Letter to the Ephesians

Letter to the Ephesians

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अध्याय 1

1 मैं पौलुस हूँ और मैं परमेश्वर की इच्छा से यीशु मसीह का प्रेरित बना हूँ। मैं उन पवित्र लोगों को लिख रहा हूँ जो इफिसुस में रहते हैं और विश्वासयोग्यता से यीशु मसीह की सेवा करते हैं।
2 हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से आपको अनुग्रह और शान्ति मिले।
3 परमेश्वर और हमारे प्रभु यीशु मसीह का पिता धन्य है। हम मसीह के हैं इसलिए परमेश्वर ने हमें आशीषित किया है। उसने हमें सारी आत्मिक आशीष दी है जो स्वर्ग में रखी है।
4 दुनियाँ को बनाने से पहले परमेश्वर ने मसीह में हमें चुना। उसने यह इसलिए किया ताकि हम उसके प्यार में जी सकें और परमेश्वर की उपस्थिति में पवित्र और निर्दोष बनें।
5 परमेश्वर ने पहले से फ़ैसला कर लिया था कि वह यीशु मसीह के द्वारा हमें गोद लेगा। और वह अपनी योजना पूरी करना चाहता था।
6 परमेश्वर ने हमें अपनी महानता, महिमा और अनुग्रह में गोद लिया जो उसने प्यारे यीशु के द्वारा हम पर उंडेला।
7 मसीह ने अपने खून से हमारे पाप से आज़ादी के लिए मूल्य चुकाया। परमेश्वर अनुग्रह से भरा है इसलिए उसने हमारे पापों को माफ़ किया।
8 परमेश्वर ने हम पर बहुतायत से अपने अनुग्रह को बरसाया। उसने हमें सारी बुद्धि और समझ दी।
9 परमेश्वर हम पर अपनी इच्छा का रहस्य प्रकट करना चाहता था। और शुरुआत से ही परमेश्वर मसीह के द्वारा अपनी योजनाओं को पूरा करना चाहता था।
10 जब सही समय आएगा तब परमेश्वर स्वर्ग में और पृथ्वी पर मौजूद सभी को एक साथ इकट्ठा करेगा। और तब मसीह सब पर राज्य करेगा।
11 परमेश्वर ने हमें अपनी विरासत देने की योजना बनाई। उसने पहले से फ़ैसला कर लिया कि हम इस विरासत को पाएंगे क्योंकि हम मसीह के हैं। और परमेश्वर ने अपनी योजनाओं और इच्छाओं को पूरा किया।
12 हम आपसे पहले मसीह के पास आए। हम परमेश्वर की महानता और महिमा में प्रवेश करने के लिए अपनी आशा उसी पर रखते हैं।
13 आपने सच्चाई का वचन भी सुना। यह अच्छी खबर थी कि परमेश्वर आपको पाप से बचाना चाहता है। आपने मसीह पर विश्वास किया और परमेश्वर ने आप पर पवित्र आत्मा की मुहर लगाई जिसे उसने विश्वासियों को देने का वादा किया था।
14 हमारे पास विरासत है और पवित्र आत्मा हमारा बयाना है। मसीह ने हमें छुड़ाया और अब हम परमेश्वर के हैं। इसलिए हम परमेश्वर की महानता और उसकी महिमा में प्रवेश कर सकते हैं।
15 मैंने सुना कि आप यीशु मसीह पर विश्वास करते हैं और आप परमेश्वर के सभी पवित्र लोगों से प्यार करते हैं।
16 इसलिए मैं नियमित रूप से आपके लिए परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ और आपको अपनी प्रार्थनाओं में याद करता हूँ।
17 हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमेश्वर आपको बुद्धि की आत्मा दे। मैं प्रार्थना करता हूँ कि महिमा का पिता आपको प्रकाशन की आत्मा दे। और तब आप पूरी तरह से समझ सकें कि परमेश्वर कौन है।
18 परमेश्वर अपना प्रकाश आप पर चमकाए। तब आपके दिल की आँखें आशा और बुलाहट को देखेंगे जो परमेश्वर के पास आपके लिए है। और आपको पूरा एहसास होगा कि कैसी दौलत, महिमा और परमेश्वर की विरासत परमेश्वर के पवित्र लोगों की है।
19 हम मसीह पर विश्वास करते हैं। इसलिए परमेश्वर हमें अपनी असीमित महानता और शक्ति से भर देता है। और मैं उससे माँगता हूँ कि आप पूरी तरह से इसका एहसास कर सकें। परमेश्वर अपनी महान शक्ति से हमारे अन्दर काम करता है।
20 और परमेश्वर ने उसी शक्ति के साथ मसीह में काम किया जब उसने उसे मरे हुओं में से जिलाया। परमेश्वर ने मसीह को स्वर्ग में अपने दाहिने हाथ पर बैठाया और उसे अधिकार का पद दिया।
21 परमेश्वर ने मसीह को किसी भी शासक या अधिकार से बहुत ऊपर रखा। परमेश्वर ने मसीह को किसी भी नेता के पद वाले व्यक्ति से बहुत अधिक शक्ति दी। परमेश्वर ने मसीह को सब नामों से बहुत ऊँचा किया जो इस युग में या भविष्य में कभी होगा।
22 परमेश्वर ने सभी चीजों को मसीह के पावों के नीचे कर दिया। परमेश्वर ने उसे सबसे ऊपर रखा और मसीह चर्च का सिर बन गया।
23 चर्च मसीह का शरीर है। मसीह ने चर्च को अपनी उपस्थिति से भर दिया। और उसने चारों ओर सब कुछ को भी अपने आप से भर दिया।

अध्याय 2

1 पहले आप पापों में जीते थे और आपके पापों ने आपको मार डाला।
2 आप इस दुनियाँ की तरह काम करते थे। और दुनियाँ उस शासक की आज्ञा मानती है जो हवा में राज करता है। यह शासक आत्मा है। और अब वह उन लोगों में काम करता है जो परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानते।
3 हम बाकी सभी की तरह व्यवहार करते थे और हम वासना से जल रहे थे जो हमारे शरीर में रहती थी। हमने वही किया जो हमारे मन में आया। हमने वैसे ही किया जैसे हमारा शरीर करना चाहता था। और हम बाकी लोगों की तरह स्वभाव से क्रोध की संतान थे।
4 लेकिन परमेश्वर महान प्यार से भरा हुआ है और दया में अमीर है। इसलिए परमेश्वर ने हमें अपना प्यार दिखाया।
5 पहले हमने परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानी और इसने हमें मरा हुआ बना दिया। लेकिन परमेश्वर ने हमें मसीह के साथ जीवित किया और अपने अनुग्रह से हमें बचाया।
6 परमेश्वर ने हमें मसीह के साथ जिलाया और यीशु मसीह में हमें स्वर्ग में बैठाया।
7 आने वाले समय में परमेश्वर हमें अपने अनुग्रह के अपार धन और मसीह में दया को दिखाएगा।
8 आपने मसीह पर विश्वास किया इसलिए परमेश्वर ने आप को अनुग्रह से बचाया। कोई भी ऐसे उपहार के लायक नहीं।
9 इसलिए कोई भी अपनी बड़ाई न करे कि वह अपने कामों से उद्धार पाने के लायक बना है।
10 जब हम मसीह के पास आए तब परमेश्वर ने हमें नयी सृष्टि बनाया। और अब हम उन अच्छे कामों को करते हैं जिसकी योजना उसने हमारे लिए बहुत पहले से बनाई थी।
11 आप अन्यजाति लोगों के रूप में पैदा हुए और यहूदी लोग आपको “खतनारहित” कहते हैं। लेकिन यहूदी लोग अपना खतना करवाते हैं और वे खुद को “खतना किए हुए” कहते हैं।
12 परमेश्वर ने अपने वादे इस्राएल के लोगों को दिए और उनके साथ अटूट समझौता किया। जब आप मसीह के बिना जीते थे तब आप परमेश्वर के लोगों में से नहीं थे। आपके पास कोई उम्मीद नहीं थी और आपके जीवन में कोई परमेश्वर नहीं था।
13 उस समय आप परमेश्वर से बहुत दूर थे। लेकिन अब आप यीशु मसीह के हैं। और उसके खून ने आपको पाप से साफ़ किया और आप परमेश्वर के नज़दीक आ गए।
14 मसीह ने यहूदी लोगों और अन्यजाति लोगों का मेल मिलाप कराया और उन्हें एक कर दिया। उसने उस रुकावट को नष्ट कर दिया, जो हमारे बीच में खड़ी थी।
15 यहूदी लोग मूसा के कानून, आज्ञाओं और नियमों के कारण अन्यजाति लोगों के दुश्मन थे। लेकिन मसीह ने अपनी मौत के द्वारा उस दुश्मनी को नष्ट कर दिया और मूसा के कानून, आज्ञाओं और नियमों को रद्द कर दिया। उसने यहूदियों और अन्यजातियों को लेकर अपने अन्दर एक नया राष्ट्र बनाया। मसीह ने हमें शान्ति दी।
16 मसीह ने क्रूस पर दुश्मनी को मार डाला। उसने क्रूस के द्वारा यहूदियों और अन्यजातियों को एक शरीर में जोड़ दिया और उनका परमेश्वर के साथ मेलमिलाप करा दिया।
17 पहले अन्यजाति लोग परमेश्वर से बहुत दूर थे और यहूदी लोग परमेश्वर के नज़दीक थे। लेकिन मसीह दोनों के पास आया और उनके पास शान्ति की अच्छी खबर को लाया।
18 मसीह के द्वारा अन्यजाति लोग और यहूदी लोग एक आत्मा में पिता के पास आते हैं।
19 अब आप विदेशियों की तरह एक दूसरे के लिए अजनबी नहीं रहे। आप दूसरे विश्वासियों की तरह परमेश्वर के राज्य के नागरिक बन गए हैं।
20 आप उस घर का हिस्सा बन गए जिसे परमेश्वर प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं की नींव पर बनाता है। और यीशु मसीह खुद इस घर की नींव में पहला और मुख्य पत्थर है।
21 इसी पत्थर पर परमेश्वर ऐसी इमारत बना रहा है जहाँ सब कुछ एक साथ पूरी तरह से ठीक बैठता है। यह इमारत बढ़ती है और हम एक पवित्र मन्दिर बन जाते हैं जहाँ प्रभु रहता है।
22 मसीह में आप भी इस इमारत का हिस्सा बने गये और इस इमारत में परमेश्वर अपनी आत्मा के रूप में रहता है।

अध्याय 3

1 मैं कैदी बना, क्योंकि मैंने आप, अन्यजाति लोगों को, यीशु मसीह के बारे में बताया था।
2 आपने सुना है कि परमेश्वर ने मुझे अपना अनुग्रह दिया ताकि मैं अन्यजाति लोगों को मसीह के पास ला सकूँ।
3 परमेश्वर ने मुझे प्रकाशन के द्वारा एक रहस्य दिखाया और मैंने पहले ही इसके बारे में कम शब्दों में लिखा था।
4 इस पत्र को पढ़िए और आप समझ सकेंगे कि मैं उस रहस्य को कैसे समझ पाता हूँ जिसे परमेश्वर ने मसीह के द्वारा मुझ पर प्रकट किया।
5 पिछली पीढ़ियों में रहने वाले लोग इस रहस्य को नहीं जानते थे। लेकिन अब पवित्र आत्मा ने इसे पवित्र प्रेरितों और भविष्यद्वक्ताओं पर खोल दिया।
6 और मैं आपको इस रहस्य के बारे में बताना चाहता हूँ। अन्यजातियों और यहूदियों दोनों में से जो अच्छी खबर पर विश्वास करते हैं वे यीशु के हैं। वे एक शरीर के अंग बन गये। इसलिए अन्यजातियों और यहूदियों दोनों ने परमेश्वर के समान वादों को प्राप्त किया।
7 मैंने परमेश्वर की शक्ति को महसूस किया और अनुग्रह पाया। परमेश्वर ने मुझे अपना सेवक बनाया ताकि मैं अच्छी खबर को फैला सकूँ।
8 मैं परमेश्वर के सभी पवित्र लोगों में सबसे नालायक हूँ। लेकिन परमेश्वर ने मुझे यह अनुग्रह दिया ताकि मैं अन्यजाति लोगों को मसीह के धन के बारे में अच्छी खबर का प्रचार कर सकूँ जिसे मापना असंभव है।
9 परमेश्वर ने यीशु मसीह के द्वारा सब कुछ बनाया। और समय की शुरुआत में उसने इस रहस्य को नहीं खोला कि अन्यजातियाँ उसकी योजना में कैसे भाग लेंगी। लेकिन परमेश्वर ने मुझे अनुग्रह दिया और मैं यह रहस्य सभी पर प्रकट करता हूँ।
10 परमेश्वर ने चर्च को बनाया और चर्च के द्वारा उसने शासकों और अधिकारियों को जो स्वर्गीय स्थानों में हैं, अपनी बुद्धि के अलग-अलग प्रकारों को दिखाया।
11 समय के शुरुआत से ही परमेश्वर के पास एक योजना थी जिसे उसने हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा पूरा किया।
12 हम यीशु पर विश्वास करते हैं और उसके द्वारा हम साहस और आत्मविश्वास से परमेश्वर के पास आते हैं।
13 मैं आपके कारण दु:ख उठाता हूँ लेकिन मैं आपसे माँगता हूँ कि आप इसके कारण अपना उत्साह न खोएं। मेरे कष्ट आपको महिमा दिलाएंगे।
14 मैं हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता के सामने घुटनों के बल झुकता हूँ।
15 मैं परमेश्वर के सामने झुकता हूँ जिसने हर परिवार को नाम दिया जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर मौजूद है।
16 परमेश्वर आपको अपनी महिमा से धनी बनाए। उसकी आत्मा आपके अन्दर के इंसान को मजबूत बनाए।
17 विश्वास के द्वारा मसीह आपके दिलों में रहे।
18 एक दूसरे से प्यार करें और तब आप गहरी जड़ें बढ़ाएंगे और मजबूत नींव पर खड़े होंगे। परमेश्वर के सभी पवित्र लोगों के साथ मिलकर आप यह समझ सकेंगे कि मसीह का प्यार लंबाई और चौड़ाई में, गहराई और ऊँचाई में फैला हुआ है।
19 मसीह हमें इतना प्यार करता है कि यह सारी समझ से परे है। मैं प्रार्थना करता हूँ कि परमेश्वर के सभी पवित्र लोगों के साथ मिलकर आप मसीह के प्यार को महसूस कर सकें। और तब परमेश्वर आपको अपनी उपस्थिति से भर देगा।
20 परमेश्वर हम में शक्ति से काम करता है। और जो हम उससे माँगते हैं या सोचते हैं, वह उससे कहीं अधिक करने के योग्य है।
21 चर्च यीशु मसीह का है। इसलिए सभी युगों में लोगों की सभी पीढ़ियाँ चर्च में परमेश्वर की महिमा करें। आमीन।

अध्याय 4

1 मैंने प्रभु के बारे में प्रचार किया इसलिए मैं कैदी बन गया। और मैं आपसे उस बुलाहट के अनुसार जीने के लिए कहता हूँ जो आपने परमेश्वर से पाई थी।
2 घमंडी न बनें। दयालु बनें और बहुत धीरज रखें। एक दूसरे से प्यार करें और कमजोरियों के बावजूद एक दूसरे को स्वीकार करें।
3 अगर आप शान्ति बनाए रखें तब आप आत्मिक एकता बनाए रखेंगे। इसलिए आप एक दूसरे के साथ शान्ति से रहने के लिए हर संभव प्रयास करें।
4 आप एक ही शरीर के अंग बन गए और परमेश्वर ने आप को एक ही आत्मा से भर दिया। आपने परमेश्वर से बुलाहट पाई और उसने आपको एक ही आशा दी।
5 आप एक ही प्रभु पर विश्वास रखते हैं। आप एक ही विश्वास का अंगीकार करते हैं और आपने एक ही बपतिस्मा लिया।
6 एक ही परमेश्वर हम सभी का पिता बन गया। और वह हम सभी के ऊपर राज्य करता है, हम सभी के द्वारा काम करता है और हम सभी के अंदर रहता है।
7 हम में से हर एक ने अनुग्रह पाया। और मसीह ने हम में से हर एक को अलग-अलग क्षमताएँ दीं।
8 इसलिए शास्त्र कहते हैं, “वह ऊँचे स्थान पर चढ़ा, बंदियों को बंदी बनाया और लोगों को उपहार बाँटे।”
9 लेकिन पहले मसीह धरती पर सबसे गहरी जगहों में नीचे उतरा और फिर वह ऊँचे स्थान पर चढ़ गया।
10 मसीह नीचे उतर आया। और वही मसीह सभी स्वर्गों के ऊपर चढ़ गया और सब कुछ को अपनी उपस्थिति से भर दिया।
11 मसीह ने चर्च में प्रेरितों, भविष्यद्वक्ताओं, प्रचार करने वालों, पास्टरों और शिक्षकों को नियुक्त किया।
12 वे परमेश्वर के पवित्र लोगों को तैयार करते हैं ताकि वे काम और परमेश्वर की सेवा कर सकें। इस तरह से मसीह का शरीर बढ़ेगा और मजबूत बनेगा।
13 हमारा लक्ष्य अधिक से अधिक यह होना चाहिए कि हम समझें कि परमेश्वर का बेटा कौन है। जब हम विश्वास में एकता तक पहुँचेंगे तब हम परिपक्व हो जाएंगे और पूरी तरह से मसीह में बढे़ंगे। तब हम उस माप तक पहुँचेंगे जिसे मसीह ने हमारे लिए बनाया था।
14 हमें बालकों की तरह बने नहीं रहना चाहिए जो शक करते हैं और अलग अलग शिक्षाओं की बदलती हवाओं के पीछे जाते हैं। जब हम बड़े हो जाएंगे तब हम किसी भ्रम में नहीं पड़ेंगे। और धोखेबाज़ लोग हमें अपनी चालाक योजनाओं में शामिल नहीं कर पाएंगे।
15 आइए, प्यार से सच बोलें। तब हम आत्मिक रूप से बड़े हो जाएंगे और सब बातों में हम मसीह की तरह बन जाएंगे जो चर्च का सिर है।
16 मसीह पूरे शरीर को जोड़ता है और इसे अलग अलग जोडों के साथ बांध कर रखता है। शरीर के सभी अंग एक दूसरे से बिल्कुल मेल खाते हैं। शरीर का हर अंग अपना काम करता है। हर कोई बढ़ता है और प्यार के कारण मज़बूत होता है।
17 मैं प्रभु के नाम में माँगता हूँ और जोर देकर कहता हूँ कि दूसरे राष्ट्रों की तरह न जियें। पहले आप अन्यजाति लोगों की तरह व्यवहार करते थे। अन्यजाति लोग बेमतलब की चीज़ों के बारे में सोचते हैं और वे उसी तरह से काम करते हैं।
18 अन्यजाति लोग परमेश्वर को नहीं जानते और अपने दिलों को कठोर बनाते हैं। अंधकार उनके दिमाग में भरा हुआ है और उन्हें परमेश्वर के जीवन से अलग कर देता है।
19 उन्हें कोई शर्म नहीं आती। वे खुद को पूरी तरह से अनैतिक कामों के लिए दे देते हैं और घिनौनी चीज़ों का अभ्यास करते हैं।
20 लेकिन आपने मसीह से सीखा और आपको ऐसे कामों को नहीं करना है।
21 सच्चाई यीशु में है। और जब आपने मसीह के बारे में जाना तब उसने आपको सच्चाई सिखाई।
22 इसलिए जीवन के पुराने तरीके में वापस न जाएं। अपने अन्दर के इंसान से पुराने पापी स्वभाव को उतार दें। आपके अन्दर का इंसान धोखे में रहता था, वासना से जलता था और खुद को नष्ट करता था।
23 आत्मा आपके दिमाग को नया बनाए।
24 परमेश्वर के नए स्वभाव को अपने अन्दर के इंसान को पहनाएं जो परमेश्वर के स्वरूप में बनाया गया है। और आपके अंदर का इंसान परमेश्वर की धार्मिकता, पवित्रता और सच्चाई को पाएगा।
25 हम मसीह के एक शरीर के अंग बन गये। इसलिए झूठ न बोलें लेकिन एक दूसरे से सच बोलें।
26 जब आपके अंदर गुस्सा उबल रहा हो तब एक दूसरे का अपमान न करें। गुस्सा इस तरह से अंधा कर देता है कि सूरज की रोशनी भी दिखाई नहीं देती।
27 अपने जीवन के किसी भी क्षेत्र को शैतान को न दें।
28 काम करें और ज़रूरतमंद लोगों की मदद करें। अपने हाथों से अच्छा काम करें और अगर आप चोरी करते थे तो अब से चोरी न करें।
29 अपनी बातों में गंदे शब्द न बोलें लेकिन सिर्फ़ दया के शब्द बोलें। वे विश्वास को मजबूत करते हैं और जो आपको सुनते हैं उन लोगों के लिए अनुग्रह लाते हैं।
30 पवित्र आत्मा को दुखी न करें। आप परमेश्वर के हैं और उस ने आप पर अपनी आत्मा की मुहर लगा दी है कि आप छुटकारे के दिन उद्धार पाएं।
31 कड़वाहट इकट्ठा न करें और बहुत गुस्से वाले न बनें। गुस्सा न करें और न चिल्लाएं। एक दूसरे का अपमान न करें और किसी भी बुरे कामों में भाग न लें।
32 दया और करुणा दिखाएं। एक दूसरे को उसी तरह से माफ़ करें जिस तरह से परमेश्वर ने मसीह के कारण आपको माफ़ किया।

अध्याय 5

1 परमेश्वर आपसे प्यार करता है, आप उसके बच्चे हैं इसलिए हर बात में परमेश्वर की तरह काम करें।
2 आइये एक दूसरे से प्यार करें जैसे मसीह हमसे प्यार करता है। उसने हमारे लिए अपना जीवन दे दिया और खुद को बलिदान कर दिया। और परमेश्वर ने मसीह के बलिदान को सुखदायक सुगंध के रूप में स्वीकार किया।
3 आपका गलत यौन संबंधों, अशुद्ध चीज़ों और लालच से कोई लेना-देना नहीं। योग्य जीवन जिएँ और जिस तरह से परमेश्वर के पवित्र लोग व्यवहार करते हैं, वैसे ही व्यवहार करें।
4 अशुद्ध शब्द न बोलें, बेवकूफी की बातों में भाग न लें और गंदे चुटकुले न बोलें। इससे उल्टा एक दूसरे के साथ नम्रता से रहें।
5 लैंगिक रूप से अनैतिक और अशुद्ध काम करने वाले व्यक्ति को परमेश्वर के राज्य की विरासत नहीं मिलेगी। और लालची व्यक्ति जो मूर्ति की तरह चीजों की पूजा करता है, उसे भी इस राज्य की विरासत नहीं मिलेगी। आपको पता होना चाहिए कि मसीह और परमेश्वर इस राज्य में राज्य करते हैं।
6 परमेश्वर उन लोगों से गुस्सा होगा जो उसकी आज्ञा नहीं मानते और झूठी बातों से आपको धोखा देते हैं।
7 इसलिए ऐसे लोगों से कोई लेना देना नहीं।
8 पिछले समय में आपके जीवन में अन्धकार भरा हुआ था। लेकिन अब वह रोशनी जो प्रभु ने दी, आप में चमकती है। आप रोशनी की संतान हैं। इसलिए ऐसे जियें कि आप रोशनी फैलाएं।
9 अच्छे काम करें और धर्मी की तरह व्यवहार करें। सच्चाई को अच्छी तरह से सीखें और आप आत्मा के फल लाएंगे।
10 परमेश्वर की योजनाओं को पूरा करें और परमेश्वर को खुश करें।
11 उन फल रहित कामों में हिस्सा न लें जो लोग अन्धेरे में करते हैं। इसके बजाय, ऐसी चीजों के प्रति अपना नकारात्मक रवैया दिखाएं।
12 उन कामों के बारे में बोलना भी शर्मनाक है जो लोग गुप्त में करते हैं।
13 जब हम ऐसी चीजों के प्रति अपना नकारात्मक रवैया दिखाते हैं तब हम इन बातों पर रोशनी डालते हैं।
14 इसलिए परमेश्वर कहता है, “हे सोने वालों, जागो और मरे हुओं में से जी उठो। और मसीह तुम पर अपनी रोशनी के साथ चमकेगा।”
15 इसलिए सोचें और फिर काम करें। बुद्धिमानी से व्यवहार करें और मूर्खों की तरह काम न करें।
16 जब बुराई आपके पास आए उस दिन अपना समय बर्बाद न करना।
17 लेकिन आपको समझना ही होगा कि परमेश्वर क्या करना चाहता है। और तब आप सोच समझकर काम कर पाएंगे।
18 शराब के नशे में चूर न हों क्योंकि यह आपको अनैतिक जीवन की ओर ले जाएगी लेकिन इसके बजाय आत्मा से भर जाएं।
19 भजन संहिता से प्रशंसा के गीत गाएं जो राजा दाऊद ने लिखे थे। स्तुति के गीत गाकर एक दूसरे को उत्साहित करें। उन गीतों से प्रभु की महिमा करें जो आत्मा आपको देती है। और आपके दिल गाएं और प्रभु की महिमा करें।
20 हर परिस्थिति में हमेशा हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से पिता परमेश्वर का धन्यवाद करें।
21 एक दूसरे के अधीन रहें। इस तरह से आप दिखाएंगे कि आपकी परमेश्वर में बड़ी श्रद्धा है।
22 हे पत्नियों, अपने पतियों की आज्ञा मानें। इस तरह से आप दिखाएंगी कि आप प्रभु की आज्ञा मानती हैं।
23 पति अपनी पत्नी का सिर है जैसे मसीह चर्च का सिर है। मसीह सिर्फ़ चर्च पर राज्य नहीं करता। लेकिन वह चर्च को बचाता भी है क्योंकि चर्च उसका शरीर है।
24 जैसे चर्च मसीह की आज्ञा का पालन करता है वैसे ही पत्नियाँ भी हर बात में अपने पति की आज्ञा मानें।
25 हे पतियों, अपनी पत्नियों से प्रेम करें जैसे मसीह ने चर्च से प्रेम किया और अपना जीवन चर्च के लिए दे दिया।
26 मसीह ने पानी की तरह अपने शब्दों से चर्च को धोया। उसने चर्च को साफ़ किया और पवित्र बनाया।
27 अब चर्च मसीह के सामने खड़ा रहता है और यह परमेश्वर की महिमा से भरा है। चर्च में कोई दाग नहीं, कोई कमीं नहीं और कोई दोष नहीं। चर्च पवित्र और निर्दोष बन गया है।
28 पतियों को अपनी पत्नियों से अपने शरीर की तरह प्यार करना है। जो अपनी पत्नी से प्यार करता है वह खुद से प्यार करता है।
29 कोई आदमी अपने बाहरी शरीर से नफ़रत नहीं करता। इसके बजाय, हर कोई खुद को खिलाता और अपने शरीर का ख्याल रखता है। उसी तरह से प्रभु चर्च को खिलाता है और उसका ख्याल रखता है।
30 चर्च मसीह का शरीर है और हम उसके शरीर के अंग हैं। परमेश्वर ने मसीह के बाहरी शरीर और उसकी पसली से चर्च को बनाया। उसी तरह जैसे परमेश्वर ने आदम के बाहरी शरीर और उसकी पसली से हव्वा को बनाया था।
31 इसलिए जब आदमी शादी करता है तब वह अपने माता-पिता से अलग होता है और अपनी पत्नी से जुड़ता है। और दो बाहरी शरीर मिलकर एक हो जाते हैं।
32 और मैं कहता हूँ कि इसमें एक महान रहस्य छिपा है और यह रहस्य मसीह और चर्च से जुड़ा हुआ है।
33 हर पति को अपनी पत्नी से प्यार करना है जैसे वह खुद से प्यार करता है। और उसकी पत्नी को अपने पति का बहुत आदर करना है।

अध्याय 6

1 हे बच्चों, आपको अपने माता-पिता की बात माननी चाहिए क्योंकि यह सही है। इस तरह से आप दिखाएंगे कि आप परमेश्वर की आज्ञा मानते हैं।
2 पहली आज्ञा जिसमें परमेश्वर हम से वादा करता है कहती है, “अपने माता-पिता के साथ आदर से व्यवहार करें।
3 तब आप बहुतायत में जियेंगे और आपका जीवन पृथ्वी पर बहुत वर्षों का होगा।”
4 हे पिताओं, आपको अपने बच्चों को गुस्सा करने के लिए नहीं उकसाना चाहिए क्योंकि इससे वे चिढ़ जाते हैं। लेकिन उन्हें बढ़ाना चाहिए और प्रभु की शिक्षाओं के अनुसार उन्हें अनुशासित करना चाहिए।
5 हे गुलामों, आपको अपने सांसारिक स्वामी का बहुत आदर करना चाहिए और समर्पण के साथ उनकी आज्ञा माननी चाहिए। आपको उनकी आज्ञा ऐसे माननी चाहिए जैसे कि आप मसीह की आज्ञा मानते हैं।
6 हमेशा उन्हें खुश करें और न सिर्फ़ तब जब वे आपको देख रहे हैं। आप मसीह के गुलाम बन गए इसलिए पूरे दिल से परमेश्वर की इच्छा को पूरा करें।
7 अपने स्वामियों की लगन से सेवा करें जैसे कि आप प्रभु की सेवा करते हैं, न कि लोगों की।
8 जो अच्छा है वह करें। निश्चय करें कि इसके लिए परमेश्वर हर गुलाम और हर आज़ाद व्यक्ति को अच्छा इनाम देगा।
9 हे स्वामियों, आपको अपने गुलामों के साथ भलाई करनी चाहिए और उन्हें धमकी नहीं देनी चाहिए। याद रखें कि आपके और गुलामों के ऊपर स्वर्ग में प्रभु है जो देखता है कि आप कैसे काम करते हैं। वह न तो आपके प्रति और न गुलामों के प्रति पक्षपात करता है।
10 हे भाइयों, प्रभु की शक्ति और सामर्थ्य से अपने आप को मज़बूत बनाएं।
11 सारे आत्मिक हथियार पहन लें जो परमेश्वर आपको देता है। तब आप शैतान की बुरी योजनाओं को रोक पाएंगे।
12 हम उस दुश्मन से लड़ते हैं जिस में न तो खून और न ही बाहरी शरीर है। हमारा युद्ध शासकों के खिलाफ़, अधिकारियों के खिलाफ़, शक्तियों के खिलाफ़ है जो इस दुनियाँ के अन्धकार पर राज करते हैं। ये बुरी आत्माएँ स्वर्गीय स्थानों में हैं और हम उन से लड़ रहे हैं।
13 सारे आत्मिक हथियार ले लें जो परमेश्वर आपको देता है ताकि जब बुराई आपके पास आएगी तब उस दिन आप दुश्मन का सामना कर सकें। तब आप सब कुछ पर जय पाएंगे। और जब लड़ाई खत्म हो जाएगी तब आप विजयी होंगे।
14 इसलिए दुश्मन के हमले को पीछे हटाने के लिए तैयार रहें। सच्चाई को लें और इसे युद्ध के कमरबंद की तरह पहन लें। परमेश्वर की धार्मिकता को लें और उसे झिलम की तरह पहन लें।
15 मसीह के बारे में अच्छी खबर को लें और इसे अपने पैरों में जूते की तरह पहन लें। तब आप जाने और लोगों में परमेश्वर की शान्ति लाने के लिए तैयार होंगे।
16 लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि विश्वास को लें और इसे ढाल की तरह इस्तेमाल करें। शैतान आग में तीरों को जलाता है और आप पर निशाना लगाता है लेकिन आप विश्वास की ढाल से आग की लपटों को बुझा पाएंगे।
17 उद्धार को लें और इसे अपने सिर पर टोप की तरह पहन लें। परमेश्वर के वचन को लें जिसे आत्मा बोलती है और इसे तलवार की तरह इस्तेमाल करें।
18 हर समय आत्मा में प्रार्थना करें। किसी भी प्रार्थना में परमेश्वर से अपनी जरूरतों और परमेश्वर के पवित्र लोगों की जरूरतों के लिए मदद माँगने के बारे में न भूलें।
19 मेरे लिए भी प्रार्थना करें। परमेश्वर से माँगें कि वह मुझे सही वचन दे। प्रार्थना करें कि मैं बहादुरी से मसीह के बारे में अच्छी खबर का प्रचार करूँ। और तब मैं दूसरे लोगों को वह रहस्य बता पाऊँगा जिसे परमेश्वर ने मुझ पर प्रकट किया था।
20 मैं बंदी बन गया क्योंकि मैंने मसीह के बारे में अच्छी खबर का प्रचार किया। लेकिन जेल में भी मैं परमेश्वर का संदेश को लाता हूँ। मेरे लिए प्रार्थना करें क्योंकि मुझे साहस के साथ मसीह के बारे में बोलना है।
21 मैं चाहता हूँ कि आप जानें कि मैं किस प्रकार की परिस्थिति का अनुभव करता हूँ और मैं क्या कर रहा हूँ। हमारा प्रिय भाई तुखिकुस ईमानदारी से प्रभु की सेवा करता है और वह आपको सब कुछ बताएगा।
22 इसलिए मैं उसको आप के पास भेज रहा हूँ। तुखिकुस आप को हमारे बारे में खबर देगा और आपके दिलों में शान्ति आएगी।
23 हे भाइयों, परमेश्वर पिता और प्रभु यीशु मसीह आपको शान्ति, प्रेम और विश्वास से भरें।
24 हमेशा हमारे प्रभु यीशु मसीह से प्रेम करें और आप उसके अनुग्रह में जीवित रहेंगे। आमीन।