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अध्याय 1

Chapter 1

1 हे मेरे प्यारे गयुस, नमस्कार! मैं, यूहन्ना, जो एक बूढ़ा और आदरणीय व्यक्ति हूँ आपको लिख रहा हूँ। मैं आपसे प्यार करता हूँ क्योंकि मैं सच्चाई जानता हूँ कि परमेश्वर कौन है।
2 हे मेरे प्यारे भाई, आपके अन्दर का इंसान आत्मिक रूप से बढ़ रहा है। और मैं प्रार्थना करता हूँ कि आपके आत्मिक विकास के साथ जो कुछ भी आप करते हैं उसमें सफल हों। मैं यह भी प्रार्थना करता हूँ कि आपका स्वास्थ्य अच्छा रहे।
3 जब हमारे मसीही भाई मेरे पास आए तब मैं बहुत खुश था। उन्होंने विश्वास दिलाया कि आप ईमानदारी से परमेश्वर पर विश्वास करते हैं और सच्चाई की शिक्षा के अनुसार काम करते हैं।
4 सबसे ज़्यादा मैं आनन्द करता हूँ जब मैं सुनता हूँ कि मेरे आत्मिक बच्चे उस तरह से जीते हैं जैसे सच्चाई कहती है।
5 मेरे प्यारे गयुस, आप भाइयों का ध्यान रखते हैं और अजनबियों की मदद भी करते हैं। आप सच्चे विश्वासी की तरह काम करते हैं।
6 भाइयों ने चर्च के सामने इस बात का विश्वास दिलाया कि आप सभी लोगों के साथ प्यार से व्यवहार करते हैं। अब ये भाई आपके पास आए हैं और ये अपनी यात्रा जारी रखने वाले हैं। अगर आप उन्हें उनकी ज़रूरत की हर चीज़ दे सकें तो आप सही काम करेंगे। और इस तरह से आप परमेश्वर को खुश करेंगे।
7 भाई लोगों ने यीशु के बारे में प्रचार करने के लिए अपनी यात्रा को जारी रखा। उन्होंने अन्यजाति लोगों से कोई भेंट नहीं ली।
8 हमें ऐसे भाइयों की मदद करनी है। और इस तरह से हम एक साथ सेवा कर सकते हैं और परमेश्वर के बारे में सच्चाई को फैला सकते हैं।
9 मैंने चर्च को एक पत्र लिखा कि इन भाइयों को मदद की ज़रूरत है। लेकिन दियुत्रिफेस जो अपने अधिकार को दिखाना पसन्द करता है हमारे साथ कुछ नहीं करना चाहता।
10 अगर मैं आ सका तो मैं उसके व्यवहार के बारे में सवाल उठाऊँगा। दियुत्रिफेस नफ़रत के साथ हमारे बारे में बोलता है और झूठ फैलाता है। और वह इस पर भी नहीं रुकता। वह उन यात्री भाइयों को अनुमति नहीं देता जिन्हें चर्च में आने के लिए मदद की ज़रूरत होती है। और जब दूसरे विश्वासी उनकी मदद करना चाहते हैं तब दियुत्रिफेस उन्हें ऐसा करने से मना करता है। और अगर वे उसकी बात नहीं मानते तो वह ऐसे लोगों को चर्च से बाहर निकाल देता है।
11 हे मेरे प्यारे भाई, बुराई करने वालों के उदाहरण के पीछे न चलें। इसके बजाय, अच्छे काम करने वालों के उदाहरण के पीछे चलें। जो अच्छा काम करता है वह परमेश्वर का है। लेकिन जो बुरे काम करता है वह नहीं समझता कि परमेश्वर कौन है।
12 मैं दिमेत्रियुस के बारे में कुछ शब्द कहना चाहता हूँ। हर कोई इस बात की पुष्टि करता है कि उसकी शोहरत अच्छी है। और वह वही करता है जो सच्चाई हमें सिखाती है। हम भी इसकी पुष्टि करते हैं। और आप जानते हैं कि हम सच बता रहे हैं।
13 मुझे आपके साथ कई दूसरी बातों पर चर्चा करने की इच्छा भी है। लेकिन मैं इसे कागज और कलम के साथ नहीं करना चाहता।
14 मुझे उम्मीद है कि मैं आपसे जल्दी ही मिलूँगा और तब हम इसके बारे में अकेले में बात कर सकेंगे।
15 मैं आपके लिए परमेश्वर की शान्ति की कामना करता हूँ। आपके दोस्त आपको नमस्कार भेज रहे हैं। और आप भी हमारे सभी दोस्तों को मेरी तरफ़ से नमस्कार करें। आमीन।
1 My dear Gaius, I am greeting you. I am John, an elderly and respected man, who is writing to you. I love you because I know the truth about who God is.
2 My dear brother, your inner person is growing spiritually. And I pray that along with your spiritual growth you may succeed in everything you do. I also pray that you may be in good health.
3 I was very happy when our brothers in Christ came to visit me. They confirmed that you sincerely believe in God and act according to the teaching of the truth.
4 Most of all I rejoice when I hear that my spiritual children live the way the truth says.
5 My dear Gaius, you take care of brothers and also help strangers. Your actions show that you are a true believer.
6 The brothers confirmed in front of the church that you treat all people with love. Now the brothers have come to visit you, and they are going to continue their journey. If you could provide them with everything they need, you would do the right thing. And in this way, you would please God.
7 The brothers went on their journey to preach about Jesus. They did not collect any offerings from the Gentiles.
8 We should help such brothers like them. And in this way, we can minister together and spread the truth about God.
9 I wrote a letter to the church that these brothers need help. But Diotrephes who loves showing off his authority wants nothing to do with us.
10 If I have the opportunity to visit you, I will address the issue of his behavior. Diotrephes speaks about us with hatred and spreads lies. And he does not stop there. He does not allow visiting brothers who need help to enter his church. And when other believers want to help them, Diotrephes forbids them to do it. And if they do not listen to him, he excommunicates such people from the church.
11 My dear brother, do not follow the example of those who do evil. Instead, take an example from those who do good. The one who does good deeds belongs to God. But the one who does evil deeds does not understand who God is.
12 I would like to say a few words about Demetrius. Everyone confirms that he has a good reputation. And he acts according to the teaching of the truth. We also confirm this. And you know that we are telling the truth.
13 I also have a desire to discuss many other things with you. But I do not want to write about them in ink on paper.
14 I hope to visit you soon, and then we can talk about these matters in person.
15 I wish you God's peace. Your friends are sending greetings to you. And you also greet all our friends on my behalf. Amen.