अध्याय 1 | Chapter 1 |
1 मैं पौलुस हूँ और मैं परमेश्वर की इच्छा से यीशु मसीह का प्रेरित बना हूँ। मैं उन पवित्र लोगों को लिख रहा हूँ जो इफिसुस में रहते हैं और विश्वासयोग्यता से यीशु मसीह की सेवा करते हैं।
2 हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से आपको अनुग्रह और शान्ति मिले।
3 परमेश्वर और हमारे प्रभु यीशु मसीह का पिता धन्य है। हम मसीह के हैं इसलिए परमेश्वर ने हमें आशीषित किया है। उसने हमें सारी आत्मिक आशीष दी है जो स्वर्ग में रखी है।
4 दुनियाँ को बनाने से पहले परमेश्वर ने मसीह में हमें चुना। उसने यह इसलिए किया ताकि हम उसके प्यार में जी सकें और परमेश्वर की उपस्थिति में पवित्र और निर्दोष बनें।
5 परमेश्वर ने पहले से फ़ैसला कर लिया था कि वह यीशु मसीह के द्वारा हमें गोद लेगा। और वह अपनी योजना पूरी करना चाहता था।
6 परमेश्वर ने हमें अपनी महानता, महिमा और अनुग्रह में गोद लिया जो उसने प्यारे यीशु के द्वारा हम पर उंडेला।
7 मसीह ने अपने खून से हमारे पाप से आज़ादी के लिए मूल्य चुकाया। परमेश्वर अनुग्रह से भरा है इसलिए उसने हमारे पापों को माफ़ किया।
8 परमेश्वर ने हम पर बहुतायत से अपने अनुग्रह को बरसाया। उसने हमें सारी बुद्धि और समझ दी।
9 परमेश्वर हम पर अपनी इच्छा का रहस्य प्रकट करना चाहता था। और शुरुआत से ही परमेश्वर मसीह के द्वारा अपनी योजनाओं को पूरा करना चाहता था।
10 जब सही समय आएगा तब परमेश्वर स्वर्ग में और पृथ्वी पर मौजूद सभी को एक साथ इकट्ठा करेगा। और तब मसीह सब पर राज्य करेगा।
11 परमेश्वर ने हमें अपनी विरासत देने की योजना बनाई। उसने पहले से फ़ैसला कर लिया कि हम इस विरासत को पाएंगे क्योंकि हम मसीह के हैं। और परमेश्वर ने अपनी योजनाओं और इच्छाओं को पूरा किया।
12 हम आपसे पहले मसीह के पास आए। हम परमेश्वर की महानता और महिमा में प्रवेश करने के लिए अपनी आशा उसी पर रखते हैं।
13 आपने सच्चाई का वचन भी सुना। यह अच्छी खबर थी कि परमेश्वर आपको पाप से बचाना चाहता है। आपने मसीह पर विश्वास किया और परमेश्वर ने आप पर पवित्र आत्मा की मुहर लगाई जिसे उसने विश्वासियों को देने का वादा किया था।
14 हमारे पास विरासत है और पवित्र आत्मा हमारा बयाना है। मसीह ने हमें छुड़ाया और अब हम परमेश्वर के हैं। इसलिए हम परमेश्वर की महानता और उसकी महिमा में प्रवेश कर सकते हैं।
15 मैंने सुना कि आप यीशु मसीह पर विश्वास करते हैं और आप परमेश्वर के सभी पवित्र लोगों से प्यार करते हैं।
16 इसलिए मैं नियमित रूप से आपके लिए परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ और आपको अपनी प्रार्थनाओं में याद करता हूँ।
17 हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमेश्वर आपको बुद्धि की आत्मा दे। मैं प्रार्थना करता हूँ कि महिमा का पिता आपको प्रकाशन की आत्मा दे। और तब आप पूरी तरह से समझ सकें कि परमेश्वर कौन है।
18 परमेश्वर अपना प्रकाश आप पर चमकाए। तब आपके दिल की आँखें आशा और बुलाहट को देखेंगे जो परमेश्वर के पास आपके लिए है। और आपको पूरा एहसास होगा कि कैसी दौलत, महिमा और परमेश्वर की विरासत परमेश्वर के पवित्र लोगों की है।
19 हम मसीह पर विश्वास करते हैं। इसलिए परमेश्वर हमें अपनी असीमित महानता और शक्ति से भर देता है। और मैं उससे माँगता हूँ कि आप पूरी तरह से इसका एहसास कर सकें। परमेश्वर अपनी महान शक्ति से हमारे अन्दर काम करता है।
20 और परमेश्वर ने उसी शक्ति के साथ मसीह में काम किया जब उसने उसे मरे हुओं में से जिलाया। परमेश्वर ने मसीह को स्वर्ग में अपने दाहिने हाथ पर बैठाया और उसे अधिकार का पद दिया।
21 परमेश्वर ने मसीह को किसी भी शासक या अधिकार से बहुत ऊपर रखा। परमेश्वर ने मसीह को किसी भी नेता के पद वाले व्यक्ति से बहुत अधिक शक्ति दी। परमेश्वर ने मसीह को सब नामों से बहुत ऊँचा किया जो इस युग में या भविष्य में कभी होगा।
22 परमेश्वर ने सभी चीजों को मसीह के पावों के नीचे कर दिया। परमेश्वर ने उसे सबसे ऊपर रखा और मसीह चर्च का सिर बन गया।
23 चर्च मसीह का शरीर है। मसीह ने चर्च को अपनी उपस्थिति से भर दिया। और उसने चारों ओर सब कुछ को भी अपने आप से भर दिया। | 1 I am Paul, and I became an apostle of Jesus Christ by the will of God. I am writing to the holy people of God who live in Ephesus and faithfully serve Jesus Christ.
2 Receive grace and peace from our God the Father and the Lord Jesus Christ.
3 God and the Father of our Lord Jesus Christ is blessed. We belong to Christ that is why God blessed us. He gave us full spiritual blessing which is stored in heaven.
4 He chose us in Christ before He created the world. He did it so that we would live in His love and be holy and blameless in His presence.
5 God decided in advance that He would adopt us through Jesus Christ. And He wanted to fulfill His plan.
6 God adopted us in His greatness, glory and grace which He poured on us through beloved Jesus.
7 Christ paid for our freedom from sin with His blood. God is full of grace that is why He forgave us our sins.
8 God poured His grace on us in great abundance. He gave us all the wisdom and understanding.
9 God wanted to reveal to us the secret of His will. And from the very beginning He wanted to fulfill this plan through Christ.
10 The perfect time will come when God brings together all that exists in heaven and on earth. Then Christ will rule over everything.
11 God planned to give us His inheritance. He determined in advance that we would receive this inheritance because we belong to Christ. And God fulfilled all His plans and desires.
12 We came to Christ before you did. We put our hope in Him to enter God's greatness and glory.
13 You also heard the word of truth. It was the Good News that God wants to save you from sin. You believed in Christ, and God put on you the seal of the Holy Spirit which He promised to give to believers.
14 The Holy Spirit is a guaranty that we have an inheritance. Christ redeemed us, and now we belong to God. That is why we can enter God’s greatness and His glory.
15 I heard that you believe in Jesus Christ and love all the holy people of God.
16 So I regularly thank God for you and remember you in my prayers.
17 May the God of our Lord Jesus Christ give you the Spirit of wisdom. I pray that the Father of glory would give you the Spirit of revelation. Then you will be able to understand fully who God is.
18 May God enlighten you with His light. Then the eyes of your heart will see the hope and God’s calling. And you will be able to fully realize what riches, glory and God’s inheritance belong to the holy people of God.
19 We believe in Christ. That is why God fills us with His unlimited greatness and power. And I ask Him that you could fully realize it. God works in us by His mighty power.
20 And God worked in Christ by the same power when He raised Christ from the dead. God seated Christ in heaven at His right hand and gave Him a position of authority.
21 God set Christ far above any ruler or authority. He gave Christ much greater power than to anyone in a leadership position. God exalted Christ far above any name that exists in this age or in the future to come.
22 God submitted all things under the feet of Christ. God set Him above all, and Christ became the Head of the Church.
23 The Church is the Body of Christ. Christ filled the Church with His presence. And He also filled everything around with Himself. |
अध्याय 2 | Chapter 2 |
1 पहले आप पापों में जीते थे और आपके पापों ने आपको मार डाला।
2 आप इस दुनियाँ की तरह काम करते थे। और दुनियाँ उस शासक की आज्ञा मानती है जो हवा में राज करता है। यह शासक आत्मा है। और अब वह उन लोगों में काम करता है जो परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानते।
3 हम बाकी सभी की तरह व्यवहार करते थे और हम वासना से जल रहे थे जो हमारे शरीर में रहती थी। हमने वही किया जो हमारे मन में आया। हमने वैसे ही किया जैसे हमारा शरीर करना चाहता था। और हम बाकी लोगों की तरह स्वभाव से क्रोध की संतान थे।
4 लेकिन परमेश्वर महान प्यार से भरा हुआ है और दया में अमीर है। इसलिए परमेश्वर ने हमें अपना प्यार दिखाया।
5 पहले हमने परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानी और इसने हमें मरा हुआ बना दिया। लेकिन परमेश्वर ने हमें मसीह के साथ जीवित किया और अपने अनुग्रह से हमें बचाया।
6 परमेश्वर ने हमें मसीह के साथ जिलाया और यीशु मसीह में हमें स्वर्ग में बैठाया।
7 आने वाले समय में परमेश्वर हमें अपने अनुग्रह के अपार धन और मसीह में दया को दिखाएगा।
8 आपने मसीह पर विश्वास किया इसलिए परमेश्वर ने आप को अनुग्रह से बचाया। कोई भी ऐसे उपहार के लायक नहीं।
9 इसलिए कोई भी अपनी बड़ाई न करे कि वह अपने कामों से उद्धार पाने के लायक बना है।
10 जब हम मसीह के पास आए तब परमेश्वर ने हमें नयी सृष्टि बनाया। और अब हम उन अच्छे कामों को करते हैं जिसकी योजना उसने हमारे लिए बहुत पहले से बनाई थी।
11 आप अन्यजाति लोगों के रूप में पैदा हुए और यहूदी लोग आपको "खतनारहित" कहते हैं। लेकिन यहूदी लोग अपना खतना करवाते हैं और वे खुद को “खतना किए हुए” कहते हैं।
12 परमेश्वर ने अपने वादे इस्राएल के लोगों को दिए और उनके साथ अटूट समझौता किया। जब आप मसीह के बिना जीते थे तब आप परमेश्वर के लोगों में से नहीं थे। आपके पास कोई उम्मीद नहीं थी और आपके जीवन में कोई परमेश्वर नहीं था।
13 उस समय आप परमेश्वर से बहुत दूर थे। लेकिन अब आप यीशु मसीह के हैं। और उसके खून ने आपको पाप से साफ़ किया और आप परमेश्वर के नज़दीक आ गए।
14 मसीह ने यहूदी लोगों और अन्यजाति लोगों का मेल मिलाप कराया और उन्हें एक कर दिया। उसने उस रुकावट को नष्ट कर दिया, जो हमारे बीच में खड़ी थी।
15 यहूदी लोग मूसा के कानून, आज्ञाओं और नियमों के कारण अन्यजाति लोगों के दुश्मन थे। लेकिन मसीह ने अपनी मौत के द्वारा उस दुश्मनी को नष्ट कर दिया और मूसा के कानून, आज्ञाओं और नियमों को रद्द कर दिया। उसने यहूदियों और अन्यजातियों को लेकर अपने अन्दर एक नया राष्ट्र बनाया और मसीह ने हमें शान्ति दी।
16 मसीह ने क्रूस पर दुश्मनी को मार डाला। उसने क्रूस के द्वारा यहूदियों और अन्यजातियों को एक शरीर में जोड़ दिया और उनका परमेश्वर के साथ मेलमिलाप करा दिया।
17 पहले अन्यजाति लोग परमेश्वर से बहुत दूर थे और यहूदी लोग परमेश्वर के नज़दीक थे। लेकिन मसीह दोनों के पास आया और उनके पास शान्ति की अच्छी खबर को लाया।
18 मसीह के द्वारा अन्यजाति लोग और यहूदी लोग एक आत्मा में पिता के पास आते हैं।
19 अब आप विदेशियों की तरह एक दूसरे के लिए अजनबी नहीं रहे। आप दूसरे विश्वासियों की तरह परमेश्वर के राज्य के नागरिक बन गए हैं।
20 आप उस घर का हिस्सा बन गए जिसे परमेश्वर प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं की नींव पर बनाता है। और यीशु मसीह खुद इस घर की नींव में पहला और मुख्य पत्थर है।
21 इसी पत्थर पर परमेश्वर ऐसी इमारत बना रहा है जहाँ सब कुछ एक साथ पूरी तरह से ठीक बैठता है। यह इमारत बढ़ती है और हम एक पवित्र मन्दिर बन जाते हैं जहाँ प्रभु रहता है।
22 मसीह में आप भी इस इमारत का हिस्सा बने गये और इस इमारत में परमेश्वर अपनी आत्मा के रूप में रहता है। | 1 In the past you lived in sins, and your sins put you to death.
2 You acted as this world does. The world obeys the ruler, the spirit who reigns in the air. Now he is at work in the people who do not submit to God.
3 We used to behave like everyone else, and we were burning with lust which lived in our body. We did what came to our minds. We did what our body wanted to do. And by nature we were children of anger like other people.
4 But God is full of great love and rich in mercy. That is why He showed us His love.
5 In the past we disobeyed God, and it made us dead. But God made us alive with Christ and saved us by His grace.
6 God raised us with Him and seated us in heaven in Jesus Christ.
7 In the future God will show us great abundance of grace and goodness in Christ.
8 You believed in Jesus, so God saved you by grace. No one can deserve such a gift from God.
9 So let no one boast that he earned salvation by his deeds.
10 When we turned to Jesus Christ, God made us a new creation. And now we do good works which He planned for us long ago.
11 You were born as the Gentiles, and the Jews call you “uncircumcised”. But the Jews perform circumcision, and they call themselves “circumcised”.
12 God gave His promises and established an Unbreakable Agreement with the people of Israel. When you lived without Christ, you did not belong to God's people. You had no hope and no God in your life.
13 At that time you were far away from God. But now you belong to Jesus Christ. His blood purified you from sin, and you came closer to God.
14 Christ reconciled the Jews and Gentiles, and made them one. He destroyed the barrier which stood between them.
15 The Jews were hostile to the Gentiles because of the Law of Moses, Commandments and rules. But Christ destroyed the hostility by His death and cancelled the Law of Moses, Commandments and rules. Out of the Jews and Gentiles He created within Himself one new nation and brought us peace.
16 On the cross Christ destroyed hostility. Through the cross He united the Jews and Gentiles in one Body and reconciled them with God.
17 In the past the Gentiles were far away from God, and the Jews were close to God. But Christ came to both of them and brought them the Good News of peace.
18 Through Christ the Gentiles and Jews come to the Father in one Spirit.
19 Now you are no longer strangers to one another like foreigners. You became the citizens of the Kingdom of God like the other believers.
20 You became part of the house which God builds on the foundation of the apostles and prophets. And Jesus Christ Himself is the cornerstone at the foundation of this house.
21 On this rock God is constructing a building where everything fits together perfectly. The building grows, and we become a holy temple where the Lord is present.
22 In Christ you also became a part of this building where God lives by His Spirit. |
अध्याय 3 | Chapter 3 |
1 मैं कैदी बना, क्योंकि मैंने आप, अन्यजाति लोगों को, यीशु मसीह के बारे में बताया था।
2 आपने सुना है कि परमेश्वर ने मुझे अपना अनुग्रह दिया ताकि मैं अन्यजाति लोगों को मसीह के पास ला सकूँ।
3 परमेश्वर ने मुझे प्रकाशन के द्वारा एक रहस्य दिखाया और मैंने पहले ही इसके बारे में कम शब्दों में लिखा था।
4 इस पत्र को पढ़ने के बाद आप समझ सकेंगे कि मैं उस रहस्य को कैसे समझ पाता हूँ जिसे परमेश्वर ने मसीह के द्वारा मुझ पर प्रकट किया।
5 पिछली पीढ़ियों में रहने वाले लोग इस रहस्य को नहीं जानते थे। लेकिन अब पवित्र आत्मा ने इसे पवित्र प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं पर खोल दिया।
6 और मैं आपको इस रहस्य के बारे में बताना चाहता हूँ। अन्यजातियों और यहूदियों दोनों में से जो अच्छी खबर पर विश्वास करते हैं वे यीशु के हैं। वे एक शरीर के अंग बन गये। इसलिए अन्यजातियों और यहूदियों दोनों ने परमेश्वर के समान वादों को प्राप्त किया।
7 मैंने परमेश्वर की शक्ति को महसूस किया और अनुग्रह पाया। परमेश्वर ने मुझे अपना सेवक बनाया ताकि मैं अच्छी खबर को फैला सकूँ।
8 मैं परमेश्वर के सभी पवित्र लोगों में सबसे नालायक हूँ। लेकिन परमेश्वर ने मुझे यह अनुग्रह दिया ताकि मैं अन्यजाति लोगों को मसीह के धन के बारे में अच्छी खबर का प्रचार कर सकूँ जिसे मापना असंभव है।
9 परमेश्वर ने यीशु मसीह के द्वारा सब कुछ बनाया। और समय की शुरुआत में उसने इस रहस्य को नहीं खोला कि अन्यजातियाँ उसकी योजना में कैसे भाग लेंगी। लेकिन परमेश्वर ने मुझे अनुग्रह दिया और मैं यह रहस्य सभी पर प्रकट करता हूँ।
10 परमेश्वर ने चर्च को बनाया और चर्च के द्वारा उसने शासकों और अधिकारियों को जो स्वर्गीय स्थानों में हैं, अपनी बुद्धि के अलग-अलग प्रकारों को दिखाया।
11 समय के शुरुआत से ही परमेश्वर के पास एक योजना थी जिसे उसने हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा पूरा किया।
12 हम यीशु पर विश्वास करते हैं और उसके द्वारा हम साहस और आत्मविश्वास से परमेश्वर के पास आते हैं।
13 मैं आपके कारण दु:ख उठाता हूँ लेकिन मैं आपसे माँगता हूँ कि आप इसके कारण अपना उत्साह न खोएं। मेरे कष्ट आपको महिमा दिलाएंगे।
14 मैं हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता के सामने घुटनों के बल झुकता हूँ।
15 मैं परमेश्वर के सामने झुकता हूँ जिसने हर परिवार को नाम दिया जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर मौजूद है।
16 परमेश्वर आपको अपनी महिमा से धनी बनाए। उसकी आत्मा आपके अन्दर के इंसान को मजबूत बनाए।
17 विश्वास के द्वारा मसीह आपके दिलों में रहे।
18 एक दूसरे से प्यार करें और तब आप गहरी जड़ें बढ़ाएंगे और मजबूत नींव पर खड़े होंगे। परमेश्वर के सभी पवित्र लोगों के साथ मिलकर आप यह समझ सकेंगे कि मसीह का प्यार लंबाई और चौड़ाई में, गहराई और ऊँचाई में फैला हुआ है।
19 मसीह हमें इतना प्यार करता है कि यह सारी समझ से परे है। मैं प्रार्थना करता हूँ कि परमेश्वर के सभी पवित्र लोगों के साथ मिलकर आप मसीह के प्यार को महसूस कर सकें। और तब परमेश्वर आपको अपनी उपस्थिति से भर देगा।
20 परमेश्वर हम में शक्ति से काम करता है। और जो हम उससे माँगते हैं या सोचते हैं, वह उससे कहीं अधिक करने के योग्य है।
21 चर्च यीशु मसीह का है। इसलिए सभी युगों में लोगों की सभी पीढ़ियाँ चर्च में परमेश्वर की महिमा करें। आमीन। | 1 I was put in prison because I spoke about Jesus Christ to you, Gentiles.
2 You have already heard that God gave me His grace to bring the Gentiles to Christ.
3 God showed me a secret through revelation, and I already wrote about it briefly.
4 After reading this letter, you will be able to learn how I understand the secret which God revealed to me through Christ.
5 People who lived in previous generations did not know this secret. But now the Holy Spirit opened it to the holy apostles and prophets.
6 And this is what the secret is about. Both the Gentiles and Jews who believe in the Good News belong to Jesus Christ. They became members of one Body. That is why both the Gentiles and Jews received access to the same promises of God.
7 I experienced the power of God and received grace. God made me His minister to spread the Good News.
8 I am the least worthy among the holy people of God. But God gave this grace to me so that I could preach to the Gentiles the Good News about the immeasurable riches of Christ.
9 God created everything through Jesus Christ. And from the very beginning He did not open the secret how the Gentiles would participate in His plan. But God gave me grace, and I reveal this secret to everyone.
10 God created the Church, and through the Church He showed the rich variety of His wisdom to the rulers and authorities which are in the heavenly realms.
11 From the very beginning of time God had a plan which He fulfilled through our Lord Jesus Christ.
12 We believe in Jesus, and through Him we come to God boldly and confidently.
13 I suffer because of you, but I ask you, do not get discouraged because of this. My sufferings will lead you to glory.
14 I kneel before the Father of our Lord Jesus Christ.
15 I bow down before God who gave the name to every family that exists in heaven and on earth.
16 May God make you rich with His glory. Let His Spirit make your inner man powerful.
17 Let Christ live in your hearts through faith.
18 Love one another, and you will grow deep roots and stand on a strong foundation. Together with all the holy people of God you will be able to understand that the love of Christ extends wide, far, deep and high.
19 Christ loves us so much that it transcends understanding. I pray that along with all the holy people of God you could experience the love of Christ. Then God will fill you with His presence.
20 God works powerfully in us. And He is able to do immeasurably more than what we ask Him or think about.
21 Let through all ages, all generations of people glorify God in the Church which belongs to Jesus Christ. Amen. |
अध्याय 4 | Chapter 4 |
1 मैंने प्रभु के बारे में प्रचार किया इसलिए मैं कैदी बन गया। और मैं आपसे उस बुलाहट के अनुसार जीने के लिए कहता हूँ जो आपने परमेश्वर से पाई थी।
2 घमंडी न बनें। दयालु बनें और बहुत धीरज रखें। एक दूसरे से प्यार करें और कमजोरियों के बावजूद एक दूसरे को स्वीकार करें।
3 अगर आप शान्ति बनाए रखें तब आप आत्मिक एकता बनाए रखेंगे। इसलिए आप एक दूसरे के साथ शान्ति से रहने के लिए हर संभव प्रयास करें।
4 आप एक ही शरीर के अंग बन गए और परमेश्वर ने आप को एक ही आत्मा से भर दिया। आपने परमेश्वर से बुलाहट पाई और उसने आपको एक ही आशा दी।
5 आप एक ही प्रभु पर विश्वास रखते हैं। आप एक ही विश्वास का अंगीकार करते हैं और आपने एक ही बपतिस्मा लिया।
6 एक ही परमेश्वर हम सभी का पिता बन गया। और वह हम सभी के ऊपर राज्य करता है, हम सभी के द्वारा काम करता है और हम सभी के अंदर रहता है।
7 हम में से हर एक ने अनुग्रह पाया। और मसीह ने हम में से हर एक को अलग-अलग क्षमताएँ दीं।
8 इसलिए शास्त्र कहते हैं, "वह ऊँचे स्थान पर चढ़ा, बंदियों को बंदी बनाया और लोगों को उपहार बाँटे।"
9 लेकिन पहले मसीह धरती पर सबसे गहरी जगहों में नीचे उतरा और फिर वह ऊँचे स्थान पर चढ़ गया।
10 मसीह नीचे उतर आया। और वही मसीह सभी स्वर्गों के ऊपर चढ़ गया और सब कुछ को अपनी उपस्थिति से भर दिया।
11 मसीह ने चर्च में प्रेरितों, भविष्यद्वक्ताओं, प्रचार करने वालों, पास्टरों और शिक्षकों को नियुक्त किया।
12 वे परमेश्वर के पवित्र लोगों को तैयार करते हैं ताकि वे काम और परमेश्वर की सेवा कर सकें। इस तरह से मसीह का शरीर बढ़ेगा और मजबूत बनेगा।
13 हमारा लक्ष्य अधिक से अधिक यह होना चाहिए कि हम समझें कि परमेश्वर का बेटा कौन है। जब हम विश्वास में एकता तक पहुँचेंगे तब हम परिपक्व हो जाएंगे और पूरी तरह से मसीह में बढे़ंगे। तब हम उस माप तक पहुँचेंगे जिसे मसीह ने हमारे लिए बनाया था।
14 हमें बालकों की तरह बने नहीं रहना चाहिए जो शक करते हैं और अलग अलग शिक्षाओं की बदलती हवाओं के पीछे जाते हैं। जब हम बड़े हो जाएंगे तब हम किसी भ्रम में नहीं पड़ेंगे। और धोखेबाज़ लोग हमें अपनी चालाक योजनाओं में शामिल नहीं कर पाएंगे।
15 आइए, प्यार से सच बोलें। तब हम आत्मिक रूप से बड़े हो जाएंगे और सब बातों में हम मसीह की तरह बन जाएंगे जो चर्च का सिर है।
16 मसीह पूरे शरीर को जोड़ता है और इसे अलग अलग जोडों के साथ बांध कर रखता है। शरीर के सभी अंग एक दूसरे से बिल्कुल मेल खाते हैं। शरीर का हर अंग अपना काम करता है। हर कोई बढ़ता है और प्यार के कारण मज़बूत होता है।
17 मैं प्रभु के नाम में माँगता हूँ और जोर देकर कहता हूँ कि दूसरे राष्ट्रों की तरह न जियें। पहले आप अन्यजाति लोगों की तरह व्यवहार करते थे। अन्यजाति लोग बेमतलब की चीज़ों के बारे में सोचते हैं और वे उसी तरह से काम करते हैं।
18 अन्यजाति लोग परमेश्वर को नहीं जानते और अपने दिलों को कठोर बनाते हैं। अंधकार उनके दिमाग में भरा हुआ है और उन्हें परमेश्वर के जीवन से अलग कर देता है।
19 उन्हें कोई शर्म नहीं आती। वे खुद को पूरी तरह से अनैतिक कामों के लिए दे देते हैं और घिनौनी चीज़ों का अभ्यास करते हैं।
20 लेकिन आपने मसीह से सीखा और आपको ऐसे कामों को नहीं करना है।
21 सच्चाई यीशु में है। और जब आपने मसीह के बारे में जाना तब उसने आपको सच्चाई सिखाई।
22 इसलिए जीवन के पुराने तरीके में वापस न जाएं। अपने अन्दर के इंसान से पुराने पापी स्वभाव को उतार दें। आपके अन्दर का इंसान धोखे में रहता था, वासना से जलता था और खुद को नष्ट करता था।
23 आत्मा आपके दिमाग को नया बनाए।
24 परमेश्वर के नए स्वभाव को अपने अन्दर के इंसान को पहनाएं जो परमेश्वर के स्वरूप में बनाया गया है। और आपके अंदर का इंसान परमेश्वर की धार्मिकता, पवित्रता और सच्चाई को पाएगा।
25 हम मसीह के एक शरीर के अंग बन गये। इसलिए झूठ न बोलें लेकिन एक दूसरे से सच बोलें।
26 जब आपके अंदर गुस्सा उबल रहा हो तब एक दूसरे का अपमान न करें। गुस्सा इस तरह से अंधा कर देता है कि सूरज की रोशनी भी दिखाई नहीं देती।
27 शैतान को अपने जीवन के किसी भी क्षेत्र पर कब्ज़ा करने की अनुमति न दें।
28 काम करें और ज़रूरतमंद लोगों की मदद करें। अपने हाथों से अच्छा काम करें और अगर आप चोरी करते थे तो अब से चोरी न करें।
29 अपनी बातों में गंदे शब्द न बोलें लेकिन सिर्फ़ दया के शब्द बोलें। वे विश्वास को मजबूत करते हैं और जो आपको सुनते हैं उन लोगों के लिए अनुग्रह लाते हैं।
30 पवित्र आत्मा को दुखी न करें। आप परमेश्वर के हैं और उस ने आप पर अपनी आत्मा की मुहर लगा दी है कि आप छुटकारे के दिन उद्धार पाएं।
31 कड़वाहट इकट्ठा न करें और बहुत गुस्से वाले न बनें। गुस्सा न करें और न चिल्लाएं। एक दूसरे का अपमान न करें और किसी भी बुरे कामों में भाग न लें।
32 इसके बजाय, दया और करुणा दिखाएं। एक दूसरे को उसी तरह से माफ़ करें जिस तरह से परमेश्वर ने मसीह के कारण आपको माफ़ किया। | 1 So I was put in prison because I preached about the Lord. And I urge you to live according to the calling you received from God.
2 Do not rise above one another. Be kind and be very patient. Love and accept one another despite the weaknesses.
3 If you maintain peace, you will live in spiritual unity. That is why you should make every effort to live in peace with one another.
4 You became different members of one Body, and God filled you with one Spirit. You received a calling from God, and He gave you one hope.
5 You believe in one Lord. You confess one faith and received one baptism.
6 One God became the Father for all of us. And He reigns over all of us, works through all of us, and lives in all of us.
7 Each of us received grace. And Christ gave different abilities to each one of us.
8 So the Scripture says, “He went up to a highest place, took captives into captivity and distributed gifts to the people.”
9 But first Christ came down to earth to the deepest places, and then He went up to a highest place.
10 Christ came down. And the same Christ rose high above all heavens and filled everything with His presence.
11 In the Church Christ appointed apostles, prophets, evangelists, pastors and teachers.
12 They equip the holy people of God to act and serve God. This way the Body of Christ will grow and become strong.
13 Our goal should be to understand more and more who the Son of God is. When we reach the unity in faith, we will become mature and fully grown up in Christ. Then we will meet the standard which Christ made for us.
14 We should not remain babies who doubt and are carried away by the changing winds of different teachings. When we grow up, we will not fall into delusion. And tricky people will not be able to involve us into their cunning schemes.
15 Let's speak the truth with love. Then we will grow up spiritually and in everything we will become like Christ who is the Head of the Church.
16 Christ unites the whole Body and holds it together with various connections. All members of the Body perfectly match one another. Each part of the Body does its work. Everyone grows and becomes strong through love.
17 In the name of the Lord I urge and insist that you should not live as the other nations do. In the past you behaved like the Gentiles who think of meaningless things and act just as senselessly.
18 The Gentiles do not know God and make their hearts hard. The darkness fills their minds and separates them from the life of God.
19 They feel no shame. They indulge in immoral activities and uncontrollably engage in disgusting things.
20 But you learned from Christ, so you must not do such things.
21 The truth is in Jesus. And when you got to know about Him, He taught you the truth.
22 So do not go back to your old way of life. Take off the old sinful nature from your inner person who lived in deception, was consumed by lust and destroyed himself in the past.
23 Let the Spirit renew your mind.
24 Put the new nature of God on your inner person who is created in the image of God. And your inner person will receive God’s righteousness, holiness, and truth.
25 We became different members of one Body of Christ. So do not lie, but tell the truth to one another.
26 When anger boils within you, do not insult one another. Anger can blind you so much that you may lose clarity of thought and find yourself in darkness, as if the sunlight disappeared.
27 Do not allow the devil to take control of any area of your life.
28 Work and help needy people. Do good with your hands and do not steal if you used to do so.
29 Do not use abusive language. Instead, speak kind words only. They strengthen faith and bring grace to those who listen to you.
30 Do not make the Holy Spirit sad. You belong to God, and He put on you the seal of His Spirit so that you would receive salvation on the day of redemption.
31 Do not accumulate bitterness in your hearts and do not give in to furious outbursts. Stop getting angry and shouting. Do not insult one another and do not do evil.
32 Instead, show kindness and compassion. Forgive one another as God forgave you in Christ. |
अध्याय 5 | Chapter 5 |
1 परमेश्वर आपसे प्यार करता है, आप उसके बच्चे हैं इसलिए हर बात में परमेश्वर की तरह काम करें।
2 आइये एक दूसरे से प्यार करें जैसे मसीह हमसे प्यार करता है। उसने हमारे लिए अपना जीवन दे दिया और खुद को बलिदान कर दिया। और परमेश्वर ने मसीह के बलिदान को सुखदायक सुगंध के रूप में स्वीकार किया।
3 आपका गलत यौन संबंधों, अशुद्ध चीज़ों और लालच से कोई लेना-देना नहीं। योग्य जीवन जिएँ और जिस तरह से परमेश्वर के पवित्र लोग व्यवहार करते हैं, वैसे ही व्यवहार करें।
4 अशुद्ध शब्द न बोलें, बेवकूफी की बातों में भाग न लें और गंदे चुटकुले न बोलें। इससे उल्टा एक दूसरे के साथ नम्रता से रहें।
5 लैंगिक रूप से अनैतिक और अशुद्ध काम करने वाले व्यक्ति को परमेश्वर के राज्य की विरासत नहीं मिलेगी। और लालची व्यक्ति जो मूर्ति की तरह चीजों की पूजा करता है, उसे भी इस राज्य की विरासत नहीं मिलेगी। आपको पता होना चाहिए कि मसीह और परमेश्वर इस राज्य में राज्य करते हैं।
6 परमेश्वर अपना क्रोध उन लोगों पर भड़काएगा जो उसकी आज्ञा नहीं मानते और झूठी बातों से आपको धोखा देते हैं।
7 इसलिए ऐसे लोगों से कोई लेना देना नहीं।
8 पिछले समय में आपके जीवन में अन्धकार भरा हुआ था। लेकिन अब वह रोशनी जो प्रभु ने दी, आप में चमकती है। आप रोशनी की संतान हैं। इसलिए ऐसे जियें कि आप रोशनी फैलाएं।
9 अच्छे काम करें और धर्मी की तरह व्यवहार करें। सच्चाई को अच्छी तरह से सीखें और आप आत्मा के फल लाएंगे।
10 परमेश्वर की योजनाओं को पूरा करें और परमेश्वर को खुश करें।
11 उन फल रहित कामों में हिस्सा न लें जो लोग अन्धेरे में करते हैं। इसके बजाय, ऐसी चीजों के प्रति अपना नकारात्मक रवैया दिखाएं।
12 उन कामों के बारे में बोलना भी शर्मनाक है जो लोग गुप्त में करते हैं।
13 जब हम ऐसी चीजों के प्रति अपना नकारात्मक रवैया दिखाते हैं तब हम इन बातों पर रोशनी डालते हैं।
14 इसलिए परमेश्वर कहता है, “हे सोने वालों, जागो और मरे हुओं में से जी उठो। और मसीह तुम पर अपनी रोशनी के साथ चमकेगा।”
15 इसलिए सोचें और फिर काम करें। बुद्धिमानी से व्यवहार करें और मूर्खों की तरह काम न करें।
16 जब बुराई आपके पास आए उस दिन अपना समय बर्बाद न करना।
17 लेकिन आपको समझना ही होगा कि परमेश्वर क्या करना चाहता है। और तब आप सोच समझकर काम कर पाएंगे।
18 शराब के नशे में चूर न हों क्योंकि यह आपको अनैतिक जीवन की ओर ले जाएगी लेकिन इसके बजाय आत्मा से भर जाएं।
19 भजन संहिता से प्रशंसा के गीत गाएं जो राजा दाऊद ने लिखे थे। स्तुति के गीत गाकर एक दूसरे को उत्साहित करें। उन गीतों से प्रभु की महिमा करें जो आत्मा आपको देती है। और आपके दिल गाएं और प्रभु की महिमा करें।
20 हर परिस्थिति में हमेशा हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से पिता परमेश्वर का धन्यवाद करें।
21 एक दूसरे के अधीन रहें। इस तरह से आप दिखाएंगे कि आपकी परमेश्वर में बड़ी श्रद्धा है।
22 हे पत्नियों, अपने पतियों की आज्ञा मानें। इस तरह से आप दिखाएंगी कि आप प्रभु की आज्ञा मानती हैं।
23 पति अपनी पत्नी का सिर है जैसे मसीह चर्च का सिर है। मसीह सिर्फ़ चर्च पर राज्य नहीं करता। लेकिन वह चर्च को बचाता भी है क्योंकि चर्च उसका शरीर है।
24 जैसे चर्च मसीह की आज्ञा का पालन करता है वैसे ही पत्नियाँ भी हर बात में अपने पति की आज्ञा मानें।
25 हे पतियों, अपनी पत्नियों से प्रेम करें जैसे मसीह ने चर्च से प्रेम किया और अपना जीवन चर्च के लिए दे दिया।
26 मसीह ने पानी की तरह अपने शब्दों से चर्च को धोया। उसने चर्च को साफ़ किया और पवित्र बनाया।
27 अब चर्च मसीह के सामने खड़ा रहता है और यह परमेश्वर की महिमा से भरा है। चर्च में कोई दाग नहीं, कोई कमीं नहीं और कोई दोष नहीं। चर्च पवित्र और निर्दोष बन गया है।
28 पतियों को अपनी पत्नियों से अपने शरीर की तरह प्यार करना है। जो अपनी पत्नी से प्यार करता है वह खुद से प्यार करता है।
29 कोई आदमी कभी भी अपने शरीर से नफ़रत नहीं करता। इसके बजाय, हर कोई इसका पालन-पोषण और देखभाल करता है। उसी तरह से, प्रभु चर्च की देखभाल करता है और उसकी हर ज़रूरत को पूरा करता है।
30 चर्च मसीह का शरीर है और हम उसके शरीर के अलग-अलग अंग हैं। जैसे परमेश्वर ने आदम के शरीर और उसकी पसली से हव्वा को बनाया, वैसे ही परमेश्वर ने मसीह के शरीर और उसकी पसली से चर्च को बनाया।
31 इसलिए जब आदमी शादी करता है तब वह अपने माता-पिता से अलग होता है और अपनी पत्नी से जुड़ता है। और दो बाहरी शरीर मिलकर एक हो जाते हैं।
32 और मैं कहता हूँ कि इसमें एक महान रहस्य छिपा है और यह रहस्य मसीह और चर्च से जुड़ा हुआ है।
33 हर पति को अपनी पत्नी से प्यार करना है जैसे वह खुद से प्यार करता है। और उसकी पत्नी को अपने पति का बहुत आदर करना है। | 1 God loves you, you are His children, so imitate Him in everything.
2 Let’s love one another as Christ loves us. He gave His life for our sins and sacrificed Himself. And God accepted the sacrifice of Christ as a pleasant aroma.
3 You must have nothing to do with sexual immorality, impure things and greed. Live a worthy life and behave as the holy people of God do.
4 Do not use bad language, do not engage in foolish conversations and do not tell rude jokes. Instead, be polite with one another.
5 Sexually immoral person and the one who engages in wicked activities will not receive an inheritance in the Kingdom of God. And a greedy person who worships things like an idol will not receive an inheritance in this Kingdom either. You must know that Christ and God rule in this Kingdom.
6 God will pour out His wrath on the people who disobey Him and deceive you with empty words.
7 So have nothing to do with such people.
8 In the past you were filled with darkness. But now the light the Lord gave you shines in you. You are the children of the light. So live your life to spread the light.
9 Do good deeds and act honestly. Study the truth well, and you will bear the fruit of the Spirit.
10 Fulfill the plans of God and please God.
11 Do not take part in the fruitless activities which people do in the darkness. Instead, show your negative attitude towards such things.
12 It is shameful even to talk about the things people do in secret.
13 We shed light when we express our negative attitude towards such things.
14 So God says, “Sleeper, wake up and rise from the dead so that Christ may shine His light upon you.”
15 So think carefully before you act. Behave wisely and do not act like fools.
16 Do not waste your time on the day when evil comes to you.
17 You must understand what God wants to do. Then you will be able to act thoughtfully.
18 Do not get drunk with wine which will lead you to an immoral life, but instead be filled with the Spirit.
19 Sing songs of praise from the Psalms written by King David. Encourage one another with solemn hymns of worship. Glorify the Lord with the songs that the Spirit gives you. And let your hearts sing and praise the Lord.
20 Always give thanks to God and the Father in the name of our Lord Jesus Christ in every circumstances.
21 Submit to one another. This will show that you have a great reverence to God.
22 Wives, submit to your husbands. This will show that you obey the Lord.
23 A husband is the head of his wife as Christ is the Head of the Church. Christ does not only rule the Church, He also saves the Church because the Church is His Body.
24 As Church submits to Christ so wives should also submit to their husbands in everything.
25 Husbands, love your wives as Christ loved the Church and gave His life for the Church.
26 Christ purified the Church with His Word like with water. He cleansed and made the Church holy.
27 Now the Church stands before Christ, and it is filled with God's glory. The Church has no stain, no defect, and no fault. The Church became holy and blameless.
28 Husbands must love their wives as their bodies. He who loves his wife loves himself.
29 No man ever hates his body. Instead, everyone nourishes and takes care of it. In the same way, the Lord takes care of the Church and provides it with everything it needs.
30 The Church is the Body of Christ, and we are different members of His Body. As God created Eve from Adam's physical body and his bone, so God created the Church from Christ's physical body and His bone.
31 So when a man gets married, he leaves his father and mother, and joins his wife. And the two unite into one in the physical body.
32 And I say, there is a great secret hidden in this, and the secret relates to Christ and the Church.
33 Every husband must love his wife as he loves himself. And wife should respect her husband deeply. |
अध्याय 6 | Chapter 6 |
1 हे बच्चों, आपको अपने माता-पिता की बात माननी चाहिए क्योंकि यह सही है। इस तरह से आप दिखाएंगे कि आप परमेश्वर की आज्ञा मानते हैं।
2 पहली आज्ञा जिसमें परमेश्वर हम से वादा करता है कहती है, “अपने माता-पिता के साथ आदर से व्यवहार करें।
3 तब आप बहुतायत में जियेंगे और आपका जीवन पृथ्वी पर बहुत वर्षों का होगा।”
4 हे पिताओं, आपको अपने बच्चों को गुस्सा करने के लिए नहीं उकसाना चाहिए क्योंकि इससे वे चिढ़ जाते हैं। लेकिन उन्हें बढ़ाना चाहिए और प्रभु की शिक्षाओं के अनुसार उन्हें अनुशासित करना चाहिए।
5 हे गुलामों, आपको अपने सांसारिक स्वामी का बहुत आदर करना चाहिए और समर्पण के साथ उनकी आज्ञा माननी चाहिए। आपको उनकी आज्ञा ऐसे माननी चाहिए जैसे कि आप मसीह की आज्ञा मानते हैं।
6 हमेशा उन्हें खुश करें और न सिर्फ़ तब जब वे आपको देख रहे हैं। आप मसीह के गुलाम बन गए इसलिए पूरे दिल से परमेश्वर की इच्छा को पूरा करें।
7 अपने स्वामियों की लगन से सेवा करें जैसे कि आप प्रभु की सेवा करते हैं, न कि लोगों की।
8 जो अच्छा है वह करें। निश्चय करें कि इसके लिए परमेश्वर हर गुलाम और हर आज़ाद व्यक्ति को अच्छा इनाम देगा।
9 हे स्वामियों, आपको अपने गुलामों के साथ भलाई करनी चाहिए और उन्हें धमकी नहीं देनी चाहिए। याद रखें कि आपके और गुलामों के ऊपर स्वर्ग में प्रभु है जो देखता है कि आप कैसे काम करते हैं। वह न तो आपके प्रति और न गुलामों के प्रति पक्षपात करता है।
10 हे भाइयों, प्रभु की शक्ति और सामर्थ्य से अपने आप को मज़बूत बनाएं।
11 सारे आत्मिक हथियार पहन लें जो परमेश्वर आपको देता है। तब आप शैतान की बुरी योजनाओं को रोक पाएंगे।
12 हम उस दुश्मन से लड़ते हैं जिस में न तो खून और न ही बाहरी शरीर है। हमारा युद्ध शासकों के खिलाफ़, अधिकारियों के खिलाफ़, शक्तियों के खिलाफ़ है जो इस दुनियाँ के अन्धकार पर राज करते हैं। ये बुरी आत्माएँ स्वर्गीय स्थानों में हैं और हम उन से लड़ रहे हैं।
13 सारे आत्मिक हथियार ले लें जो परमेश्वर आपको देता है ताकि जब बुराई आपके पास आएगी तब उस दिन आप दुश्मन का सामना कर सकें। तब आप सब कुछ पर जय पाएंगे। और जब लड़ाई खत्म हो जाएगी तब आप विजयी होंगे।
14 इसलिए दुश्मन के हमले को पीछे हटाने के लिए तैयार रहें। सच्चाई को लें और इसे युद्ध के कमरबंद की तरह पहन लें। परमेश्वर की धार्मिकता को लें और उसे झिलम की तरह पहन लें।
15 मसीह के बारे में अच्छी खबर को लें और इसे अपने पैरों में जूते की तरह पहन लें। तब आप जाने और लोगों में परमेश्वर की शान्ति लाने के लिए तैयार होंगे।
16 लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि विश्वास को लें और इसे ढाल की तरह इस्तेमाल करें। शैतान आग में तीरों को जलाता है और आप पर निशाना लगाता है लेकिन आप विश्वास की ढाल से आग की लपटों को बुझा पाएंगे।
17 उद्धार को लें और इसे अपने सिर पर टोप की तरह पहन लें। परमेश्वर के वचन को लें जिसे आत्मा बोलती है और इसे तलवार की तरह इस्तेमाल करें।
18 हर समय आत्मा में प्रार्थना करें। किसी भी प्रार्थना में परमेश्वर से अपनी जरूरतों और परमेश्वर के पवित्र लोगों की जरूरतों के लिए मदद माँगने के बारे में न भूलें।
19 मेरे लिए भी प्रार्थना करें। परमेश्वर से माँगें कि वह मुझे सही वचन दे। प्रार्थना करें कि मैं बहादुरी से मसीह के बारे में अच्छी खबर का प्रचार करूँ। और तब मैं दूसरे लोगों को वह रहस्य बता पाऊँगा जिसे परमेश्वर ने मुझ पर प्रकट किया था।
20 मैं बंदी बन गया क्योंकि मैंने मसीह के बारे में अच्छी खबर का प्रचार किया। लेकिन जेल में भी मैं परमेश्वर का संदेश को लाता हूँ। मेरे लिए प्रार्थना करें क्योंकि मुझे साहस के साथ मसीह के बारे में बोलना है।
21 मैं चाहता हूँ कि आप जानें कि मैं किस प्रकार की परिस्थिति का अनुभव करता हूँ और मैं क्या कर रहा हूँ। हमारा प्रिय भाई तुखिकुस ईमानदारी से प्रभु की सेवा करता है और वह आपको सब कुछ बताएगा।
22 इसलिए मैं उसको आप के पास भेज रहा हूँ। तुखिकुस आप को हमारे बारे में खबर देगा और आपके दिलों में शान्ति आएगी।
23 हे भाइयों, परमेश्वर पिता और प्रभु यीशु मसीह आपको शान्ति, प्रेम और विश्वास से भरें।
24 हमेशा हमारे प्रभु यीशु मसीह से प्रेम करें और आप उसके अनुग्रह में जीवित रहेंगे। आमीन। | 1 Children, obey your parents because it is correct. This will show that you obey the Lord.
2 The first commandment where God gives us His promise, says, “Treat your father and mother with respect.
3 Then you will live in full prosperity, and your life will last for many years on earth.”
4 Fathers, do not provoke your children to anger, because it annoys them. But raise them up and discipline them according to the teaching of the Lord.
5 Slaves, obey your earthly masters with deep respect and dedication. Submit to them as you would submit to Christ.
6 Please them always, not just when they are observing you. You became the slaves of Christ, so do the will of God with all your heart.
7 Serve your masters as diligently as you would serve the Lord, not the people.
8 Do good deeds. Be sure that for this the Lord will reward every slave and every free person with good.
9 And you, masters, do good to your slaves and do not threaten them. Remember that above both you and the servants there is the Lord in heaven who can see how you act. He shows no favoritism to you nor the slaves.
10 Brothers, make yourselves strong with the power and strength of the Lord.
11 Put on the full spiritual armor which God gives you. Then you will be able to resist the evil plans of the devil.
12 We fight against the enemy who has no blood and no physical body. Our war is against the rulers, against the authorities, against powers which rule the darkness of this world. These evil spirits belong to the heavenly realms, and we are fighting against them.
13 Take the full spiritual armor that God gives you to resist the enemy on the day when evil comes against you. Then you will be able to overcome every challenge. And when the battle is over, you will remain standing victorious.
14 So be ready to repel the attack of the enemy. Take the truth and put it on like a military belt. Take the righteousness of God and put it on like a breastplate.
15 Take the Good News about Christ and put it on your feet like shoes. Then you will be ready to go and bring God's peace to others.
16 But the most important thing is to take faith and use it like a shield. The devil flames his arrows in the fire and aims at you, but you will be able to extinguish the flames of fire with the shield of faith.
17 Take salvation and put it on your head like a helmet. Take the Word of God spoken by the Spirit and use it like a sword.
18 Pray in the Spirit at all times. In every prayer remember to ask God to help you with your needs and with the needs of the holy people of God.
19 Pray also for me. Ask God to give me right words. Pray that I could boldly preach the Good News about Christ. Then I will be able to share with others the secret that God revealed to me.
20 I was put in prison because I preached the Good News about Christ. But even in prison I keep spreading a message of God. Pray for me, because I must speak boldly about the Lord.
21 I want you to know the situation I am experiencing and what I am doing. Our dear brother Tychicus who serves faithfully to the Lord, will tell you everything.
22 So I am sending him to you. Tychicus will bring you our news, and your hearts will find peace.
23 Brothers, may God the Father and the Lord Jesus Christ fill you with peace, love and faith.
24 Forever love our Lord Jesus Christ, and you will live in His grace. Amen. |