर कानून का कोई अधिकार नहीं। अब आप मूसा के कानून से संबंध नहीं रखते। आप मसीह के हैं जिसे परमेश्वर ने मरे हुओं में से जिलाया। इसलिए आपको अच्छे काम करने चाहिए और आप ऐसे फल पैदा करेंगे जो परमेश्वर को खुश करेंगे।
5 पहले हमने पाप के बारे में सोचा और अपने पापी स्वभाव के अधीन हो गये। और उस समय हमारी पापी आदतों ने हमारे शरीर में काम किया। मूसा के कानून ने उन पापों की ओर इशारा किया जो हम करते थे। और हमारे जीवन में हमारी पापी आदतों ने ऐसे फलों को पैदा किया जो हमें मौत की ओर ले गए।
6 हम मूसा के कानून को मानते थे। लेकिन अब हम उस कानून के लिए मर गए और उस से आज़ादी पाई। पहले हमने हर एक अक्षर का पालन किया जो मूसा ने कानून में लिखा और इस तरह से हमने परमेश्वर की सेवा की। लेकिन अब हम पुराने तरीके से परमेश्वर की सेवा नहीं करते। उसने हमें पवित्र आत्मा दी और हम नए तरीके से परमेश्वर की सेवा करते हैं।
7 हमें पाप और मूसा के कानून के बारे में क्या कहना चाहिए? क्या मेरे जीवन में पाप इसलिए आया क्योंकि परमेश्वर ने अपना कानून दिया? बिल्कुल नहीं। लेकिन कानून ने मेरे पापों की ओर इशारा किया इसलिए मैं समझ पाया कि पाप क्या है। मान लीजिए कि कानून ईर्ष्या के बारे में कुछ नहीं कहता। इस मामले में, मैं यह समझ ही नहीं पाता कि ईर्ष्या करना गलत है।
8 लेकिन जब मैंने परमेश्वर की आज्ञा सुनी तब मुझे एहसास हुआ कि मैं पाप करता हूँ। और पाप ने मुझ में सभी प्रकार की ईर्ष्या भरी इच्छाओं को जगा दिया। लेकिन अगर कोई कानून नहीं होता तो लोग यह नहीं समझते कि पाप उनके अन्दर रहता है।
9 पहले मैं अपना जीवन जीता था और मुझे नहीं पता था कि कानून मौजूद है। लेकिन जब मैंने परमेश्वर की आज्ञा को सुना तब मुझे एहसास हुआ कि पाप मेरे अन्दर रहता है और मेरे पाप भरे काम मुझे मारते हैं।
10 परमेश्वर ने अपनी आज्ञा दी ताकि मैं जीवित रहूँ। लेकिन आज्ञा ने मेरे पाप की ओर इशारा किया और पाप मेरे लिए मौत को लाया।
11 मैंने परमेश्वर की आज्ञा को सुना और मुझे एहसास हुआ कि जब मैं इसे तोड़ता हूँ तब मैं पाप करता हूँ। लेकिन पाप ने मुझे धोखा दिया। इसलिए मैंने सोचा कि यह परमेश्वर की आज्ञा थी जो मुझे मार रही थी, मेरा पाप नहीं।
12 हम जानते हैं कि परमेश्वर ने मूसा का कानून दिया इसलिए वह कानून पवित्र है। और हर एक आज्ञा लोगों में पवित्रता, धार्मिकता और भलाई को लाती है।
13 इसलिए क्या इसका मतलब यह है कि परमेश्वर की आज्ञा ने मुझ में कुछ अच्छा करने के बजाय मुझे मार डाला? बिल्कुल नहीं। मेरे पाप भरे कामों ने मुझे मार डाला। जब मैं आज्ञा को तोड़ता हूँ तब मैं समझता हूँ कि पाप कितना भयानक है। पाप ने अच्छी आज्ञा का इस्तेमाल किया और मेरे लिए मौत को लाया।
14 हम जानते हैं कि कानून आत्मिक चीजों के बारे में बात करता है। और मुझे पाप की गुलामी में बेच दिया गया था। इसलिए मैं पाप के बारे में सोचता हूँ और अपने पापी स्वभाव के अधीन हो जाता हूँ।
15 मैं अपने आप को नहीं समझता। मैं वही करना चाहता हूँ जो सही है। लेकिन इससे उल्टा, मैं उन चीजों को करता हूँ जिनसे मैं नफ़रत करता हूँ।
16 मैं मानता हूँ कि परमेश्वर ने अपना कानून दिया जो लोगों के लिए अच्छाई लाता है। लेकिन मैं गलत काम करता हूँ, हालांकि मैं उन्हें नहीं करना चाहता।
17 इसलिए इन कामों को करने के लिए मुझे क्या मजबूर करता है? पाप मुझमें रहता है और पाप की शक्ति मेरी शक्ति से अधिक है।
18 मैं जानता हूँ कि मेरे अन्दर पापी स्वभाव रहता है और इसमें कुछ भी अच्छाई नहीं। मैं अच्छा करना चाहता हूँ लेकिन मेरे पास ऐसा करने की शक्ति नहीं।
19 मैं अच्छा काम करना चाहता हूँ लेकिन मैं यह नहीं करता। मैं बुरा काम नहीं करना चाहता लेकिन मैं यह करता हूँ।
20 मैं वह करता हूँ जो गलत है हालांकि मैं वह करना चाहता हूँ जो अच्छा है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पाप मेरे अन्दर रहता है और पाप की शक्ति मेरी शक्ति से अधिक है।
21 पाप का कानून मेरे अन्दर काम करता है। और जब मैं वह करना चाहता हूँ जो सही है तब मैं अपने पापी स्वभाव पर जीत नहीं सकता।
22 हे भाइयों, मैं आपको याद दिलाता हूँ कि मैं उन लोगों से कहता हूँ जो मूसा के कानून को जानते हैं। जब मैं परमेश्वर के कानून के बारे में सोचता हूँ तब मैं आनन्दित होता है।
23 लेकिन पाप का कानून मेरे शरीर में काम करता है और यह मुझे गुलामी में रखता है। मेरा पापी स्वभाव मेरे दिमाग की अच्छी इच्छाओं के साथ युद्ध करता हैं।
24 मैं कितना दुखी इन्सान हूँ! मुझे मेरे नाशवान शरीर से कौन बचाएगा जहाँ पाप रहता है?
25 अपने दिमाग में मैं परमेश्वर के कानून को मानना ​​चाहता हूँ। लेकिन मेरा पापी स्वभाव मुझे पाप का गुलाम बनाता है। लेकिन मैं अब परमेश्वर को धन्यवाद देता हूँ कि वह हमें हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा पाप से आज़ादी देता है।

अध्याय 8

1 अब हम यीशु मसीह के हैं और परमेश्वर हमें पाप में दोषी नहीं बनाता। इसलिए पवित्र आत्मा की इच्छाओं के पीछे चलें। और खुद को पुराने पापी स्वभाव के अधीन न करें।
2 पवित्र आत्मा ने हमारे दिलों में अपने कानून को लिखा और हमें जीवन दिया। यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर ने हमें पाप के नियम से आज़ाद किया जो मौत लाता है।
3 मूसा के कानून में पापी इन्सान के स्वभाव को बदलने की शक्ति नहीं थी। इसलिए परमेश्वर ने अपने बेटे को धरती पर भेजा और उसे ऐसा शरीर दिया जैसा पापी व्यक्ति का शरीर होता है। परमेश्वर ने हमारे पापों के लिए अपने बेटे को दे दिया ताकि उसका बेटा बलिदान हो जाए। और जब परमेश्वर के बेटे ने हमारे पाप को अपने ऊपर ले लिया तब परमेश्वर ने पाप पर दंड की आज्ञा सुनाई।
4 परमेश्वर ने हमें अपनी धार्मिकता दी और मूसा का कानून उस धार्मिकता के बारे में बात करता था। अब हमें पवित्र आत्मा की इच्छाओं का पालन करना है। हमें अपने पुराने पापी स्वभाव के अधीन नहीं होना है।
5 जो व्यक्ति अपने पापी स्वभाव के अधीन हो जाता है वह पाप के बारे में सोचता है। और जो व्यक्ति पवित्र आत्मा के अधीन हो जाता है वह आत्मिक चीजों के बारे में सोचता है।
6 अगर कोई व्यक्ति पाप के बारे में सोचता है तो वह मर जाएगा। लेकिन अगर कोई व्यक्ति आत्मिक चीजों के बारे में सोचता है तो वह जीवन और शान्ति पाएगा।
7 पापी इन्सान का स्वभाव परमेश्वर के कानून का पालन नहीं करता क्योंकि यह ऐसा नहीं कर सकता। जब कोई व्यक्ति पाप के बारे में सोचता है तब वह परमेश्वर का दुश्मन बन जाता है।
8 इसलिए जो कोई अपने पापी स्वभाव का पालन करता है वह परमेश्वर की योजनाओं को पूरा नहीं कर पाएगा।
9 लेकिन अब परमेश्वर की आत्मा आपके अन्दर रहती है। इसलिए अब आप अपने पापी स्वभाव के अधीन नहीं होते। आप परमेश्वर की आत्मा के अधीन हो जाते हैं। लेकिन अगर मसीह की आत्मा किसी व्यक्ति के अन्दर नहीं रहती तो ऐसा व्यक्ति मसीह का नहीं।
10 लेकिन मसीह आपके अन्दर रहता है। पाप के कारण आपका शरीर मर जाएगा। लेकिन आपकी आत्मा जीवित रहेगी क्योंकि परमेश्वर ने आपको अपनी धार्मिकता दी है।
11 परमेश्वर ने अपनी आत्मा के द्वारा यीशु को मरे हुओं में से जिलाया। अब परमेश्वर की वही आत्मा आपके अन्दर रहती है। और जैसे परमेश्वर ने मसीह को जिलाया वैसे ही वह आपके नाशवान शरीर को जीवित कर देगा। परमेश्वर अपनी आत्मा के द्वारा यह करेगा जो आपके अन्दर रहती है।
12 हे भाइयों, हमें अपने पापी स्वभाव के अधीन नहीं होना है। हमें पाप में अपना जीवन नहीं जीना है।
13 लेकिन अगर आप पाप में जीते हैं तो आप मर जाएंगे। अपने शरीर की इच्छाओं के पीछे न चलें। पवित्र आत्मा की शक्ति से अपने पाप भरे कामों को मार डालें और तब आप जीवित रहेंगे।
14 अब आप परमेश्वर के बेटे बन गए। और परमेश्वर की आत्मा परमेश्वर के सभी बेटों की अगुवाई करती है।
15 आपको वह आत्मा मिली जिसने आपको बेटे बनाया, गुलाम नहीं। इसलिए गुलामों की तरह डर में न रहें। परमेश्वर ने हमें अपनाया और उसकी आत्मा के साथ हम परमेश्वर को “हे पिता, पिता!” कहकर ज़ोर से चिल्लाते हैं।
16 और परमेश्वर की आत्मा हमारी आत्मा की पुष्टि करती है कि हम परमेश्वर के बच्चे बन गए हैं।
17 और बच्चों को विरासत मिलती है। इसका मतलब है कि हम परमेश्वर के वारिस बन गए। और मसीह के साथ हम परमेश्वर की विरासत पाएंगे। इसका मतलब यह भी है कि हम मसीह के साथ दु:ख उठाएंगे। और उसके साथ हम परमेश्वर की महिमा में प्रवेश करेंगे।
18 आपको समझना चाहिए कि अब हम दु:ख उठाते हैं लेकिन वह समय आएगा जब हमारे दु:ख खत्म हो जाएंगे। और परमेश्वर हमें अपनी महिमा दिखाएगा जिस की तुलना हमारे दु:खों के साथ करना नामुमकिन है। दु:ख थोड़े समय का हैं लेकिन परमेश्वर की महिमा असीमित है।
19 परमेश्वर सारी सृष्टि को प्रकट करेगा कि परमेश्वर के बेटे कौन है। और परमेश्वर की सृष्टि उस दिन का बेसब्री से इन्तज़ार करती है।
20 सारी सृष्टि अपनी इच्छा के खिलाफ़ बेमतलब की मौजूदगी और मौत के अधीन थी। जब आदम ने पाप किया तब परमेश्वर ने पृथ्वी को श्राप दिया। लेकिन परमेश्वर ने सारी सृष्टि को आशा दी।
21 वह दिन आएगा जब परमेश्वर के बच्चे आज़ादी प्राप्त करेंगे और परमेश्वर की महिमा में प्रवेश करेंगे। और उस दिन सारी सृष्टि मौत की गुलामी से आज़ाद हो जाएगी।
22 हम जानते हैं कि आज तक सारी सृष्टि बच्चे पैदा करने के समय में दर्द से कराहते हुई औरत की तरह दु:खी है।
23 और हम भी दु:ख उठाते हैं। लेकिन परमेश्वर ने हमें अपनी आत्मा दी जो हमारे नए जीवन की शुरुआत बन गई। हम बेसब्री से उस दिन का इन्तज़ार करते हैं जब परमेश्वर हमें अपनाएगा और हमारे शरीर को छुटकारा देगा।
24 परमेश्वर ने हमें बचाया। और उसने हमें दृढ़ आशा दी कि हम परमेश्वर की महिमा में प्रवेश करेंगे। आशा क्या है? आशा देख सकती है कि भविष्य में क्या होगा। हम पूरे भरोसे के साथ उम्मीद करते हैं कि वह दिन आएगा जब परमेश्वर अपने वादे को पूरा करेगा। और तब हम देखेंगे कि हमारी आशा पूरी हुई।
25 जब हमें परमेश्वर के अनदेखे वादों में पूरी आशा है तब यह हमें धीरज देता है। और हम धीरज से उस समय का इन्तज़ार करते हैं जब परमेश्वर वह पूरा करेगा जिसकी हम आशा करते हैं।
26 और अगर हम कमज़ोर या बीमार हो जाते हैं तब पवित्र आत्मा हमारी मदद करती है। हम नहीं जानते कि हमें किस बात के बारे में प्रार्थना करनी चाहिए। लेकिन आत्मा बड़ी शक्ति के साथ हमारे लिए परमेश्वर से विनती करती है और आत्मा प्रार्थना में कराहती है। और जो आत्मा कहती है उसे इंसानी शब्दों में प्रकट करना नामुमकिन है।
27 परमेश्वर व्यक्ति के दिल को देखता है। और परमेश्वर जानता है कि परमेश्वर की आत्मा किस बात के बारे में प्रार्थना करती है। आत्मा अपने पवित्र लोगों के लिए बड़ी शक्ति के साथ प्रार्थना करती है ताकि परमेश्वर के लोग परमेश्वर की योजना को पूरा करें।
28 परमेश्वर लोगों को अपनी बुलाहट देता है क्योंकि वह अपने लक्ष्यों तक पहुँचना चाहता है। और हम जानते हैं कि जो व्यक्ति परमेश्वर से प्यार करता है उस के जीवन में परमेश्वर सब कुछ बदलकर अच्छा कर देता है।
29 परमेश्वर पहले से जानता था और उन लोगों को चुन लिया जो उसके बेटे के रूप के समान बन जाएंगे। परमेश्वर का बेटा कई भाइयों में से पहिलौठा बन गया।
30 परमेश्वर ने पहले से उन लोगों को चुन लिया जिन्हें वह अपने पास बुलाए। और जब परमेश्वर ने उन्हें बुलाया तब वह उन्हें पाप से आज़ाद किया और उन्हें अपनी धार्मिकता दी। और उन लोगों ने परमेश्वर की महिमा में प्रवेश किया।
31 क्या आप समझते हैं कि इसका मतलब क्या है? परमेश्वर हमारी तरफ़ है। और कोई भी हमें हरा नहीं सकता।
32 परमेश्वर ने अपने बेटे को भी नहीं छोड़ा और सभी लोगों के पापों के लिए उसका जीवन दे दिया। क्या परमेश्वर हमें बाकी सब कुछ मसीह के साथ नहीं देगा?
33 परमेश्वर ने हमें चुना। कौन हम पर दोष लगाने की हिम्मत करेगा? परमेश्वर ने हमें पाप से आज़ाद किया और हमें अपनी धार्मिकता दी।
34 हमारी निंदा करने की हिम्मत कौन करेगा? यीशु मसीह मरा, लेकिन वह फिर से जी भी उठा। और परमेश्वर ने मसीह को स्वर्ग में बैठाया। परमेश्वर ने उसे अपने दाहिने हाथ पर आदर का स्थान दिया जहाँ मसीह हमारे लिए बहुत शक्ति के साथ परमेश्वर से प्रार्थना करता है।
35 हम मुसीबतों और मुश्किल परिस्थितियों से गुज़रते हैं। लोग हमें सताते हैं, हम भूख से मर रहे हैं और हमारे पास कोई कपड़े नहीं। हमारे जीवन खतरे में हैं और लोग हमें तलवार से मार सकते हैं। लेकिन कौन सी बात हमें मसीह से अलग कर सकती है जो हम से प्यार करता है? शास्त्र कहते हैं,
36 “हर रोज़ लोग हमें मारते हैं क्योंकि हम आप पर विश्वास करते हैं। वे हमारे साथ बलिदान होने वाली भेड़ की तरह व्यवहार करते हैं।”
37 लेकिन हम सभी दु:खों पर जय पाते हैं और पूरी जीत को प्राप्त करते हैं क्योंकि मसीह हमसे प्यार करता है।
38 मुझे यकीन है कि न मौत, न जीवन, न स्वर्गदूत, न ही बुरी आत्माएँ हमें परमेश्वर से अलग कर सकते हैं। कोई भी शक्तियाँ न आज और न ही भविष्य में यह कर सकती हैं।
39 ऊँचाई या गहराई में कोई भी रचना हमें परमेश्वर से अलग नहीं कर सकती जो हमसे प्यार करता है। परमेश्वर ने हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें अपना प्यार दिखाया।

अध्याय 9

1 मैं मसीह का हूँ और मैं आपको सच बताता हूँ। मेरी अंतरात्मा और पवित्र आत्मा इस बात की पुष्टि करते हैं कि मैं झूठ नहीं बोल रहा।
2 मुझे बहुत दु:ख होता है और मेरा दिल लगातार शोक मनाता है।
3 मेरी बड़ी इच्छा है कि मेरे अपने देश के यहूदी लोग मसीह की ओर फिरें। और अगर मैं ऐसा कर सकता तो मैं अपना उद्धार अपने लोगों को दे देता। और मैं खुद श्राप में गिर जाता और मसीह से अलग हो जाता।
4 परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को अपनाया और उन्हें अपनी महिमा दिखाई। उसने यहूदी लोगों के साथ अटूट समझौते किए और उन्हें अपना कानून दिया। इस्राएलियों ने परमेश्वर की आराधना की और परमेश्वर ने उन्हें अपने वादे दिए।
5 अब्राहम, इसहाक और याकूब इस्राएल के लोगों के पूर्वज हैं। और इस राष्ट्र में मसीह इन्सान के शरीर में पैदा हुआ था। मसीह परमेश्वर है। वह सारी सृष्टि पर राज्य करता है और वह अनन्त महिमा के योग्य है। आमीन।
6 लेकिन इस्राएलियों ने मसीह को ठुकरा दिया। क्या इसका मतलब यह है कि परमेश्वर ने अपना वचन पूरा नहीं किया? बिल्कुल नहीं। इस्राएल इस्राएलियों का पूर्वज था। लेकिन सभी जो इस्राएल राष्ट्र में पैदा हुए, वे परमेश्वर के लोग नहीं बनें।
7 और अब्राहम के सभी बच्चों को वे वादे विरासत में नहीं मिले जो परमेश्वर ने अब्राहम से किए। लेकिन परमेश्वर ने अब्राहम को बताया, “सारा इसहाक को जन्म देगी और तुम्हारे वंशज उससे आएंगे।”
8 इसहाक के अलावा, अब्राहम के कई दूसरे बच्चे थे। लेकिन वे मनुष्य की इच्छा से पैदा हुए थे। और परमेश्वर ने उन बच्चों के बारे में कुछ नहीं कहा। लेकिन इसहाक के द्वारा परमेश्वर ने अपना वादा पूरा किया जो उसने अब्राहम से किया था। इसहाक ने उसके परिवार को आगे बढ़ाया।
9 और परमेश्वर ने अब्राहम से यह वादा किया, “एक साल के बाद मैं फिर से आऊँगा और सारा का एक बेटा होगा।”
10 परमेश्वर ने ऐसा वादा सिर्फ़ अब्राहम को ही नहीं दिया। रिबका इसहाक की पत्नी बनी और वह सारा की तरह गर्भवती नहीं हो सकी। लेकिन परमेश्वर ने अपना वादा पूरा किया और रिबका ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। इसहाक ने अब्राहम के परिवार को आगे बढ़ाया।
11 परमेश्वर ने रिबका से उसके बेटों के जन्म से पहले ही इस बारे में बात की। उस समय उन्होंने कुछ भी बुरा या अच्छा नहीं किया। परमेश्वर अपना लक्ष्य पहले से ही निर्धारित करता है और उसे चुनता है जो उसकी योजना को पूरा करेगा।
12 परमेश्वर किसी व्यक्ति को उसके कामों के अनुसार बुलाहट नहीं देता। जुड़वा बच्चों के जन्म से पहले परमेश्वर ने रिबका को बताया, “सबसे बड़ा बेटा छोटे की सेवा करेगा।”
13 परमेश्वर शास्त्रों में कहता है, “मैंने याकूब से प्यार किया। और मैंने एसाव से नफ़रत की।”
14 हमें क्या कहना चाहिए? क्या परमेश्वर अन्याय से काम करता है? बिल्कुल नहीं।
15 परमेश्वर ने मूसा से कहा, “मैं फ़ैसला करता हूँ कि मैं किस को दया दिखाऊँगा। मैं फ़ैसला करता हूँ कि मैं किस को करुणा दिखाऊँगा।”
16 परमेश्वर की दया मनुष्य की इच्छाओं या कोशिशों पर निर्भर नहीं करती। परमेश्वर की दया खुद परमेश्वर पर निर्भर करती है।
17 परमेश्वर ने शास्त्रों में कहा, “हे फिरौन, मेरा एक लक्ष्य था कि सारी पृथ्वी मेरा नाम जान सके। इसलिए मैंने तुम्हें ऊँचा किया और तुम्हारे ऊपर अपनी शक्ति दिखाई।”
18 इसलिए अगर परमेश्वर चाहता है तो वह किसी व्यक्ति पर दया करेगा। और अगर परमेश्वर चाहता है तो वह किसी व्यक्ति का दिल कठोर बना देगा।
19 और आप मुझे बताएंगे, “इस मामले में, मेरा दोष क्या है? जो परमेश्वर करना चाहता है क्या कोई उसका विरोध कर सकता है?”
20 हे मनुष्य, तुम परमेश्वर के साथ बहस कर रहे हो। लेकिन तुम हो कौन? क्या बनाई हुई चीज़ अपने बनाने वाले से कह सकती है, “तुमने मुझे ऐसा क्यों बनाया?”
21 कुम्हार अलग-अलग प्रकार के बर्तन बनाता है। क्या उसे मिट्टी के एक ही टुकड़े से एक महंगा बर्तन और कूड़े के लिए दूसरा साधारण बर्तन बनाने का अधिकार नहीं?
22 लोगों ने खुद को अशुद्धता से भर लिया। इसलिए परमेश्वर ने उन पर गुस्सा होना चाहता था और उन्हें कूड़े के बर्तन की तरह नष्ट करना चाहता था। परमेश्वर को अपनी शक्ति दिखाने का अधिकार था। लेकिन जिन लोगों को नष्ट करने के लिए वह तैयार था, उनके लिए उसके मन में बहुत धीरज था।
23 और उसी समय परमेश्वर ने दूसरे लोगों को अपनी महिमा का धन दिखाया। ये लोग महंगे बर्तनों की तरह हैं। और उन्हें परमेश्वर ने अपनी दया दिखाई। परमेश्वर ने इन लोगों को पहले से तैयार किया ताकि वे उसकी महिमा में प्रवेश कर सकें।
24 और हम ये लोग हैं। परमेश्वर ने हमें अपने पास बुलाया। और सिर्फ़ यहूदी लोग ही नहीं लेकिन अन्यजाति लोग भी उसके पास आए।
25 परमेश्वर ने होशे भविष्यवक्ता की किताब में अन्यजाति लोगों के बारे में कहा, “जो लोग मेरे लोगों में से नहीं थे, अब उन्हें मैं अपने लोग बुलाऊँगा। जिनसे मैं पहले प्यार नहीं करता था, अब उन्हें मैं अपने प्रिय लोग कहूँगा।”
26 पिछले समय में परमेश्वर ने अन्यजाति लोगों से कहा, “आप मेरे लोग नहीं।” लेकिन अब उसी स्थान पर परमेश्वर उनसे कहते हैं, “आप जीवित परमेश्वर के बेटे बन गए।”
27 और यशायाह भविष्यवक्ता ने इस्राएल के बेटों के बारे में घोषणा की, ”इस्राएल में उतने लोग हैं जितनी समुद्र में रेत है। लेकिन परमेश्वर अपने लोगों में से सिर्फ़ कम को ही बचाएगा।
28 प्रभु पृथ्वी पर अपना आखिरी न्याय जल्दी ही पूरा करेगा।”
29 यशायाह ने भी भविष्यवाणी की, “सर्वशक्तिमान प्रभु ने हम पर दया की और हमारे लिए उन वंशजों को छोड़ दिया जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं। नहीं तो, हम सदोम और अमोरा के जैसे हो जाते।”
30 हमें क्या कहना चाहिए? अन्यजाति लोगों ने धर्मी बनने के लिए कोई कोशिश नहीं की। लेकिन उन्होंने मसीह पर विश्वास किया और इसलिए उन्होंने परमेश्वर की धार्मिकता पाई।
31 लेकिन इस्राएल के लोग धार्मिकता पाना चाहते थे और इसलिए उन्होंने मूसा के कानून का पालन किया। लेकिन कानून के द्वारा इस्राएल ने परमेश्वर की धार्मिकता प्राप्त नहीं की।
32 क्यों? क्योंकि लोगों ने परमेश्वर पर विश्वास करने के द्वारा धर्मी बनने की कोई कोशिश नहीं की। लोगों ने मूसा के कानून के अनुसार किए गए कामों के द्वारा धर्मी बनने की कोशिश की। और मसीह वही ठोकर का पत्थर बन गया जिस पर उन्होंने ठोकर खाई।
33 परमेश्वर शास्त्रों में कहता है, “मैंने सिय्योन के पर्वत पर ठोकर खाने का पत्थर रखा। इस पत्थर पर लोग ठोकर खाएंगे। इस चट्टान के कारण लोग गिर जाएंगे। लेकिन जो कोई उस पर विश्वास करेगा वह निराश नहीं होगा।”

अध्याय 10

1 हे भाइयों, मैं परमेश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि इस्राएल को उद्धार मिले। और मेरा दिल इस इच्छा से भरा है।
2 मैं इस बात को पक्का कर सकता हूँ कि यहूदी लोग तड़प के साथ परमेश्वर के पास आने का हर संभव प्रयास करते हैं। लेकिन उनकी तड़प गलतफहमी पर आधारित है।
3 इस्राएल के लोग नहीं समझते कि परमेश्वर की धार्मिकता क्या है। वे अपनी धार्मिकता का पीछा करने का हर संभव प्रयास करते हैं। इसलिए वे परमेश्वर की धार्मिकता को ठुकरा देते हैं।
4 जब मसीह आया तब मूसा के कानून ने अपनी शक्ति खो दी। अब परमेश्वर उसे अपनी धार्मिकता देता है जो यीशु पर विश्वास करता है।
5 मूसा लिखता है कि कानून के आधार पर धार्मिकता कैसे प्राप्त करें, “लोगों को कानून को मानना है। और जो व्यक्ति कानून को मानता है वह कानून के लिए जीता है।”
6 जो धार्मिकता व्यक्ति को विश्वास से मिलती है, उसके विषय में शास्त्र कहते हैं, “आप परमेश्वर के वचन पर विश्वास कर सकते हैं क्योंकि वह ऊपर स्वर्ग में नहीं। इसलिए अपने दिल में ऐसा न कहें, “अगर मसीह ऊपर स्वर्ग में जाकर मेरे पास परमेश्वर का वचन लेकर आए, तब मैं इस वचन पर विश्वास करूँगा।”
7 परमेश्वर का वचन पृथ्वी की सबसे गहराई वाली जगह में भी नहीं। इसलिए ऐसा न कहें, “अगर मसीह मरे हुओं की दुनियाँ में जाएगा, फिर से जीवित होगा और मेरे पास परमेश्वर का वचन लाएगा तब मैं इस वचन पर विश्वास करूँगा।”
8 लेकिन शास्त्र क्या कहते हैं? “परमेश्वर का वचन आपके नज़दीक है। इस शब्द को बोलें और अपने दिल में इस पर विश्वास करें।” हम परमेश्वर के उस वचन का प्रचार करते हैं जो विश्वास लाता है।
9 और अगर आप खुलकर अंगीकार करें कि यीशु आपका प्रभु बन गया और आप अपने दिल में विश्वास करें कि परमेश्वर ने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया तब आपको उद्धार मिलेगा।
10 जब हम अपने दिलों में विश्वास करते हैं कि परमेश्वर ने मसीह को जिलाया तब परमेश्वर हमें अपनी धार्मिकता देता है। और जब हम खुलकर अंगीकार करते हैं कि हम यीशु को अपने प्रभु तरह अपनाते हैं तब परमेश्वर हमें उद्धार देता है।
11 शास्त्र कहते हैं, “जो व्यक्ति मसीह पर विश्वास करता है वह परमेश्वर से कभी निराश नहीं होगा।”
12 और यहूदी व्यक्ति और अन्यजाति व्यक्ति में कोई अन्तर नहीं क्योंकि हम एक प्रभु पर विश्वास करते हैं। परमेश्वर अपने धन को हर एक को देता है जो उसे पुकारता है।
13 हर व्यक्ति जो यीशु के नाम को पुकारता है और उसे प्रभु के रूप में अपनाता है वह उद्धार पाएगा।
14 जब कोई व्यक्ति मसीह के बारे में सुनता है तब उसके दिल में विश्वास आता है और वह यीशु को पुकारता है। लेकिन अगर कोई मसीह के बारे में प्रचार न करें तो कोई व्यक्ति उस के बारे में कैसे जाने?
15 इसलिए परमेश्वर लोगों को यीशु के बारे में प्रचार करने के लिए भेजता है। यशायाह भविष्यवक्ता कहता है, “कितने सुंदर हैं वे लोग जो दूसरों के साथ अच्छी खबर बाँटने के लिए जाते हैं। वे शान्ति और दया लाते हैं।”
16 लेकिन हर किसी ने अच्छी खबर को स्वीकार नहीं किया। यशायाह भविष्यवक्ता कहता है, “हे प्रभु, हमने उन्हें प्रचार किया! लेकिन जो हमने कहा उसका किसने विश्वास किया?”
17 जब कोई व्यक्ति परमेश्वर के वचन को सुनता है तब उसके दिल में विश्वास आता है।
18 लेकिन मैं पूछना चाहता हूँ, “क्या उन्होंने परमेश्वर के वचन को नहीं सुना?” बिल्कुल, उन्होंने सुना। पूरी पृथ्वी ने प्रचारकों की आवाज़ सुनी। और पूरी दुनियाँ ने सुना कि उन्होंने किसके बारे में कहा।
19 मैं फिर से पूछूँगा, “क्या इस्राएल नहीं जानता कि परमेश्वर ने किस के बारे में बात की?” इस्राएल जानता था क्योंकि शुरुआत में परमेश्वर ने मूसा के द्वारा कहा, “मैं अपने लोगों को अन्यजाति लोगों से ईर्ष्या कराऊँगा जो कोई राष्ट्र भी नहीं। और मूर्ख अन्यजाति लोग मेरे लोगों को गुस्सा दिलाएंगे।”
20 और फिर यशायाह भविष्यवक्ता ने बहादुरी से परमेश्वर की ओर से कहा, “जिन्होंने मुझे नहीं ढूँढा उन्होंने मुझे पा लिया। मैंने खुद को उन लोगों पर प्रकट किया जिन्होंने मुझसे इसके बारे में नहीं माँगा।”
21 और परमेश्वर ने इस्राएल के बारे में यशायाह के द्वारा कहा, “दिन भर मैं अपने हाथों को उस आज्ञा न मानने वाले राष्ट्र की ओर बढ़ाए रहा, जिसने मेरे विरुद्ध विद्रोह किया।”

अध्याय 11

1 मैं फिर से पूछना चाहूँगा, “क्या परमेश्वर ने अपने लोगों को ठुकरा दिया?” बिल्कुल नहीं। मैं इस्राएली व्यक्ति हूँ। और मैं बिन्यामीन के गोत्र से अब्राहम का वंशज हूँ।
2 परमेश्वर ने अपने लोगों को नहीं ठुकराया। परमेश्वर पहले से जानता था कि उसके लोगों के साथ क्या होगा। क्या आप नहीं जानते कि शास्त्र एलिय्याह भविष्यवक्ता के बारे में क्या कहते हैं? एलिय्याह इस्राएल के बारे में परमेश्वर से शिकायत करता है और कहता है,
3 “हे प्रभु, उन्होंने आपके भविष्यवक्ताओं को मार डाला और उन स्थानों को नष्ट कर दिया जहाँ वे आपके लिए बलिदान लाते थे। मैं अकेला बच गया हूँ और वे मुझे मारने की कोशिश कर रहे हैं।”
4 परमेश्वर ने एलिय्याह को क्या जवाब दिया? “मेरे पास सात हज़ार लोग और हैं जिन्होंने बाल की मूर्ति के आगे घुटने नहीं टेके।”
5 हमारे समय में भी ऐसा ही होता है। परमेश्वर ने इस्राएलियों को अपना अनुग्रह दिया और उनमें से कुछ को चुना जो परमेश्वर के लिए वफ़ादार रहे।
6 अनुग्रह परमेश्वर का उपहार है जिसे हमारे कामों के द्वारा कमाना नामुमकिन है। और अगर हम अपने कामों के द्वारा कुछ कमाते हैं तो हम इसे अनुग्रह नहीं कह सकते।
7 इसलिए क्या हुआ? इस्राएल अपने कामों के द्वारा अनुग्रह कमाना चाहता था इसलिए उन्हें यह नहीं मिला। लेकिन परमेश्वर ने अपना अनुग्रह उन लोगों को दिया जिन्हें उसने चुना। और बाकी लोगों ने अपने दिलों को कठोर बना लिया।
8 शास्त्र कहते हैं, “परमेश्वर ने उन्हें ऐसी आत्मा दी जिसने उन्हें नींद में डाल दिया। उनकी आँखें अंधी हो गईं, उनके कान बहरे हो गए और यह इन दिनों तक ऐसा ही है।’’
9 राजा दाऊद कहता है, “भोजन की मेज़ उनके लिए जाल बन जाएगी और वे फन्दे में फंस जाएंगे। वे पत्थर पर ठोकर खाएंगे और वे वही पाएंगे जिसके वे लायक हैं।
10 उनकी आँखें अंधी हो जाएंगी और देखना बन्द कर देंगी। उनकी पीठ कभी सीधी नहीं होगी।”
11 और मैं पूछूँगा, “क्या इस्राएल ने ठोकर खाई और वे कभी नहीं उठेंगे?” बिल्कुल, वे उठेंगे। इस्राएल ने परमेश्वर को छोड़ दिया, इसलिए अब परमेश्वर अन्यजाति लोगों को बचाता है। और यह इस्राएल को तड़प के साथ परमेश्वर को ढूँढने के लिए प्रेरित करेगा।
12 इस्राएल ने परमेश्वर को छोड़ दिया लेकिन इससे दुनियाँ में समृद्धि आई। इस्राएल ने परमेश्वर को खो दिया लेकिन इसने अन्यजातियों को समृद्ध किया। और जब इस्राएल मसीह को पाएगा तब पूरी आशीष आएगी।
13 मैं अन्यजाति लोगों का प्रेरित बन गया। और हे अन्यजाति लोगों, मैं आपको बताता हूँ कि मैं अपनी सेवा को बहुत महत्व देता हूँ।
14 मैं यह चाहता हूँ कि अन्यजाति लोगों के लिए मेरी सेवा से मेरे अपने लोग तड़प के साथ परमेश्वर की खोज कर सकें। और कम से कम कुछ इस्राएली उद्धार प्राप्त करें।
15 इस्राएल ने मसीह को ठुकरा दिया और इससे दुनियाँ ने परमेश्वर के द्वारा शान्ति पाई। तब क्या होगा जब इस्राएल मसीह को स्वीकार करेगा? यह दुनियाँ में जीवन लाएगा और मरे हुओं को जिलाएगा।
16 जब पहली फ़सल आती है तब आप कुछ आटा गूंथते हैं और आप पहली रोटी परमेश्वर के लिए लाते हैं। उसके बाद परमेश्वर पूरे गूंथे हुए आटे को पवित्र करता है। परमेश्वर ने अब्राहम को पवित्र किया इसलिए उसके वंशज भी पवित्र हो गये। अगर जड़ पवित्र है तो डालियाँ भी पवित्र हैं।
17 लेकिन अब्राहम के कुछ वंशज जैतून के पेड़ की डालियों की तरह टूट गए। और आप अन्यजाति लोग हैं। आप जंगली जैतून का पेड़ हैं। और आप टूटी हुई डालियों की जगह पर लगाए गए। अब जड़ आपको पोषण देती है और बढ़ाती है। और आप वही आशीषें पाते हैं जो परमेश्वर ने अब्राहम और उसके वंशजों को देने का वादा किया था।
18 लेकिन अपने आप को उन डालियों से बेहतर न समझें, जो पेड़ से टूट गईं। याद रखें कि आप जड़ को नहीं खिलाते लेकिन जड़ आपको खिलाती है।
19 और कोई कहेगा, “लेकिन मैं पेड़ में लगाया हूँ और मैंने उन डालियों की जगह ले ली जो टूट गई थीं।”
20 हाँ, यह सच है। लेकिन याद रखें कि इस्राएल के लोगों ने मसीह पर विश्वास नहीं किया इसलिए वे पेड़ से टूट गए। और आपने मसीह पर विश्वास किया इसलिए आप पेड़ में लगाये गये। इस पर घमंड न करें लेकिन परमेश्वर का भय मानें।
21 परमेश्वर ने असली डालियों को माफ़ नहीं किया। और अगर आप मसीह पर विश्वास खो देंगे तो परमेश्वर आपको भी माफ़ नहीं करेगा।
22 आप परमेश्वर की दया और परमेश्वर की सख्ती को देख सकते हैं। परमेश्वर उन लोगों के साथ सख्ती से व्यवहार करता है जो उसकी आज्ञा नहीं मानते। लेकिन परमेश्वर आपको अपनी दया दिखाता है। उसकी दया को अनदेखा न करें और परमेश्वर आपको पेड़ की डाली की तरह नहीं काटेंगे।
23 परमेश्वर इस्राएल के लोगों को अपने पास वापस ला सकता है। और अगर इस्राएल मसीह पर विश्वास करेगा तो वह ऐसा करेगा।
24 हे अन्यजाति, परमेश्वर ने आपको जंगली जैतून के पेड़ की डाली की तरह काट दिया। और प्रकृति से उल्टा उसने आपको बगीचे के जैतून के पेड़ में लगाया। और बिल्कुल, परमेश्वर इस्राएल के लोगों को अपने पास वापस लाने में सक्षम होगा जिन्होंने उसे छोड़ दिया था। वह माली की तरह यह करेगा जो पेड़ की टूटी हुई डालियों को वहाँ लगाता है जहाँ वे पहले बढ़ते थे।
25 हे भाइयों, ऐसा न सोचें कि आप इस्राएल के लोगों से बेहतर हैं। मैं आपको भेद की बात बताना चाहता हूँ। परमेश्वर ने पहले से ही अन्यजाति लोगों की एक संख्या के बारे में फ़ैसला कर लिया था जो उसके राज्य में प्रवेश करेंगे। इस्राएल के लोगों के कुछ भाग ने मसीह के खिलाफ़ अपने दिलों को कठोर कर लिया। और ऐसा तब तक रहेगा जब तक अन्यजातियों की पूरी संख्या मसीह के पास नहीं आ जाती।
26 इसलिए पूरा इस्राएल उद्धार पाएगा। शास्त्र कहते हैं, “छुटकारा देने वाला सिय्योन पर्वत से यरूशलेम आएगा और वह इस्राएल को परमेश्वर की ओर मोड़ देगा।
27 परमेश्वर ने वादा किया, “मैं अपने लोगों को पाप से आज़ादी दूँगा और उनके साथ अटूट समझौता करूँगा।”
28 इस्राएल मसीह की अच्छी खबर का दुश्मन बन गया। और हे अन्यजाति लोगों, यह आपके लिए उद्धार लाया। लेकिन परमेश्वर ने इस्राएल को चुना। और परमेश्वर उन्हें प्यार करते रहे क्योंकि उसने अब्राहम, इसहाक और याकूब से वादे किए थे, जो यहूदी लोगों के पूर्वज बनें।
29 परमेश्वर अपने उपहारों को वापस नहीं लेता। परमेश्वर उस बुलाहट को वापस नहीं लेता जो उसने किसी व्यक्ति को दी।
30 हे अन्यजाति लोगों, पहले आपने परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानी। लेकिन अब परमेश्वर ने आप पर दया की। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस्राएल ने परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानी।
31 और हे अन्यजाति लोगों, अब परमेश्वर आप को अपनी दया देता है लेकिन इस्राएल परमेश्वर का विरोध करता है। लेकिन वह समय आएगा जब परमेश्वर इस्राएल पर अपनी दया करेगा।
32 किसी ने परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानी। लेकिन परमेश्वर सब पर दया करेंगे जैसे कैदियों पर दया होती है।
33 ओह, परमेश्वर के पास कितना महान धन, बुद्धि और ज्ञान है! परमेश्वर अपने सभी फैसलों को कितने महान भेद के साथ छिपाता है! और उसके सभी तरीकों को समझना नामुमकिन है!
34 प्रभु के विचारों को कौन समझ सकता है? कौन उसे सलाह दे सकता है?
35 क्या कोई व्यक्ति परमेश्वर को अपना कर्जदार बना सकता है? हम परमेश्वर को कुछ भी उधार नहीं दे सकते।
36 परमेश्वर ही सब कुछ का सोता है। वह अपनी शक्ति से हर चीज़ को संभालता है। और जो कुछ परमेश्वर ने बनाया वह सब उसके लिए है। सभी सृष्टि हमेशा परमेश्वर को महिमा दें। आमीन।

अध्याय 12

1 हे भाइयों, परमेश्वर ने हमें अपनी दया दिखाई। इसलिए मैं आप में से हर एक से विनती करता हूँ कि आप अपना जीवन परमेश्वर को सौंप दें। जब लोग बलिदान चढ़ाते हैं तब वे पूरी तरह से इसे परमेश्वर को सौंप देते हैं। उसी तरह से आपको भी अपने शरीरों को पूरी तरह से परमेश्वर को सौंपना है और पवित्र जीवन जीना है। परमेश्वर ऐसे बलिदान को खुशी के साथ स्वीकार करेगा। तब आप समझेंगे कि आप उसकी सेवा कैसे कर सकते हैं।
2 इस दुनियाँ के लोगों की तरह व्यवहार न करें। नए तरीके से सोचना सीखें और आप पूरी तरह से बदल जाएंगे। तब आप परमेश्वर की योजना को जानेंगे जो आपके लिए अच्छी होगी। आप आनन्द के साथ परमेश्वर की इच्छा को स्वीकार करेंगे क्योंकि उसकी इच्छा आपके लिए पूरी तरह से ठीक होगी।
3 परमेश्वर ने मुझे अपना अनुग्रह दिया और मैं आप में से हर एक से कहता हूँ, “ऐसा न सोचें कि आपकी सेवा दूसरों से बेहतर है। परमेश्वर ने सभी को माप कर विश्वास दिया है ताकि हर कोई परमेश्वर का काम कर सके। इसलिए आपको ईमानदारी से खुद को परखना चाहिए। आपकी सेवा उस विश्वास के अनुसार होनी चाहिए जो परमेश्वर ने आपको दिया।”
4 मानव शरीर के कई अंग होते हैं। और शरीर का हर अंग अपना काम करता है।
5 चर्च में भी ऐसा ही होता है। चर्च मसीह का शरीर है जिसके कई अलग-अलग अंग हैं। और मसीह के शरीर के सभी सदस्य एक दूसरे पर निर्भर हैं।
6 परमेश्वर ने हमें अपना अनुग्रह दिया और हमें अलग-अलग उपहार मिले। अगर आपके पास भविष्यवाणी का उपहार है तो भविष्यवाणी करें। भविष्यवाणी उस विश्वास के अनुसार होनी चाहिए जो परमेश्वर ने आपको दिया।
7 अगर आपके पास दूसरों की सेवा करने का उपहार है तो जिनको मदद की ज़रूरत है उनकी मदद करें। अगर परमेश्वर ने आपको सिखाने का उपहार दिया है तो दूसरों को सिखाएं।
8 अगर आपके पास लोगों को उत्साहित करने का उपहार है तो उनका विश्वास मज़बूत बनाएं। अगर परमेश्वर ने आपको उपहार दिया है और आप दान दे सकते हैं तो उदारता के साथ यह करें। अगर आपके पास अगुवाई करने की क्षमता है तो गंभीरता से अपनी जिम्मेदारी को लें। अगर परमेश्वर ने आपको करुणा का उपहार दिया है तो उन लोगों की मदद करें जो मुसीबत में हैं और बिना झुंझलाहट के ऐसा करें।
9 पूरे दिल से एक दूसरे से प्यार करें। बुराई लाने वाली हर चीज़ से नफ़रत करें और जो अच्छा है उसे करने का हर संभव प्रयास करें।
10 भाइयों की तरह एक दूसरे से प्यार करें। अपने चर्च में परिवार की तरह एक दूसरे के साथ मधुर संबंध बनाएं। एक दूसरे की बड़ाई करें और दूसरों के विचार का आदर करें।
11 प्रभु के लिए अपनी सेवा को गंभीरता से लें। पवित्र आत्मा की आग में उसकी सेवा करें।
12 कष्टों से गुज़रते समय धीरज रखें। परमेश्वर में मजबूत आशा रखें और यह आशा आपको आनन्द देगी। नियमित रूप से अपना समय प्रार्थना के लिए समर्पित करें।
13 अपने मसीही भाइयों और बहनों की मदद करें जो मुसीबतों से गुजरते हैं। जो आपके पास है, उसे उनके साथ बाँटें और मेहमाननवाज़ी करने का हर संभव प्रयास करें।
14 जो आपको सताते हैं उन्हें आशीष दें। उन्हें आशीष दें और श्राप न दें।
15 जो आनन्द करते हैं उनके साथ आनन्द करें। और जो रोते हैं उनके साथ रोएं।
16 समझ के साथ एक दूसरे के साथ व्यवहार करें। ऐसा न सोचें कि आप दूसरों से बेहतर हैं। छोटे पद के लोगों के साथ संगति को नजरअंदाज न करें। और ऐसा न सोचें कि आप बाकी सभी लोगों से ज़्यादा बुद्धिमान हैं।
17 जिन्होंने आप के साथ बुराई की उनके साथ बुराई न करें। लेकिन सभी लोगों के लिए अच्छा करने का हर संभव प्रयास करें और वे इसके लिए आपका आदर करेंगे।
18 जो कुछ भी आप कर सकते हैं वह सब कुछ करें ताकि आप सभी लोगों के साथ शान्ति से रह सकें।
19 परमेश्वर आपसे प्यार करता है इसलिए बदला न लें। लेकिन अपनी परिस्थिति को परमेश्वर को दें और वह अपना गुस्सा आपके दुश्मनों पर उंडेल देगा। प्रभु शास्त्रों में कहता है, “मैं बदला लूँगा। और हर व्यक्ति मुझ से वह पाएगा जिसके वह लायक है।”
20 अगर आपका दुश्मन भूखा है तो उसे खाना दें। अगर वह प्यासा है तो उसे पानी दें। इस तरह से आप अपने विरोधी को शर्म से ऐसा जलाएंगे जैसे उसके सिर पर जलते हुए अंगारे डाल दिए गए हों।
21 बुराई को अपने ऊपर विजय न पाने दें। अगर आप अच्छाई से बुराई को जवाब देंगे तो आप बुराई पर विजय पा सकेंगे।

अध्याय 13

1 परमेश्वर से बढ़कर कोई दूसरा अधिकारी नहीं। परमेश्वर लोगों को अधिकार देता है और शासन करने वाले अधिकारियों को नियुक्त करता है जो इस दुनियाँ में हैं। इसलिए हर व्यक्ति को सरकारी अधिकारियों की बात माननी चाहिए।
2 जो व्यक्ति अधिकारियों के खिलाफ़ विद्रोह करता है वह उस व्यवस्था के खिलाफ़ विद्रोह करता है जो परमेश्वर ने नियुक्त की। और जो व्यक्ति बगावत में भाग लेता है उसे सजा मिलेगी।
3 जो व्यक्ति अच्छे काम करता है उसे सरकारी अधिकारियों से सजा मिलने का कोई डर नहीं होता। और जो व्यक्ति बुरे काम करता है वह इस डर में जिएगा कि अधिकारी उसे सजा देंगे। तो सजा देने वाले अधिकारियों के डर के बिना कैसे जियें? अच्छे काम करें और अधिकारी आपको पसंद करेंगे।
4 सरकारी अधिकारी परमेश्वर की सेवा करते हैं और आपके लाभ के लिए काम करते हैं। मैं आपको चेतावनी देता हूँ कि परमेश्वर का सेवक अपनी तलवार को व्यर्थ में पकड़े नहीं रहता। अगर आप बुराई करते हैं तो वह आप से गुस्सा होगा। और वह आपको आपके बुरे कामों के लिए सजा देगा।
5 जो सही है आपको वही करना है और अच्छी अंतरात्मा के अनुसार जीवन जियें। और तब आप सिर्फ़ सजा के डर के कारण अधिकारियों के अधीन नहीं होंगे।
6 अधिकारी लगातार अपने कर्तव्यों को पूरा करते हैं और इस तरह से वे परमेश्वर की सेवा करते हैं। इसलिए आपको अच्छी अंतरात्मा के अनुसार व्यवहार करना चाहिए और टैक्स देने चाहिए।
7 जो कुछ आपको देना है वह सब कुछ दें। उन्हें टैक्स और शुल्क दें, जो उन्हें इकट्ठा करते हैं। उन लोगों को आदर और सम्मान दें जिन्हें आदर और सम्मान देना चाहिए।
8 आपके पास एक को छोड़कर कोई कर्ज नहीं होना चाहिए। आपको हमेशा एक दूसरे से प्यार करना है। जो दूसरे व्यक्ति से प्यार करता है उसने मूसा के कानून का पालन किया।
9 ये वही आज्ञाएँ हैं जो परमेश्वर ने मूसा के द्वारा दी थी, “हत्या न करें। अपने जीवन साथी को धोखा न दें। चोरी न करें। झूठी गवाही न दें। जो दूसरों के पास है उससे जलन न करें।” ये आज्ञाएँ और बाकी आज्ञाएँ एक बात के बारे में बोलती हैं, “जैसे आप खुद से प्यार करते हैं वैसे ही दूसरे व्यक्ति से प्यार करें।”
10 जो व्यक्ति प्यार करता है वह दूसरे व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुँचाता। इसलिए जो प्यार करता है वह मूसा के कानून को मानता है।
11 एक दूसरे के साथ प्यार से व्यवहार करें। आपको समझना चाहिए कि वह समय आ गया है जब हमें आत्मिक रूप से जागना है। हमने मसीह पर विश्वास किया और अब हम उस पल के नज़दीक आ रहे हैं जब परमेश्वर हमें बचाएगा।
12 रात बीत गई है और दिन जल्दी ही आएगा। इसलिए जो आपने अन्धेरे में किया, उसे करना बन्द करें। रोशनी में जीवन जियें और अच्छे काम करें। और यह अंधकार के खिलाफ़ आपका हथियार बन जाएगा।
13 हम दिन की रोशनी में जीते हैं। इसलिए जो सही है वही करें। अनैतिक तरीके से अपना जीवन न जियें और शराबी न बनें। गलत यौन संबंधों और चरित्रहीन कामों से कोई लेना-देना न रखें। झगड़ा न करें और एक दूसरे से ईर्ष्या न करें।
14 परमेश्वर के नए स्वभाव को अपने अन्दर के इंसान को पहनाएं। तब आप हमारे प्रभु यीशु मसीह के जैसा व्यवहार करेंगे। और आप ऐसा नहीं सोचेंगे कि आपके शरीर की पापी इच्छाओं को कैसे संतुष्ट करें।

अध्याय 14

1 जिनका विश्वास कमज़ोर है उनके साथ संगति करें। और विवादित विषयों पर उनके साथ झगड़ा न करें।
2 एक व्यक्ति विश्वास करता ​​है कि आप कुछ भी खा सकते हैं। और दूसरा व्यक्ति सिर्फ़ सब्जियाँ खाता है क्योंकि उसका विश्वास कमज़ोर है।
3 अगर आप सब कुछ खाते हैं तो शाकाहारी को नीचा न देखें। और अगर आप शाकाहारी हैं तो हर चीज़ खाने वाले को दोष न दें। याद रखें कि परमेश्वर ने आप दोनों को अपनाया है।
4 क्या आप सोचते हैं कि आपके पास किसी और के गुलाम को दोषी ठहराने का अधिकार है? सिर्फ़ प्रभु ही फ़ैसला करता है कि उसका गुलाम सही या गलत है। और अगर उसका गुलाम गलत है तो परमेश्वर उसे सही कर सकता है।
5 एक व्यक्ति सोचता है कि कुछ दिन बाकी दिनों से अधिक महत्वपूर्ण हैं। और दूसरा व्यक्ति सोचता है कि सभी दिन एक जैसे हैं। हर किसी को उसके विश्वास के अनुसार काम करने दें।
6 कुछ लोग एक दिन को अलग रखते हैं और इस दिन को प्रभु को सौंपते हैं। दूसरे लोग विश्वास करते ​​हैं कि कोई दिन खास नहीं। और वे हर दिन को प्रभु को समान रूप से सौंपते हैं। परमेश्वर ने उन लोगों को अपनाया जो विश्वास करते हैं कि वे कुछ भी खा सकते हैं। और जब वे खाना खाते हैं तब वे उसके लिए परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं। प्रभु ने उन लोगों को भी अपनाया जो कुछ खाना खाने से मना करते हैं। और वे भी उसके लिए परमेश्वर का धन्यवाद देते हैं।
7 हम परमेश्वर के हैं इसलिए हम अपने लिए नहीं जीते। और हम में से कोई भी अपनी मौत के दिन को नहीं चुन सकता।
8 हम प्रभु की महिमा के लिए जीते हैं। और हमारी मौत के द्वारा भी उसकी महिमा होनी चाहिए। इस जीवन में हम परमेश्वर के हैं। और जब हम मरेंगे तब हम भी उसी के होंगे।
9 इसलिए मसीह मरा और फिर से जी उठा। अब वह जीवित और मरे हुए लोगों पर राज्य करता है।
10 इसलिए आप अपने भाई का न्याय क्यों करते हैं? आप उससे घृणा क्यों करते हैं? याद रखें कि हम सभी मसीह के सामने खड़े होंगे और वह हमारा न्याय करेगा।
11 प्रभु ने शास्त्रों में कहा, “मैं जीवित परमेश्वर हूँ। हर व्यक्ति मेरे सामने घुटने टेकेगा। हर व्यक्ति मेरी महिमा करेगा और स्वीकार करेगा कि मैं परमेश्वर हूँ।”
12 इसलिए हम में से हर एक परमेश्वर को अपने जीवन का हिसाब देगा।
13 इसलिए एक दूसरे का न्याय करना बन्द करें। इसके बजाय, अपने आप को जाँचें। इस तरह से व्यवहार करें कि आप दूसरे विश्वासियों का अपमान न करें और उन्हें पाप के लिए न उकसाएं।
14 प्रभु यीशु के कारण मैं जानता हूँ और मुझे पूरा आत्मविश्वास है कि कोई भी भोजन किसी व्यक्ति को अशुद्ध नहीं कर सकता। लेकिन अगर कोई व्यक्ति विश्वास करता है कि कुछ भोजन उसे अशुद्ध बनाता है तो यह खाना उसके लिए अशुद्ध हो जाता है।
15 अगर आपका भाई इस बात से परेशान है कि आप किस तरह का खाना खाते हैं तो इसका मतलब है कि आप उससे बिना प्यार के व्यवहार करते हैं। ऐसा काम न करें कि आपके खाने से आपके भाई का नाश हो जाए जिसके लिए मसीह मरा।
16 आप विश्वास करते हैं कि जो आप कर रहे हैं वह सही है। लेकिन आपका सही विश्वास इसका कारण नहीं बनना चाहिए कि लोग आपसे झगड़ा करें।
17 हम परमेश्वर के राज्य में जीते हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण नहीं कि हम कौन सा खाना खाते हैं और क्या पीते हैं। लेकिन सचमुच में यह महत्वपूर्ण है कि हम धार्मिकता से काम करें, दूसरे लोगों के साथ शान्ति से रहें और पवित्र आत्मा में आनन्द करें।
18 जो व्यक्ति इन कामों को करता है वह मसीह की सेवा करता है। ऐसा व्यक्ति परमेश्वर को खुशी देता है और लोगों के आदर का हकदार है।
19 शान्ति से जीने और एक दूसरे के विश्वास को मज़बूत बनाने के लिए हर संभव प्रयास करें।
20 खाने के सवाल पर झगड़ा न करें, परमेश्वर के काम को नष्ट न करें। कोई भोजन किसी व्यक्ति को अशुद्ध नहीं बना सकता। लेकिन अगर आपका भाई इस बात से परेशान है कि आप किस तरह का खाना खाते हैं तो आप गलत हैं।
21 मांस न खाएं और शराब न पियें अगर यह आपके भाई को परेशान करता है या उसे पाप करने के लिए उकसाता है। इस तरह से काम न करें कि आपके काम किसी दूसरे व्यक्ति के विश्वास को कमज़ोर बना दें।
22 क्या आप विश्वास करते हैं कि आप सही हैं? इसे अपना व्यक्तिगत विश्वास बने रहने दें और इसे आपके और परमेश्वर के बीच में रहने दें। जिस व्यक्ति ने अपना चुनाव किया और दोषी महसूस नहीं करता वह आशीषित है।
23 अगर आप कुछ खाते हैं और शक करते हैं कि क्या आप सही काम कर रहे हैं तो आप दोषी महसूस करेंगे। आप अपने विश्वास के खिलाफ़ जाते हैं। और इसका मतलब है कि आप पाप कर रहे हैं।

अध्याय 15

1 हम मजबूत बन गए। इसलिए हमें धीरज से उन लोगों की कमज़ोरियों को सहना चाहिए जो हमसे कमज़ोर हैं। हमें सिर्फ़ अपने स्वार्थ की परवाह नहीं करनी चाहिए।
2 हमें एक दूसरे की परवाह करनी चाहिए और भलाई करनी चाहिए। और तब हमारा विश्वास मजबूत हो जाएगा।
3 मसीह ने अपने लिए जीवन नहीं जिया, मसीह परमेश्वर के लिए जिया। शास्त्र कहते हैं, “हे परमेश्वर, लोगों ने आपका अपमान किया और मैंने ये अपमान अपने ऊपर ले लिया।”
4 हम उन शास्त्रों को पढ़ते हैं जो बहुत पहले भविष्यवक्ताओं ने हमारे लिए लिखे थे। सभी शास्त्र हमें धीरज रखना सिखाते हैं। शास्त्र हमें उत्साहित करते हैं ताकि हम अपनी आशा न खोएं।
5 परमेश्वर हमें धीरज देता है और हमें उत्साहित करता है। वह आपको एक दूसरे के साथ सहमति से रहने और यीशु मसीह की शिक्षा का पालन करने में मदद करेगा।
6 एक जैसे नज़रिये रखें। और एकता में परमेश्वर और हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता की महिमा करें।
7 मसीह ने आपको अपनाया इसलिए आपको भी एक दूसरे को अपनाना है। और इससे परमेश्वर को महिमा होगी।
8 मैं आपको बताता हूँ कि जो वादा परमेश्वर ने हमारे बाप दादों इब्राहीम, इसहाक और याकूब से किया था, उसे पूरा करने के लिए मसीह ने खतना किए हुए यहूदियों की सेवा की। और मसीह के द्वारा परमेश्वर ने यहूदी लोगों को अपनी सच्चाई दिखाई।
9 मसीह ने अन्यजाति लोगों के बीच में भी सेवा की। और परमेश्वर ने अपनी दया के कारण ऐसा किया ताकि अन्यजाति लोग परमेश्वर की महिमा करें। शास्त्र कहते हैं, “हे प्रभु, मैं अन्यजाति लोगों के बीच में आपकी स्तुति करूँगा। मैं आपके नाम की प्रशंसा गाऊँगा।”
10 शास्त्र भी कहते हैं, “हे अन्यजातियों, परमेश्वर के लोगों के साथ आनन्द मनाओ।”
11 हम शास्त्रों में भी पढ़ते हैं, “हे सभी अन्यजातियों, प्रभु की स्तुति करो। और हे सभी राष्ट्रों, परमेश्वर की महिमा करो।”
12 यशायाह भविष्यवक्ता भी कहता है, “एक वंशज दाऊद राजा के परिवार में से उठेगा। वह राष्ट्रों पर राज करेगा और अन्यजातियाँ उस पर आशा रखेंगी।”
13 परमेश्वर आशा का सोता है। उस पर भरोसा करें और वह आपको सारे आनन्द और शान्ति से भर देगा। परमेश्वर आपको पवित्र आत्मा की शक्ति के द्वारा आशा से अमीर बनाएगा।
14 हे भाइयों, मुझे यकीन है कि आप एक दूसरे के साथ दयालु हैं। आप बहुत सी बातें जानते हैं और आप एक दूसरे को सिखा सकते हैं।
15 हे भाइयों, मैं आपको बहादुरी से लिखता हूँ क्योंकि मैं आपको उस उपहार के बारे में याद दिलाना चाहता हूँ जो मुझे परमेश्वर से मिला था।
16 परमेश्वर के अनुग्रह से मैं यीशु मसीह की सेवा करता हूँ जिसने मुझे अपना याजक बनाया। इसलिए मैं अन्यजाति लोगों के बीच में अच्छी खबर को फैलाता हूँ और पवित्र आत्मा उन्हें पवित्र करती है। याजक की तरह मैं अन्यजाति लोगों को परमेश्वर के पास लाता हूँ और मेरी सेवा उसे आनन्द देती है।
17 मैं यीशु मसीह का हूँ। मैं परमेश्वर की सेवा करता हूँ और यह मुझे आनन्दित बनाता है।
18 मैं बहादुरी से आपको उस काम के बारे में बताना चाहता हूँ जो मसीह ने मेरे द्वारा किया। जब मैंने अन्यजाति लोगों के बीच में मसीह का प्रचार किया तब उन्होंने मेरी बातों पर विश्वास किया और उन्होंने मेरे कामों को देखा। और इस तरह से अन्यजाति लोगों ने परमेश्वर की आज्ञा मानी।
19 परमेश्वर ने मेरे द्वारा बहुत महान काम किया। पवित्र आत्मा की शक्ति ने चमत्कार किए और लोगों ने अलौकिक दर्शनों को देखा। जब मैं यरूशलेम से इल्लुरिकुम को गया तब रास्ते में मैंने मसीह के बारे में अच्छी खबर को फैलाया।
20 मैं किसी और की नींव पर अपनी सेवा शुरू नहीं करना चाहता था। इसलिए मैंने उन जगहों पर अच्छी खबर को ले जाने का हर संभव प्रयास किया जहाँ लोगों ने मसीह के नाम के बारे में कुछ भी नहीं सुना था।
21 शास्त्र कहते हैं, “जो लोग उसके बारे में कुछ नहीं जानते थे, वे उसे देखेंगे। जिन लोगों ने उसके बारे में कभी नहीं सुना, वे उसके बारे में जानेंगे।”
22 कई बार मैं आपसे मिलना चाहता था। लेकिन मैंने दूसरी जगहों पर सेवा की इसलिए मैं आपके पास नहीं आ सका।
23 कई सालों से मैं आपसे मिलना चाहता था। और अब मैंने अपना काम पूरा कर लिया है जहाँ मैंने पहले प्रचार किया था।
24 मैं अपनी स्पेन यात्रा की योजना बना रहा हूँ और रास्ते में मैं रोम में आपके स्थान पर रुकूँगा। मैं आशा करता हूँ कि मैं आप से मिलूँगा और आपके साथ अच्छा समय बिताऊँगा। उसके बाद मैं चाहता हूँ कि आप स्पेन जाने में मेरी मदद करें।
25 लेकिन सबसे पहले मैं परमेश्वर के पवित्र लोगों की सेवा करने के लिए यरूशलेम जाऊँगा।
26 मकिदुनिया और अखया के विश्वासियों ने यरूशलेम में रहने वाले गरीब विश्वासियों के लिए भेंट इकट्ठा की है।
27 उन्होंने यहूदी लोगों को धन्यवाद देने के लिए आनन्द के साथ ऐसा किया। शुरुआत में यहूदी लोगों ने अन्यजाति लोगों के साथ अपनी आत्मिक आशीषों को बाँटा। और अब अन्यजाति लोगों को सांसारिक आशीषों के साथ यहूदी लोगों की सेवा करनी चाहिए।
28 मैं इस काम को पूरा करूँगा और खुद उनकी भेंट यरूशलेम ले जाऊँगा। उसके बाद मैं स्पेन जाऊँगा और रोम में आपके स्थान पर रुकूँगा।
29 जब मैं आपके पास आऊँगा तब मैं आपके पास मसीह की अच्छी खबर लाऊँगा। और मुझे यकीन है कि परमेश्वर आपको बहुतायत से आशीष देगा।
30 हे भाइयों, पवित्र आत्मा ने हमें अपने प्रेम से एक कर दिया। इसलिए हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम में मैं आपसे विनती करता हूँ कि मेरे लिए और मेरी चुनौती भरी सेवा के लिए लगातार प्रार्थना करते रहें।
31 प्रार्थना करें कि परमेश्वर मुझे उन अविश्वासियों से छुड़ाए जो यहूदिया में रहते हैं। इसके बारे में भी प्रार्थना करें कि परमेश्वर के पवित्र लोग यरूशलेम में मेरी सेवा को अच्छी तरह से स्वीकार करें।
32 और अगर परमेश्वर की इच्छा होगी तो उसके बाद मैं आनन्द से आपके साथ जाऊँगा और आपके स्थान पर कुछ आराम करूँगा।
33 परमेश्वर आपको शान्ति दे। और परमेश्वर हमेशा आपके साथ रहे। आमीन।

अध्याय 16

1 मैं हमारी बहन फीबे को आपसे मिलवाना चाहता हूँ। वह किंख्रिया शहर में रहती है और चर्च में सेविका के रूप में सेवा करती है।
2 आप परमेश्वर के पवित्र लोगों में से हैं। और मैं प्रभु के नाम में आपसे विनती करता हूँ, अच्छे तरीके से उसे अपनाएं। उसने मेरी और कई दूसरे लोगों की मदद की। इसलिए आपको भी उसकी मदद करनी चाहिए और उसे ज़रूरत की हर चीज़ देनी चाहिए।
3 प्रिस्किला और अक्विला को मेरा नमस्कार दें जिनके साथ हमने यीशु मसीह के लिए काम किया।
4 उन्होंने मेरे लिए अपने जीवन खतरे में डाले और मैं ऐसा करने के लिए उन्हें धन्यवाद देता हूँ। और सभी अन्यजाति लोगों के चर्च भी इसके लिए उन्हें धन्यवाद देते हैं। उनके घर पर इकट्ठा होने वाले चर्च को मेरा नमस्कार दें।
5 हमारे प्यारे भाई इपैनितुस को मेरा नमस्कार दें। वह पहला व्यक्ति था जो आसिया में मसीह की ओर फिरा।
6 मरियम को नमस्कार दें जिस ने हमारे लिए बहुत अच्छा काम किया।
7 मेरे रिश्तेदारों अन्द्रुनीकुस और यूनियास को मेरा नमस्कार दें जो मेरे साथ जेल में थे। उन्होंने मुझसे पहले मसीह पर विश्वास किया और वे प्रेरितों के बीच बहुत आदर पाते हैं।
8 भाई अम्पलियातुस को नमस्कार दें जो प्रभु में मेरा प्यारा बन गया।
9 उरबानुस को मेरा नमस्कार दें जिसके साथ हमने मसीह के लिए काम किया। हमारे प्यारे भाई इस्तखुस को भी नमस्कार दें।
10 अपिल्लेस को मेरा नमस्कार दें जो परीक्षाओं से गुज़रा और मसीह को अपनी विश्वासयोग्यता दिखाई। अरिस्तूबुलुस के परिवार के विश्वासियों को मेरा नमस्कार दें।
11 मेरे रिश्तेदार हेरोदियोन को मेरा नमस्कार दें। नरकिस्सुस के परिवार के उन लोगों को नमस्कार दें जो प्रभु की ओर फिरे हैं।
12 त्रूफेना और त्रूफोसा को मेरा नमस्कार दें जो प्रभु के लिए काम करती हैं। प्यारे परसिस को नमस्कार दें जिसने प्रभु के लिए महान काम किया।
13 रूफुस को मेरा नमस्कार दें जिसे प्रभु ने चुन लिया। उसकी माँ को नमस्कार दें जो मेरे लिए भी माँ बन गई।
14 अंसुक्रितुस, फिलगोन, हिर्मेस, पत्रूबास, हिरमास और दूसरे भाइयों को नमस्कार दें जो उनके साथ हैं।
15 फिलुलुगुस, यूलिया, नेर्युस और उसकी बहन, उलुम्पास और उन सभी विश्वासियों को मेरा नमस्कार दें जो उनके साथ हैं।
16 एक दूसरे को पवित्र चुम्बन के साथ नमस्कार करें। मसीह के सभी चर्च आपको नमस्कार भेजते हैं।
17 हे भाइयों, आप मसीह की शिक्षा पर विश्वास करते हैं। और मैं आपसे विनती करता हूँ कि जो लोग इस शिक्षा के खिलाफ़ जाते हैं, उनसे दूर रहें। ऐसे लोग फूट लाते हैं और दूसरे लोगों को पाप करने के लिए उकसाते हैं। ऐसे लोगों की संगति से दूर रहें।
18 ऐसे लोग हमारे प्रभु यीशु मसीह की सेवा नहीं करते लेकिन वे अपने ही स्वार्थ की सेवा करते हैं। वे अपनी बोली को आकर्षक बनाते हैं। वे चापलूसी करते हैं और भोले लोगों के दिलों को धोखा देते हैं।
19 हर कोई जानता है कि आपने परमेश्वर पर विश्वास किया और उसकी आज्ञा मानी। और यह मुझे आनन्द देता है। मैं चाहता हूँ कि आप बुद्धिमान लोग बनें जो अच्छा काम करते है और जिनका बुराई से कोई लेना-देना नहीं।
20 परमेश्वर शान्ति का सोता है। और वह शैतान को जल्दी ही आपके पैरों के नीचे कुचलवा देगा। हमारे प्रभु यीशु मसीह के अनुग्रह में जियें। आमीन।
21 मैं तीमुथियुस के साथ प्रभु के लिए काम करता हूँ और वह आपको नमस्कार भेजता है। और मेरे रिश्तेदार लुकियुस, यासोन और सोसिपत्रुस भी आपको नमस्कार करते हैं।
22 मैं तिरतियुस हूँ। और मैंने पौलुस के लिए इस पत्र को लिखा। मैं प्रभु पर विश्वास करता हूँ और मैं भी आपको नमस्कार करता हूँ।
23 गयुस ने खुशी से मुझे और पूरे चर्च को अपने घर में स्वीकार किया। वह आपको नमस्कार करता है। भाई क्वारतुस और भाई इरास्तुस जो शहर के भण्डारी है आपको नमस्कार करते हैं।
24 हमारे प्रभु यीशु मसीह के अनुग्रह में जियें। आमीन।
25 मैं यीशु मसीह की अच्छी खबर का प्रचार करता हूँ। और परमेश्वर आपको इस खबर के द्वारा मजबूत बना सकता है। परमेश्वर ने मुझे अपने रहस्य के बारे में प्रकाशन दिया जिसे उसने युगों से किसी पर प्रकट नहीं किया था।
26 भविष्यवक्ताओं ने शास्त्रों में भविष्यवाणी की थी कि वह समय आएगा जब परमेश्वर इस रहस्य को लोगों पर प्रगट करेगा। और अब अनन्त परमेश्वर ने हमें आज्ञा दी है कि हम सभी राष्ट्रों को यह रहस्य बताएं ताकि वे परमेश्वर पर विश्वास करें और उसकी आज्ञा मानें।
27 और यीशु मसीह के द्वारा हम सभी युगों में एकमात्र बुद्धिमान परमेश्वर की महिमा करेंगे। आमीन।